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सोशल मीडिया पर गणतंत्र दिवस

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डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी

# माय हैशटैग
 
26 जनवरी के करीब एक सप्ताह पहले से ही सोशल मीडिया पर गणतंत्र दिवस छा जाता है। देश की सुरक्षा के मुद्दे हों, गणतंत्र की झांकियां हों या हमारे सुरक्षा जवानों के बलिदान की बात, सोशल मीडिया पर इन्हें शेयर करते हुए लोगों को गर्व का एहसास होता है। 
इस बार सोशल मीडिया पर लोगों ने अपनी भावनाएं अलग तरीके से पेश की हैं। सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को भी तवज्जो मिली है, जिसके तहत हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को यह आदेश दिया गया है कि सभी स्थानीय शासन की संस्थाएं इस बात पर गौर करें कि गणतंत्र के नाम पर अवैध होर्डिंग और बैनर न लगाए जाएं। 
 
सोशल मीडिया पर एक शख्स ने अर्नब गोस्वामी की झांकी की काल्पनिक तस्वीर शेयर की है, जिसमें लिखा है कि इस बार गणतंत्र दिवस पर हमें परेड के दौरान झांकी में अर्नब को भी पेश करना चाहिए, जो हमारे देश का सबसे बड़ा विध्वंसकारी हथियार है। 
 
हमारे राष्ट्रीय त्योहारों पर आतंकी गतिविधियों की आशंका को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था तगड़ी कर दी जाती है। आतंकी होने की आशा में कई लोगों को पकड़ा जाता है। अवैध हथियार भी बरामद किए जाते हैं, इन सब पर आम लोगों की टिप्पणियां यह बताती हैं कि उन्हें जनता की सुरक्षा की चिंता बहुत ज्यादा है। सोशल मीडिया पर ही यह खबर सबसे पहले आई कि गणतंत्र दिवस को देखते हुए पुलिस की सुरक्षा जांच में 25 संदेहास्पद लोग पकड़े जा चुके है। 
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इस बार भारतीय गणतंत्र दिवस की परेड में विदेशी सेना की टुकड़ियां भी मार्च पास्ट करती नजर आएंगी। फ्रांस की थलसेना भी भारतीय जवानों के साथ मार्च पास्ट में शामिल होगी। राजपथ से लगे सभी क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था बेहद दुरुस्त रहने वाली है। इस इलाके की 71 बहुमंजिली इमारतों पर पुलिस की निगरानी रहेगी। भारत की आंतरिक सुरक्षा में भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के साथ ही अमेरिका और फ्रांस की खुफिया एजेंसियां भी सहयोग कर रही हैं।
 
राजपथ पर निकलने वाली झांकियों में भारतीय सेना की सभी शाखाएं और एनसीसी के जवान भी शामिल होते रहे हैं। थलसेना की डॉग ब्रिगेड भी इस बार गणतंत्र की परेड में शामिल होगी। 26 साल बाद यह मौका आया है। पाकिस्तान की सीमा से लगे रेगिस्तानी इलाकों में गश्त करने वाले ऊंट भी परेड में होते ही हैं। 22 से 26 जनवरी तक 60 स्कूलों के बच्चों को अखनूर और अटारी के सीमावर्ती इलाकों पर भ्रमण कराया जा रहा है, इसे सीमा दर्शन नाम दिया गया है। सैनिकों के हैरतअंगेज कारनामे, विकास की झांकियां और राज्यों की सांस्कृतिक गतिविधियों की झलक गणतंत्र की परेड में देखने को मिलती है। 
 
गणतंत्र दिवस भले ही 26 जनवरी को हो, इसकी तैयारियां सालभर चलती हैं। राजपथ पर गणतंत्र की परेड की रिहर्सल कई सप्ताह से चल रही है, जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहते हैं। अनेक लोग जो गणतंत्र दिवस की परेड में भाग नहीं ले पाते, ड्रेस रिहर्सल देखकर ही संतुष्ट हो जाते है, क्योंकि इसमें अतिथियों के अलावा सभी कुछ होता है। दुनिया के सबसे बड़े गणतंत्र में यह सब होना लाजिमी है।

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