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सफलता पाना है तो व्यवहार कुशल बनें

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सुनील चौरसिया

जीवन में सफलता एवं लोकप्रियता अर्जित करने हेतु व्यवहार कुशलता का होना बहुत जरूरी होता है। किसी भी व्यक्ति को, जो अपने क्षेत्र में बुलंदियों को छूने की चाहत रखता है, अपने व्यक्तित्व का कुशलतापूर्वक निर्माण और विकास करना चाहिए।
 
आपके पास ज्ञान का अकूत भंडार हो सकता है, आप में आत्मविश्वास कूट-कूट कर भरा है, आप आत्मबल एवं संकल्प शक्ति से सराबोर हैं, लेकिन यदि आप में व्यवहार कुशलता नहीं है, तो आपकी राह में अड़चनों का अंबार लग जाएगा। ऐसे में आपकी अधिकांश ऊर्जा उन अड़चनों को दूर करने में ही व्यर्थ हो जाएगी। व्यवहार कुशलता द्वारा ही हम अपने साथ रहने वाले संगी-साथियों को अपने साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। कहा भी गया है कि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता। आपको जीवन में सफल होने के लिए अपने संगी-साथियों, भाई-बंधु, शुभचिंतकों, गुरुजनों आदि की कहीं न कहीं, किसी न किसी रूप में थोडी बहुत जरूरत पड़ती ही है। 
 
व्यवहार कुशलता से आप अनजान व्यक्तियों को भी आत्मीय बनाकर अपने साथ चलने के लिए तैयार कर सकते हैं। इसके माध्यम से आप न केवल अकेली शक्ति को सामूहिक शक्ति में बदल सकते हैं, बल्कि अपनी सफलता का मार्ग प्रशस्त करते हुए ऐसी बुलंदियों को भी फतह कर सकते हैं, जिसकी आपने कभी कल्पना भी नहीं की होगी। नकारात्मक दृष्टिकोण से किए गए कार्य जहां हमारे लिए पतन का द्वार बनते हैं, वहीं व्यवहार कुशलता एवं सकारात्मक दृष्टिकोण हमारे लिए किसी वरदान से कम नहीं होते।
 
आज के परिवेश में जीवन लगातार जटिल होता जा रहा है। अनेक लोगों के बीच काम करते हुए भी व्यक्ति खुद को अकेला महसूस करता है। इस दौर में मनुष्य काफी महत्वाकांक्षी हो गया है, जो आसानी से संतुष्ट नहीं होता है। इस तरह परिवर्तित होती परिस्थितियों में व्यक्तिगत कुशलता की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाती है।
 
व्यक्ति में न केवल भौतिक उपलब्धियों के लिए, बल्कि अपने जीवन के अन्य लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए भी कार्य को सबसे बढ़िया, सुलभ एवं शीघ्रता के साथ करने के तरीकों का ज्ञान व अभ्यास का होना, व्यक्तित्व की कुशलता कहलाती है। आप समय तथा बुद्धि का प्रयोग इस प्रकार करें कि अपने जीवन के प्रत्येक महत्वपूर्ण क्षेत्र में अपनी परिपूर्णता एवं अद्वितीय गुणों के कारण प्रतिष्ठित रहें। व्यक्तिगत कुशलता का तात्पर्य चारित्रिक विकास से भी है। किसी भी व्यक्ति की चारित्रिक विशेषताएं उसकी सर्वोत्तम धन हैं, जो उसे श्रेष्ठ से श्रेष्ठ पद पर ले जाती है। चरित्र के बल पर ही व्यक्ति समाज में आदर व सम्मान पाता है। यह धन से भी शक्तिशाली तत्व है। व्यवहार कुशलता के कारण मानव अपने जीवन में विजय और सौभाग्य का अधिकारी बनता है।
 
मेल-जोल और व्यवहार कुशलता ऐसे गुण हैं जो आपको समाज में लोकप्रिय बनाते हैं। फलस्वरूप आपकी प्रगति एवं सफलता की संभावनाओं में गुणात्मक वृद्धि हो जाती है। आपकी सफलता काफी हद तक इस बात पर निर्भर करती है कि आपका व्यवहार दूसरों के प्रति कैसा है। जैसा व्यवहार आप अपने लिए चाहते हैं, दूसरों के साथ भी आप वैसा ही व्यवहार करें। हम दूसरों को सम्मान और सत्कार देकर ही अपने लिए आदर एवं सम्मान अर्जित कर सकते हैं।
 
हंसमुख एवं जिंदादिल व्यक्ति सभी के बीच लोकप्रिय होते हैं। अपने व्यवहार में विनम्रता को शामिल करके आप भी दूसरों के दिलों पर राज कर सकते हैं। अतः अपनी कमजोरियों एवं गुणों को पहचानिए और साथ ही अपने व्यक्तित्व के सकारात्मक पहलुओं को और मजबूत करने की कोशिश कीजिए। अपने मन में इस बात को बैठा लें कि जीवन में शारीरिक सौंदर्य ही सब कुछ नहीं है। स्वस्थ व सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाकर आप अपने जीवन में सफलता तथा लोकप्रियता, दोनों हासिल कर सकते हैं।
 
अगर आप भी जीवन में सफलता और लोकप्रियता अर्जित करना चाहते हैं, तो आपको अपने व्यक्तित्व में दूसरों के साथ अच्छे व्यवहार करने का गुण विकसित करना होगा। इस प्रकार आप व्यवहार कुशल बनकर जीवन में सफलता के सोपान चढ़ सकते हैं। 

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