बहुधा किसी और दिवस-डे को लेकर इतने मत-मतातंर नहीं होते, जितने वैलेंटाइन डे को लेकर होते हैं। युवाओं में इसका क्रेज़ हर साल बदस्तूर रहता है और संस्कारों की दुहाई भी हर साल दी जाती है। इस बार उसमें एक नया मोड़ और आया है।
देश के पशु कल्याण विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे इस दिन को गौ आलिंगन दिवस या काउ हग डे- Cow Hug day के रूप में मनाया जाए। वैसे देखा जाए तो अमेरिका में दर्जनों एकड़ लंबे फ़ॉर्म्स में काउ हगिंग मनाने की रवायत कोरोना काल में शुरू हुई थी।
सोशल मीडिया पर भारत सरकार की इस अपील पर मीम्स, जोक्स और कमेंट्स हो रहे हैं। उन्हें पढ़कर लोग तनाव मुक्त हो रहे हैं और इसके पक्ष में बात कहने वाले भी यही कह रहे हैं कि पालतू जानवरों को हमेशा तनाव मुक्ति का कारक माना जाता है। कुछ लोग कह रहे हैं गो-मूत्र और गाय के गोबर को हमारे यहां वैसे भी महत्वपूर्ण माना जाता है। गाय की पीठ थपथपाना और उसके साथ सटकर बैठना या उसे गले लगाना थैरेपी का हिस्सा भी बताया जा रहा है।
भारत सरकार के मत्स्यपालन, पशुपालन और डेरी मंत्रालय की इस अपील को लेकर मत-मतांतर एक तरफ़ और बोर्ड के सचिव डॉ. सुजीत कुमार दत्ता की अपील एक तरफ़, अपील में लिखा है गाय भारतीय संस्कृति और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।
गाय हमारी जीविका को बनाए रखती है, पशु धन और जैव विविधता का प्रतिनिधित्व करती है। मानवता को सब कुछ प्रदान करने वाली मां के समान इसकी पोषक प्रकृति के कारण इसे कामधेनु और गौ माता के नाम से जाना जाता है। गाय के अपार लाभों को देखते हुए गाय को गले लगाने से भावनात्मक समृद्धि आएगी, जिससे हमारे व्यक्तिगत और सामूहिक सुख में वृद्धि होगी। बोर्ड की सहायक सचिव प्राची जैन ने कहा कि हमें इस अपील को जारी करने के लिए केंद्रीय मंत्रालय से निर्देश मिले हैं। देश की राजधानी नई दिल्ली में दो लाख गायों को गले लगाकर भावनात्मक प्रेम को दर्शाया जाने वाला है।
कई रिपोर्ट कहती हैं कि जानवरों को गले लगाने से ऑग्ज़िटोसिन हार्मोन निकलता है, जिससे आराम और शांति महसूस होती है। 2007 के अप्लाइड ऐनिमल बिहेवियर साइंस जर्नल में एक स्टडी प्रकाशित हुई जिसमें कहा गया है कि गायों के गले के ऊपर और पीठ फेरने से गायों भी सुकून मिलता है। स्टडी में तो यहां तक कहा गया है कि हर दिन कम से कम चार बार गाय को गले लगाना चाहिए। तो फिर आप किसी एक दिन का इंतज़ार क्यों कर रहे हैं? प्यार के इज़हार के मामले में किसी एक दिन की राह क्यों देखी जाए? हम किसी न किसी वजह से रोज़ तनाव-क्रोध प्रकट करते हैं तो क्यों न बेवजह भी कभी प्रेम प्रकट कर लिया जाए, गाय पर, पशुओं पर और इंसानों पर भी...
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