चलिए अब व्यंग्य के मूल सिद्धांत हास्य रस को ताक पर रखकर कुछ गंभीर बात करते हैं। तीन तरह के लोगों को अनावशयक हॉर्न बजाने का “हॉर्न रोग” होता है। पहला, जो किसी की परवाह नहीं करते, जैसे पैदल चल रहे लोगों के पीछे भी हॉर्न बजाने वाले। दूसरा, जो स्वयं को राजा समझते हैं, जैसे जाम में जाने की जगह ना होने पर भी पीं पों करने वाले और तीसरा, जिसके मन में स्वयं असुरक्षा का भाव हो, उदाहरणार्थ गाड़ी जरूरत से ज्यादा तेज चलाने वाले लोग। इन तीनों परिस्थितियों में हॉर्न रोग से ग्रसित रोगी ध्वनि प्रदूषण से अधिक दंभ प्रदर्शन करते है।