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रवाना हुई कार अंतरिक्ष में मंगल ग्रह की ओर

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पिछले अंक में हम 'स्पेस-एक्स' कंपनी द्वारा आधुनिक तकनीक से निर्मित रॉकेट 'फाल्कन-9' और अंतरिक्ष यान 'ड्रैगन' से परिचित हुए थे। अब हम देखते हैं कि उसने ऐसा क्या किया जिसने अंतरिक्ष जगत को अचंभे में डुबो दिया।
 
'स्पेस-एक्स' ने एक खुली छत वाली लाल रंग की टेस्ला कार को और उसमें ड्राइवर की जगह स्पेस सूट में एक डमी शक्तिमान 'स्टारमेन' को बैठाकर अपने नए रॉकेट 'फाल्कन- हैवी' की सहायता से एक सनसनाते तीर की भांति मंगल ग्रह की कक्षा की यात्रा पर भेज दिया।
 
यह कार 12 किमी प्रति सेकंड की रफ्तार से अंतरिक्ष में दौड़ रही है और करीब 40 करोड़ किलोमीटर की यात्रा करेगी। टेस्ला कार को मंगल ग्रह की कक्षा में स्थापित करने का प्रयास वह भी किसी प्राइवेट कंपनी द्वारा, सचमुच एक अद्भुत कारनामा था! चीन के एक अखबार के अनुसार चीन की स्पर्धा अब अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा से नहीं बल्कि अमेरिका की एक प्राइवेट कंपनी 'स्पेस एक्स' से हो चुकी है।
 
यह काम करने के लिए स्पेस-एक्स ने पहले फाल्कन-9 से अधिक शक्तिशाली रॉकेट 'फाल्कन-हैवी' का निर्माण किया। 'फाल्कन-हैवी' दुनिया का अभी तक का सबसे शक्तिशाली रॉकेट है, जो अपने नजदीकी प्रतिदवंद्वी रॉकेट से दुगने से अधिक भार यानी लगभग 64 टन वजन लेकर हवा में उड़ सकता है और वह भी एक तिहाई खर्चे में। यानी वह एक पूरे बड़े हवाई जहाज को यात्री, सामान और चालक दल समेत पृथ्वी की अंतरिक्ष कक्षा या उससे बाहर ले जा सकता है।
 
जब यह उड़ता है तो इसका बल 17 हवाई जहाजों को एकसाथ ऊपर उड़ा सकता है। ऐसे शक्तिशाली रॉकेट को देखकर भला किसे ईर्ष्या नहीं होगी। चीन के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के अनुसार चीन को इस तकनीक तक पहुंचने के लिए अभी 1 दशक और चाहिए वहीं यूरोप के वैज्ञानिक भी चकित हैं पुनरुपयोग होने योग्य इस रॉकेट के आविष्कार से। उनके अनुसार इस रॉकेट के सफल परीक्षण से अब यूरोप की कंपनियां रॉकेट बनाने की स्पर्धा से बाहर हो जाएंगी यदि शीघ्र ही वे भी इस तरह के रॉकेट के निर्माण के बारे में नवीनतम सोच के साथ कोई निर्णय नहीं ले पाईं तो।
 
इधर वैज्ञानिकों को एक नया खेल मिल गया है और वे टेलीस्कोप की सहायता से अंतरिक्ष में उस कार को ढूंढ रहे हैं। एक प्रयोगशाला ने तो उस भागती कार को खोज भी लिया। आसमान से टूटे तारे की तरह यह भागती जा रही है तो कुछ लोग उसकी गति, पृथ्वी से दूरी और मंगल से दूरी का लाइव वेबकास्ट कर रहे हैं। गणितज्ञ गणित लगा रहे हैं कि कितने लाख वर्ष के बाद वह कहां पर होगी। कौन से मार्ग पर चलेगी।
 
नासा ने तो इसे अपनी खगोलीय पिंडों की सूची में भी डाल लिया है कि कहीं हजारों वर्षों बाद जब यह पुन: दिखे तो इस कार को लेकर उस समय के वैज्ञानिकों को कोई भ्रम नहीं होना चाहिए। करोड़ों वर्षों तक यह कार अंतरिक्ष में घूमती रहेगी यदि मानव समाज की हजारों वर्षों बाद की कोई पीढ़ी इसे पकड़कर वापस न ले आए, म्यूजियम में रखने के लिए।
 
इस कार में एक छोटी सी चमत्कारिक सीडी भी डाली गई है जिसे एक अनोखी संस्था ने निर्मित किया है। इस संस्था का उद्देश्य है मानव सभ्यता के इतिहास को और मनुष्य ने अभी तक जो भी ज्ञान अर्जित किया है उसे दुनिया के हर उस ग्रह पर पहुंचा दिया जाए जहां-जहां भी मानव निर्मित यंत्र पहुंच सकें।
 
इस 1 इंच क्रिस्टल कांच के टुकड़े की संचयन क्षमता 360 टेराबाइट है यानी करीब 90,000 फिल्में इस डिस्क में स्टोर की जा सकती हैं और यह ऐसी तकनीक से बनी है कि यदि करोड़ों वर्षों तक भी यह सीडी अंतरिक्ष में घूमती रहे तब भी इसका कुछ नहीं बिगड़ेगा। यदि किसी कारण से पृथ्वी पर मानव सभ्यता नष्ट होती है तो अंतरिक्ष में हर जगह पृथ्वी की इस जीवन प्रक्रिया को पुन: चालू करने और उसका पूरा ज्ञान किसी के लिए भी उपलब्ध रहेगा।
 
सच कहें तो कुछ लोगों को यह एक मूर्खतापूर्ण स्टंट और धन का दुरुपयोग लगा तो कुछ लोगों के लिए यह एक अद्भुत वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग का कारनामा था। उनके अनुसार मनुष्यों को मंगल ग्रह पर पहुंचाने के लिए टेस्ला कार का यह प्रयोग मील के पत्थर का काम करेगा।
 
कुछ भी हो, एक बात तो पक्की है कि इस स्टंट से टेस्ला कार और 'स्पेस-एक्स' का जबरदस्त विज्ञापन तो हुआ ही है, विभिन्न देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों को एक नया विचार भी मिला है, जो अंतरिक्ष विज्ञान को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। साथ ही, अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति युवाओं में जिज्ञासा भी निश्चित ही बढ़ेगी, जो उनकी चिंतन क्षमता को नई ऊंचाइयां देगी।

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