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नरोत्तम ने दिल्ली दरबार में दस्तक दी और शिवराज देवदर्शन पर निकल पड़े

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अरविन्द तिवारी

, सोमवार, 29 अगस्त 2022 (19:24 IST)
राजवाड़ा2रेसीडेंसी
 
बात यहां से शुरू करते हैं : गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा की दिल्ली यात्रा और संघ के दिग्गजों से संवाद मध्यप्रदेश की आने वाले समय की भाजपा की राजनीति के लिए एक अलग ही संकेत दे रहा है। भाजपा के कई दिग्गज अब यह तो मानने लगे हैं कि मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान अब उतने मजबूत नहीं रहे हैं जितने अपने पहले 3 कार्यकालों में हुआ करते थे। भाजपा के मैदानी कार्यकर्ताओं से भी जो फीडबैक दिल्ली पहुंच रहा है, वे भी 'सरकार' के लिए अच्छा संकेत नहीं है। इसका फायदा मुख्यमंत्री की कुर्सी पर निगाह रखने वाले कई नेता उठाना चाहते हैं। लेकिन फिलहाल तो इनमें डॉ. मिश्रा नंबर 1 पर हैं। यह भी संयोग ही है कि जब नरोत्तम दिल्ली में डेरा डाले हुए थे तब मुख्यमंत्री देवदर्शन पर थे।
 
अभी से तेवर दिखाने लगे हैं नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह : नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह के तेवरों का अंदाजा अभी से होने लगा है। वे दिन दूर नहीं, जब यह सुनने को मिले कि नेता प्रतिपक्ष ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को पत्र लिखकर कहा है कि प्रदेश में संगठन से जुड़े निर्णयों में उनकी भी भागीदारी होना चाहिए यानी निर्णय होने के पहले उन्हें भी भरोसे में लिया जाए। दरअसल, कमलनाथ का काम करने का जो स्टाइल है, उससे पार्टी के जो बड़े नेता परेशान हैं, वे डॉ. गोविंदसिंह के कंधे पर बंदूक रखकर चलाने के लिए तैयार बैठे हैं। बस उन्हें वक्त का इंतजार है। देखते हैं ये वक्त कितना जल्दी आता है?
 
जामवाल की पैनी निगाहें भाजपा नेताओं के लिए बन सकती हैं परेशानी का कारण : सहसंगठन महामंत्री शिवप्रकाश के स्थान पर संघ के जिन खांटी अजय जामवाल को मध्यप्रदेश पर निगाह रखने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, वे मध्यप्रदेश के मंत्रियों और संगठन में बड़े पदों पर काबिज दिग्गजों की लकदक लाइफ स्टाइल से चौंके हुए हैं। जामवाल के लिए चौंकने का एक बड़ा मुद्दा संघ से भाजपा में भेजे गए दिग्गजों की लाइफ स्टाइल भी है। तय है कि बरास्ता जामवाल यह संदेश अब दिल्ली पहुंचना ही है। देखना यह भर है कि इससे किसे नफा और किसे नुकसान होता है? पर यह तय है कि सत्ता और संगठन के शीर्ष के लिए जरूर यह पैनी निगाहें परेशानी का कारण बनेंगी।
 
सरकार का इशारा और पुलिस का फरियादी के चाचा को ही आरोपी बनाना : मध्यप्रदेश अजब है, गजब है। यह बिलकुल ही सही कहा गया है। पंडोखर सरकार और बागेश्वर धाम के अधिष्ठाता धीरेंद्र शाही के बीच मेलमिलाप की खबरों के बाद अब एक नया वाकया सामने आया है। मर्डर के आरोपी का पता करने के लिए एक एएसआई पंडोखर सरकार के दरबार में जा पहुंचा। दरबार से जो राय मिली, उसके बाद पुलिस ने फरियादी के चाचा को ही अंदर कर दिया। फरियादी ने शोर मचाया तो तहकीकात शुरू हुई, अफसरों ने एएसआई को तलब किया तो उसने कहानी बयां कर दी। सुनते ही अफसरों के होश उड़ गए। आखिरकार दरबार की सलाह मानने वाले अफसर को निलंबित होना पड़ा।
 
न यह मानने को तैयार, न सरकार इनसे निपटने की स्थिति में : स्टेच्यू ऑफ यूनिटी की तर्ज पर ओंकारेश्वर के ओंकार पर्वत पर शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापित करने का मध्यप्रदेश सरकार का महाभियान उच्च न्यायालय के एक आदेश के बाद भले ही धीमा पड़ गया है। लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से बहुत नजदीकी रखने वाले एक वर्ग ने धार्मिक भावनाओं की दुहाई देते हुए जिस तरह से इसके विरोध में मैदान संभाल रखा है, उसने सरकार की नींद तो हराम कर दी है। ये लोग पीछे हटने को तैयार नहीं हैं और सरकार इनसे निपटने की स्थिति में नहीं है। विरोध कर रहे लोगों की मदद करने वालों के हाथ भी बहुत लंबे हैं।
 
नाराज विधायकों को मनाने में एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं बाकलीवाल : इंदौर शहर कांग्रेस अध्यक्ष का पद 2 दिग्गजों के बीच फंसा हुआ है। जीतू पटवारी, विशाल पटेल और संजय शुक्ला की नाराजगी और नगर निगम चुनाव के बाद जो फीडबैक ऊपर तक पहुंचा, उसके बाद विनय बाकलीवाल की रवानगी तय मानी जा रही है। विकल्प के रूप में अश्विन जोशी, अरविंद बागड़ी, सुरजीत चड्ढा और केके यादव के नाम सामने आए थे। मैनेजमेंट के कारण अरविंद बागड़ी का नाम सबसे आगे हो गया। इसकी भनक लगते ही बाकलीवाल ने कमलनाथ के दरबार में दस्तक दी। वहां से मिली नसीहत के बाद अब वे शुक्ला और पटेल की परिक्रमा में लग गए हैं। इन दोनों के सामने दुविधा यह है कि जो पहले कह आए, उससे कैसे पलटें? और इनके पलटे बिना कुछ होना नहीं है। देखते हैं आगे क्या होता है?
 
जोगा का जलवा और रेंज के कुछ अफसरों के बगावती तेवर : दक्षिण की मजबूत भाजपा लॉबी के दम पर पिछले 18 साल में हमेशा अच्छी पोस्टिंग पाने वाले आईपीएस अफसर उमेश जोगा के खिलाफ उन्हीं की रेंज के कुछ अफसरों ने मोर्चा खोल दिया है। बात ऐसी-वैसी भी नहीं है। इन अफसरों ने मय प्रमाण के पुलिस मुख्यालय तक अपनी बात पहुंचा दी है। प्रारंभिक तहकीकात में इनके आरोप सही भी पाए गए हैं। देखना यह है कि इसके बाद भी कुछ होता है या फिर जोगा का जलवा ही बरकरार रहता है?
 
चलते-चलते : विनीत नवाथे के आरएसएस के मालवा प्रांत के प्रांत कार्यवाह की भूमिका में आने के बाद इंदौर विभाग के संघचालक शैलेन्द्र महाजन भी दोहरी भूमिका में आ गए हैं। उन्हें प्रांत का ग्राम संपर्क सह प्रमुख बनाया गया है।
 
इंदौर के नए महापौर पुष्यमित्र भार्गव की सक्रियता कई नेताओं को प्रभावित कर सकती है। जिस दिन से भार्गव महापौर पद पर निर्वाचित हुए हैं, उस दिन से शहर के आयोजनों में दूसरे नेताओं के बजाय उन्हें ही तवज्जो मिल रही है। जिन्हें सबसे नुकसान हो रहा है, उनमें सांसद शंकर लालवानी का नाम सबसे ऊपर है।(फ़ाइल चित्र)

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