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आतंक के आगोश में धरती का स्वर्ग कश्मीर

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सुनील चौरसिया

यह वही कश्मीर है जिसे कभी धरती के स्वर्ग के नाम से जाना जाता था मगर अब आतंकवाद की आग में झुलस रहा है। एक समय की बात है जब दुनियाभर के सैलानी यहां के प्राकृतिक सौंदर्य को देखने की लालसा रखते थे, परन्तु वर्तमान में वहां जाने से भी कतराते हैं। कश्मीर अभी भी वही है, लेकिन वहां का माहौल बदल गया है। वहां के सुकून को आतंकवाद की नजर लग गई है, शांति और खुशनुमा माहौल, अशांति और खौफ में परिवर्तित हो गया है। यहां के हालात दिनोंदिन बिगड़ते जा रहे हैं।
वर्तमान समय में कश्मीर में आतंकवाद की समस्या विकराल होती जा रही है। यहां के नौजवान आतंकवाद के दलदल में बुरी तरह फंसते जा रहे हैं। कश्मीर घाटी के नौजवानों को भारत के खिलाफ भड़काया जा रहा है, उनके मन में नफरत की आग पैदा की जा रही है। अलगाववादी ताकतें वहां के मासूम लोगों के मन में भारत के खिलाफ नफरत भरकर अपनी रोटी सेंकने में लगी हुई हैं। वहां की अवाम यह भूल गई है कि भारत ही है जिसके दम पर आज तक वे सुरक्षित हैं, वरना कब के पाकिस्तानी गुलाम बनकर बिलबिला रहे होते।
 
यहां के बेरोजगार नौजवान अलगाववादी ताकतों की कठपुतली बनकर चंद सिक्कों के लिए अपनी वादियों में खून-खराबा करके आतंक को बढ़ावा दे रहे हैं। इस तरह वे अपने पथ से भटककर अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं। वे पाकिस्तान के मंसूबों से अंजान बने हुए हैं। यह वही पाकिस्तान है जहां पर चुनाव का मुख्य एजेंडा कश्मीर को अपने कब्जे में करने का होता है। इसके लिए पाकिस्तान हमेशा से ही कश्मीर का राग आलापते रहता है और आए दिन जम्मू-कश्मीर में तनाव की स्थिति पैदा करता रहता है।
 
अलगाववादी और अन्य नेतागण अपनी अहमियत बनाए रखने के लिए कश्मीर की आजादी का राग आलापते रहते हैं। इनकी पूरी कवायद धारा 370 को बनाए रखने के लिए होती है। यह भारत के प्रति दुष्प्रचार कर लोगों को गुमराह करते रहते हैं। इस विकास विरोधी प्रावधान को वहां के अलगाववादी नेता और सत्ता का आनंद लेने वाली पार्टियां अपने स्वार्थ के लिए बनाए रखना चाहती हैं क्योंकि यह धारा उनकी सियासत को बनाए रखने में कारगर साधन बन गई है। कुदरती तौर पर अत्यधिक समृद्ध होने के बावजूद इस राज्य के शासक इसे दीन-हीन राज्य बनाए रखने पर तुले हुए हैं। यहां की माली हालत इतनी खराब है कि सरकारी कर्मचारियों के वेतन का 86 प्रतिशत हिस्सा केन्द्र सरकार देता है।
 
अब समय आ गया है कि यहां की अवाम और युवाशक्ति इस बात पर विचार करे कि क्या आतंकवाद के माध्यम से कश्मीर में खुशहाली और उन्नति संभव है। वे मुख्यधारा से कटकर किस प्रकार कश्मीर का भला कर रहे हैं? मुख्यधारा से भटके भारतीय कश्मीर के युवाओं को देखना चाहिए कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में लोगों की स्थिति क्या है? पीओके में लोगों पर सरकार अत्याचार कर रही है और पाकिस्तान के खिलाफ उठने वाली हर आवाज को बंदूक की मदद से दबा दिया जाता है। नौकरियों में भी पाकिस्तानी युवकों को ही तरजीह दी जाती है।
 
भारत से अलग होने पर कश्मीर का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। इस तरह की आजादी किस काम की जिससे कि वजूद ही समाप्त हो जाए। दरअसल, भारत को अपना मानकर अलगाववादी ताकतों का तिरस्कार करने की जरूरत है। कश्मीर की जनता के लिए असली आजादी भारत में पूर्ण विलय से ही संभव है। इससे ही कश्मीर में चारों ओर खुशहाली का वातावरण बनेगा और यह भारत के सबसे खूबसूरत एवं उन्नत राज्य के रूप में विकसित होगा।

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