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रेल हादसे पर सरकार की सक्रियता काबिले तारीफ़

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- महेश तिवारी 

मध्यप्रदेश सरकार और केन्द्र सरकार ने जिस नेक इरादे के साथ मानवीय भावों को छलनी करने वाले हादसे से लोगों को बाहर निकालने के लिए तत्काल प्रभाव से हरसंभव कोशिश की, यह गौर करने वाली बात है। कानपुर के समीप पुखरायां में हुए रेल हादसे से अपने नागरिकों की सलामती के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने तत्कालिक कदम उठाते हुए राहत और बचाव कार्य में हिस्सा लेने के लिए तत्पर दिखाई। हादसे में सैकड़ों लोगों के परिवार को मुआवजा राशि प्रदान करने के साथ अपने नागरिकों को बचाने के लिए युद्धस्तर पर कार्यवाही करने के लिए सरकार द्वारा प्रयास किया जा रहा है। प्रदेश सरकार ने केन्द्र सरकार की राह पर चलते हुए लोगों की सलामती और लोगों की सूचनाओं को सार्वजनिक करने के लिए हेल्पलाइन नंबर को चालू किया। जिससे यात्रियों के परिवारजनों को उनकी खोज-खबर के बारे में पता चल सके। जो कि सरकार का सराहनीय कदम माना जा सकता है।
गौरतलब है कि हादसे में बहुतायत लोग मध्यप्रदेश के भी निवासी थे इसलिए सरकार का ये दायित्व भी बनता है कि वो राहत व बचाव कार्य के लिए आगे आए। यहीं नहीं प्रदेश सरकार की जागरूकता के साथ केन्द्र सरकार ने भी अपनी सार्वजनिक सक्रियता को निभाते हुए तत्काल प्रभाव से एनडीआरएफ की टीमों को दुर्घटनास्थल पर भेजकर युद्धस्तर पर राहत और बचाव कार्य में लग गई। मध्यप्रदेश सरकार के साथ केन्द्र सरकार के प्रयासों की प्रशंसा इस बाबत बनती है, क्योंकि रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने खुद घटनास्थल पर निगाहें बनाए रखीं और अपने सहयोगियों से पल-पल की ताजा अपडेट से रूबरू होते रहे। रेलमंत्री ने तात्कालिक कदम उठाते हुए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही है। 
 
रेलमंत्री के कथनानुसार, पीड़ितों को मदद पहुंचाने के साथ लोगों से सहयोग करने की बात रखी, जिससे शांतिपूर्ण माहौल में काम किया जा सके। 22 नवंबर से जांच शुरू कर रहे पूर्वी क्षेत्र के रेल संरक्षक आयुक्त के मुताबिक, जांच की रिपोर्ट जल्द से जल्द तैयार करके लोगों को न्याय दिलाने का कार्य किया जाएगा। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रेल दुर्घटना के पीड़ितों के हालचाल पता करने के लिए तत्काल प्रभाव से कानपुर पहुंचे। जहां उन्होंने कहा कि शोकपूर्ण समय में सरकार पीड़ित परिवारों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है और घायलों के परिवारजनों के इलाज की सम्पूर्ण जिम्मेदारी अपने राजकोष से अदा करेगी।  
 
शिवराज सिंह चौहान ने हैलेट अस्पताल पहुंचकर घायलों के हालात की जानकारी ली और कहा कि दुर्घटनाग्रस्त लोगों की जिंदगी में फिर से ख़ुशी के रंग भरना ही उनका और उनकी सरकार की पहली प्राथमिकता होगी, जिसके लिए उन्होंने जरूरत पड़ने पर एयर एम्बुलेंस की व्यवस्था के साथ हरसंभव मदद करने की पेशकश की। मध्यप्रदेश सरकार ने अपने घायल नागरिकों को सही सलामत घर वापसी और उनकी स्थिति का जायजा लेने के लिए अपने सहयोगी मंत्री नरोत्तम मिश्रा को कानपुर स्थायी तौर पर भेजकर स्थिति पर नजर बनाए रखने की बात कही है। मुख्यमंत्री ने अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए घायलों को 50-50 हजार और मृत परिवार की मदद के लिए दो-दो लाख रुपए की सहयोग राशि की घोषणा की है, जो कि मध्यप्रदेश सरकार अपने राजकीय कोष से अदा करेगी। और यह सरकार की सकरात्मक पहल कही जा सकती है, क्योंकि मृत परिवारों और घायल परिवारों को सहारे की जरूरत भी होती है। 
 
रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने कानपुर में हुए रेल हादसे से सबक लेते हुए पुराने आईसीएफ डिब्बों की जगह नए आधुनिक कोचों को लगवाने पर बल देते हुए कहा कि रेलवे बजट के दौरान ही चरणबद्ध तरीके से कोचों को बदलने का काम शुरू कर दिया गया था, जिसमें और तेजी लाने की जरूरत हैं। प्रभु ने अपनी सांत्‍वना व्यक्त करते हुए मृतकों के परिवार वालों को साठे तीन लाख रुपए और गंभीर रूप से घायलों के लिए 50 हजार रुपए की राशि देने की बात कही है। केन्द्र सरकार ने भी अपनी दारियादिली दिखाते हुए मोदी ने खुद मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख रुपए की आर्थिक सहायता राशि का एलान किया है। 
 
रेलवे बोर्ड की बैठक में आम जनता की सुरक्षा और संरक्षा के लिए जल्द से जल्द सेफ्टी ऑडिट कराने का निर्णय लिया गया है और 100 प्रतिशत प्रयोग होने वाले ट्रैक पर नई ट्रेन दौड़ाने पर रोक लगा दी गई है। मायावती और विपक्षी पार्टियां जिस तरीके से सरकार को घेरने का काम कर रही हैं, वह सरकार द्वारा जनता की भलाई के लिए उठाए गए तात्कालिक प्रयासों को देखकर नाजायज लगता है। जिस तरीके से सूरजकुंड शिविर में रेलवे यात्रा को शून्य दुर्घटना स्तर को प्राप्त करने का विचार रखा है, वह काबिलेगौर है। बिगड़ी रेलवे पटरियों और आधारभूत संरचना को सुधारने में समय लगता है, जिसके लिए मोदी सरकार प्रयासरत दिख रही है। 
 
मध्यप्रदेश सरकार और केंद्र सरकार ने मानवीय विदारक घटना से बचाने के लिए एनडीआरएफ की 42 सदस्यीय टीम और 76 ऑर्म्ड बटालियन को भेजकर घायलों को सुरक्षित बचाने और मृत लोगों को बाहर निकालने का कदम सेना के जवानों ने उठाया, यह घटना उत्तराखंड में हुई बद्रीनाथ हादसे की याद दिलाती है, जिसमें मोदी और शिवराज की जुगलबंदी की सार्थक पहल और सेना के जवानों के जांबाज इरादों के कारण लोगों को मुसीबतों से निजात दिलाने में मदद प्रदान की गई थी। मध्यप्रदेश सरकार ने भी अपने लोगों को इस भयावह हादसे से निजात दिलाने के लिए दतिया के जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक और ग्वालियर की 30 सदस्यीय डॉक्टरों की टीम भेजकर अपने नेक इरादे बयां किए हैं कि वह अपने नागरिक की सलामती और सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है। 
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)


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