सभी की अंतरात्मा को खुशी हो रही है कि हमने बलात्कारी अपराधी को मार डाला,
ठीक है अपराध हो जाने के बाद जितना जल्दी न्याय मिले उतना अच्छा,
पर साथ ही ये जानना बहुत जरूरी है की आदमी एक औरत से इतनी नफरत क्यों करता है कि बलात्कार कर जला देता है। मार डालता है?
क्यों करता है वह ऐसा? क्या मात्र काम इच्छा ही इस के लिए जवाबदार है? नहीं ये नफरत है बलात्कारी के मन में भरी स्त्री जाति के लिए, और ये नफरत उसके मन में भर जाती है जब बचपन में, अपने परिवार में किसी स्त्री (मां, बुआ, चाची , दादी, नानी) द्वारा उसे बहुत बुरी तरह से मारा जाता है।
वो कभी भी अपने घर के बड़ों को तो कुछ नहीं बोल पाता पर बड़ा होकर स्त्री जाति के विरूद्ध विभत्स कर अपने मन की नफरत को शांत करता है। इसलिए बच्चों को मारना नहीं चाहिए। बड़े हो कर वे अलग-अलग तरह से, स्त्री के प्रति या पुरुष के प्रति अपराध करते हैं।