CJI Dhananjay Yashwant Chandrachud: सुप्रीम कोर्ट के माननीय चीफ जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ भले चुनाव नहीं लड़ रहे हों, लेकिन समाज ऐसे कई लोग मिल जाएंगे, जो उन्हें उम्मीदों का अन्तिम खुला रोशनदान मान रहे हैं। संदर्भ है उनके द्वारा लगातार दिए गए, बेहद चर्चित फैसले। जैसे हाल का इलेक्टोरल बांड से संबंधित फैसला। भारतीय राजनीति में पहले भी देश की तकदीर पलटने वाले सुप्रीम या अन्य अदालतों ने दिए हैं, लेकिन चूंकि हम कमज़ोर याददाश्त के शिकार लोग हैं, इसलिए ताज़ा हवाले देना ज़रूरी हो जाता है।
चुनाव न लड़ने के बावजूद चंद्रचूड़ के फैसलों ने इंसाफ़ के हुकूमत में लोगों की न सिर्फ आस बढ़ा दी, पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार हो या अन्य राजनीतिक दल, सभी के मन में अन्याय के प्रति डर पैदा कर दिया है। यदि उनके निर्णयों से 2024 के लोकसभा चुनावों में बाजी पलट भी जाए, तो हैरत नहीं होनी चाहिए। हाल में एक टीवी चैनल से की गई बातचीत में चंद्रचूड़ ने अपनी जातीय जिंदगी की किताब के कई यादगार तथा पठनीय पन्ने खोले।
पत्नी सबसे अच्छी दोस्त : उन्होंने कहा कि उनकी सबसे अच्छी दोस्त उनकी पत्नी कल्पना दास है। दोनों ही शुद्ध शाकाहारी हैं और मोटा अनाज नहीं आयुर्वेदिक भोजन करते हैं। उनका मत है कि भोजन का सीधा रिश्ता आपके दिल और दिमाग से होता है। चंद्रचूड़ ने बताया कि उनका भोजन पौधों से उत्पादित अनाज से बनता है। वे तड़के साढ़े तीन बजे उठ जाते हैं। वे कहते हैं इस वक्त चूंकि वातावरण शांत रहता है, इसलिए उन्हें कुछ देर योग करने में सुविधा होती है। साथ ही वे योग के बाद चैन और सुकून से विचार भी कर पाते हैं। उन्हें आइस्क्रीम भी पसंद है।
एक अंग्रेजी पत्रिका से हुई चर्चा में उन्होंने बताया था कि वे पहले जितना पढ़ पाते थे, अब नई जिम्मेदारियों के तहत पढ़ नहीं पाते, मगर कुछ पन्ने पढ़ना उनकी आदत में आज भी शुमार है। चंद्रचूड़ की खास बात यह है कि उनकी ज़िंदगी का एकमात्र मिशन है कि आम आदमी मैं यह भरोसा पैठ जमाए कि न्याय पाना उनका हक है और इसी के लिए मैं आधी रात में भी कोई मेल आता है, तो तुरंत उस पर कार्यवाही की व्यवस्था करता हूं।
बता दें कि पिछले दिनों चंद्रचूड़ अपने साथी जजों के साथ जिला स्तर की कोर्ट की समस्याओं को समझने के लिए गुजरात के कच्छ एक सम्मेलन में गए थे। वहां से लौटकर उन्होंने देश की जिला कोर्ट परिसरों में कुल 18000 ई-मेल सेंटर पायलट प्रोजेक्ट के तहत खुलवाए ताकि जिन लोगों के पास आधुनिक तकनीकी साधन उपलब्ध नहीं हैं, उन्हें भी शीघ्र, सरल, सस्ता न्याय उपलब्ध हो।
पिता वायवी चंद्रचूड़ भी सीजेआई रहे : चंद्रचूड़ के पिताजी वायवी चंद्रचूड़ भी देश के सर्वोच्च न्यायाधीश रहे और उनका कार्यकाल इस पद पर अब तक सबसे लंबा रहा। चंद्रचूड़ कविताई या पोएटिक अंदाज में फैसले लिखने के लिए भी मशहूर हैं। वे जब बांबे हाईकोर्ट के जज थे, तब उन्होंने हरे रंग की कार खरीदी थी, जो उनकी पहचान बन गई थी।
उनका जन्म 1959 की 11 नवंबर को मुंबई में हुआ था। वे देश के 50वें मुख्य न्यायाधीश के रूप इसी साल यानी 2024 के नवंबर में रिटायर होंगे। तब देश में 18वीं लोकसभा के आम चुनाव सम्पन्न हो चुके होंगे। उनकी कही यादगार बात कि देश के किसी भी नागरिक को तुरंत न्याय दिलाने के लिए दूरदराज से दिल्ली आने की जरूरत नहीं है। आधुनिक तकनीक के माध्यम से वह अपने मूल स्थान से ही हम लोगों से सम्पर्क कर सकता है, को सुनकर शाहरुख खान द्वारा अभिनीत हिट फिल्म के टाइटल 'मैं हूं ना' की याद आती है। (लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं। वेबदुनिया इसके लिए जिम्मेदार नहीं है)