अमेरिका भाग्यशाली है कि केजरीवाल जैसे नेता वहां नहीं, जो ओसामा के खात्मे का वीडियो उससे मांगे। केजरीवाल भी भाग्यशाली हैं, क्योंकि वो अमेरिका में होते तो सबूत के बजाय जूते खाते। केजरीवाल के वे सूत्र कहां हैं, जो उन्हें बता रहे हैं कि ये सर्जिकल स्ट्राइक फर्जी है? क्या केजरीवाल कांग्रेस की उसी नीति पर चल रहे हैं, जो पाकिस्तानपरस्त बातें बोलने को मुस्लिम तुष्टिकरण मान लेती थी?
यदि ऐसा है तो ये एक गंभीर स्थिति है, क्योंकि अहम बात ये नहीं कि केजरीवाल जैसे गंदी राजनीति करने वाले क्या बोलते हैं, अहम बात तो ये है कि वे आखिर किसे प्रभावित करने के लिए ये बोल रहे हैं? केजरीवाल ने जिस कांग्रेस को हराया, वो उनसे भी घटिया दर्जे की है। किसी नेता को आगे कर उससे अपनी बात कहलवा देना और फिर पल्ला झाड़ लेना उसकी पुरानी नीति रही है।
आपको याद होगी दिग्विजय सिंह के गैरजिम्मेदाराना और घटिया बयानों की लंबी लिस्ट जिसे वो बकते रहे और पार्टी पल्ला झाड़ती रही। संजय निरुपम के बयान के कोई मायने नहीं लेकिन वो बिना पार्टी की शह के ऐसा नहीं कह सकते। कांग्रेस के प्रवक्ता अपने बाप केजरीवाल की भाषा बोलते दिखाई दे रहे हैं। आप कांग्रेस की बाप इसीलिए है, क्योंकि भ्रष्टाचार के नाम पर कांग्रेस से निपटते-निपटते वो उसके दांव-पेंच तो जान ही गई और उसके अपने घटिया तौर-तरीके तो हम देखते ही रहते हैं।
बहुत सभ्य भाषा का इस्तेमाल करने का मन तो इन लोगों के खिलाफ कर नहीं रहा फिर भी सवाल इनसे पूछे जाने चाहिए। क्या ये बात बीजेपी ने कही थी कि सर्जिकल अटैक हुआ है? ये बात सेना के डीजी ने कही थी। ऐसे में ये तो साफ है कि ये लोग सेना पर सवाल उठा रहे हैं। कूटनीति और पाकिस्तान के खिलाफ रणनीति पर सोचने की केजरीवाल की औकात नहीं और कांग्रेस ने तो अपनी मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति के चक्कर में इसकी कोशिश तक नहीं की।
आज एक ऐसा मौका है, जब पूरे देश को एकजुट खड़े होकर आतंकवाद के खिलाफ पुरजोर तरीके से अपनी आवाज बुलंद करनी चाहिए। पार्टियों के टुकड़ों पर पले पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को छोड़कर हर सच्चा हिन्दुस्तानी आज देश की सेना और सरकार के साथ खड़ा है लेकिन जिन्हें पंजाब, गोवा और उत्तरप्रदेश के चुनाव दिख रहे हैं, वे राष्ट्रद्रोह और देशभक्ति के फर्क को ही भूल गए।
पाकिस्तान का तिलमिलाना और लगातार आतंकी हमलों की नाकाम कोशिशों से बड़ा क्या सबूत हो सकता है? विश्वस्त सूत्र ये भी बताते हैं कि सिर्फ भारत के पास ही नहीं, अमेरिका के पास भी इस स्ट्राइक के पुख्ता सबूत हैं। अमेरिका के सैटेलाइट पूरी दुनिया की 24 घंटे निगरानी करते हैं। पाकिस्तान का तो चप्पा-चप्पा उनकी जद में है। वहां हुए इस स्ट्राइक की तस्वीरें उनके सैटेलाइट कैमरों में भी कैद हैं। अमेरिका की तरफ से ये प्रस्ताव भी भारत को आया कि वो चाहे तो ये वीडियो मुहैया कराया जा सकता है।
अहम सवाल ये है कि आखिर क्यों कोई भी सबूत किसी के भी सामने रखा जाए? कांग्रेस और केजरीवाल हैं कौन, जो देश की सेना या सरकार से सबूत मांगे? घटिया एक्टिंग करते हुए पाकिस्तान को बेनकाब करने के नाम पर सबूत मांगना ठीक वैसे ही है, जैसे कोई दुश्मन देश का जासूस किसी दूसरे देश में अपने एजेंडे को आगे बढ़ाए।