सच्चे भारतीय और सच्चे भारतीय संस्कार हमेशा सेवा भावना को तत्पर होते हैं. चाहे वो कहीं भी हों, कैसे भी हों, अपनी सामर्थ्य और सेवा क्षमता के साथ हमेशा अपना योगदान/सहयोग देते हैं ऐसा नहीं है कि इस योगदान को आप किसी भौतिक पैमाने से नापें. बात यह है कि आप अपनी ओर से इस भावना की पहल कर रहे हैं. मातृभूमि और कर्मभूमि दोनों के प्रति अपनी आदर भावना, समर्पण, लगाव होना और दोनों के प्रति अपने कर्तव्य पूरी निष्ठा से निर्वहन करना यही हमारी संस्कृति सिखाती है. खास बात ये भी है कि जब भी हम अपने किसी स्टूडेंट्स को इस तरह का कार्य करते देखते हैं तो शिक्षा सार्थक होते नजर आती है. साधना और प्रतीक जैन के साथ उनके सहयोगी परिवारों पर हर भारतीय को गर्व है.
लॉकडाउन को एक महीना होने को है और हमारी सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले हमारे COVID19 वॉरियर्स-पुलिस, डॉक्टर, सफाई कर्मचारी, इत्यादि दिन-रात काम पर लगे हैं | कोरोना महामारी की स्थिति भारतसे ज्यादा संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में गंभीर है | 7 लाख 60 हज़ार से ऊपर मामले वहां पॉजिटिव आये हैं जिनमे से 70 हज़ार मरीज ठीक हो चुके हैं, लेकिन 40 हज़ार के करीब मौतें हो गयी हैं |
कनाडा में भी कोरोना मामलों संख्या करीब 35 हज़ार पहुँच चुकी है, जिसमे से 1.5 हज़ार की मौत हो चुकी है | नेशनल बैंक ऑफ़ कनाडा की 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक इस देश में करीब 14 लाख भारतीय हैं | साधना भी इन्हीं में से है. अपने पति प्रतीक व अन्य सदस्यों के साथ अपना सहयोग दे रहे है अपनी मातृभूमि से दूर ये सभी अपनी ओर से इन परिस्थितियों में एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं |
ऐसा ही एक गैर-सरकारी संस्थान है हिंदी यूएसए, जो सबसे बड़ा हिंदी भाषा सिखाने वाला संस्थान है | हाल ही में इस संस्थान ने उत्तरी ब्रुन्सविक पुलिस विभाग को हाथ से बने मास्क दिए हैं | पुलिस विभाग ने 60 मास्क की डिलीवरी की पुष्टि करते हुए संस्थान के सदस्यों को सोशल मीडिया पर धन्यवाद भी दिया है |
इनमें साधना जैन, प्रतीक जैन, ऋचा खरे, अभिन्न कुमार, ऋतू अरोरा, शमीन उनीसा, वर्षा गुप्ता, शिल्पा महाजन, पुनीता वोहरा और विद्या मेहता शामिल हैं |सभी ने मिल कर ये मास्क घर पर ही बनाए हैं | उन्होंने मास्क-मेकिंग टीम को भी धन्यवाद दिया और कहा कि वो अगले कुछ दिनों में और भी मास्क पुलिस को देंगी |
हिंदी यूएसए वर्तमान में इस संस्थान में 4,000 से अधिकछात्र हैं, जिन्हें 100 से अधिक नियमित स्वयंसेवकों द्वारा समर्थित 300 से अधिक शिक्षकों द्वारा 9 स्तरों में हिंदी पढ़ाई जाती है। इस वैश्विक महामारी के समय में हिंदी मातृभाषा की सेवा के साथ-साथ मानवता की सेवा का धर्म निभाना भी किसी तीर्थ कार्य के समान पावन-पवित्र ही है. नि:स्वार्थ भाव से सेवा भावना ही हमारे सच्चे भारतीय होने की निशानी है......