आपने कभी सोचा है कि उत्साहवर्धन करना एक ऐसी कला है जिसमें हर कोई सिद्धहस्त नहीं होता और जो इस कला को जानता है तो उससे ही सब लोग पूछते भी हैं। पूछे भी तो क्यों ना क्योंकि मनुष्य प्रवृत्ति ऐसी ही होती है कि अपने किए कार्यों के बदले प्रतिसाद मिलने की लालसा बनी रहती है। जब अच्छे प्रतिसाद मिलते हैं तो हम उस कार्य को अधिक सुघड़ता से करने के लिए अधिक प्रयासरत हो जाते हैं और एक दिन कार्य में पूर्ण दक्षता पा लेते हैं।
इस बात को एक छोटे से उदाहरण से समझते है कि जब बच्चा पहली बार कोई चित्र बनाता है तो वह चित्र कैसा भी हो पर हम बच्चे के उत्साहवर्धन के लिए उस चित्र को जगह-जगह दिखाते हैं और सोशल मीडिया युग में तो सब ओर तुरंत वायरल कर देते हैं। जिससे बच्चे को प्रशंसा मिलती है और वह प्रोत्साहित हो उस कार्य को अधिक लगन से करने लगता है।
ठीक ऐसे ही सबको अच्छे कार्यो के लिए प्रोत्साहित करना उन प्रबल संभावनाओं को बढ़ाने में योगदान देना है जो व्यक्ति, घर-परिवार, समाज व राष्ट्र के लिए अत्यंत हितकारी हो सकती है। इसलिए जब भी किसी को अच्छा करते देखें तो उसका मनोबल जरूर बढ़ाएं। इससे सामने वाला तो उत्साहित होगा ही और आप भी सहजता से सबके बीच अपने अच्छे व्यक्तित्व को प्रदर्शित कर पाएंगे। बस, छोटी सी बात ध्यान देकर चलने की होगी कि हम सहीं बातों के लिए ही प्रोत्साहित करें।
©®सपना सी.पी.साहू "स्वप्निल"