सबसे बुरा आदमी ही सबसे महान संत होता है,
जब हम बहुत बुरे होते हैं, तो बहुत महान तरीके से अपने पापों का ‘कन्फेशन’ कर लेते हैं पूरी दुनिया के सामने। बहुत सफाई से। पूरी विनम्रता के साथ। और बहुत ही ग्रैसफुली भी।
फिर इस तरह हमें लगता है कि हमने गंगा में ‘पवित्र स्नान’ कर लिया। वॉकिन फीनिक्स ने पिछली रात यही किया। दुनिया के सामने। उसने अपने सारे पाप स्वीकार लिए और बरी हो गया। सामने बैठी हुई दुनिया ने उसके कन्फेशन को किसी ‘प्रीचिंग’ की तरह ग्रहण कर लिया- और उस पर ताली भी बजा डाली।
दरअसल, इस तरह के ‘कन्फेशन’ की ध्वनि इतनी महीन होती है कि वो हमें किसी हवा, धुएं या ओस की तरह नजर आता है।
फीनिक्स का कन्फेशन भी वैसा ही था, हवा, धुएं और ओस की तरह। यह सब हमारे भीतर घटित होता है। लेकिन नजर बाहर आता है, ठीक वैसे ही यह फीनिक्स के भीतर की उसकी अपनी बात थी। लेकिन हमने उसे उसके बाहर देखा और उसके बुरे कर्मों पर तालियां बजा डालीं।
एक आदमी जब अभिनेता हो, तो यह काम और भी बेहतरीन तरीके से कर सकता है। सबसे बुरा आदमी ही सबसे महान संत होता है, वॉकिन फीनिक्स की आंखों के पीछे उसका अतीत झिलमिला रहा था। कहीं तो कोई पाप छुपकर बैठा था उसकी झुकी हुई गर्दन और कंधों के इर्द-गिर्द जिसे वो बोलते वक्त टटोल रहा था। ढूंढ रहा था।
फिर भी, मैं मानता हूं कि- वॉकिन फीनिक्स एक अच्छा इंसान है। बहुत सारे बुरे लोगों के बीच थोड़ा कम बुरा होना अच्छा ही होता है।
खैर, वॉकिन फीनिक्स के बारे में मुझे इससे ज्यादा कुछ पता नहीं है कि वो एक बहुत अच्छा ‘जोकर’ है। किसी दिन पता करुंगा आखिर वो है कौन?
फिलहाल, उसके बहाने फ़्योदोर दोस्तोयेव्स्की याद आ गया। और उसका लिखा शॉर्ट नॉवेल ‘व्हाइट नाइट्स’। इस नॉवेल को बहुत खोजा लेकिन कहीं नहीं मिला। ई-बुक के रूप में इसका हिंदी अनुवाद मिला है, नाम है- रजत रातें।
साल 2008 में दोस्तोयेव्स्की के इस नॉवेल पर ‘टू लवर्स’ नाम की एक फिल्म बन चुकी है। जिसमें वॉकिन फीनिक्स ने काम किया था। बहुत ही सुंदर प्रेम कहानी है, लेकिन शायद दोस्तोयेव्स्की के नॉवेल जितनी नहीं।
सुंदर कहानियां बार-बार दोहराने से खत्म तो नहीं होती, लेकिन बदल जरूर जाती हैं, जैसे बार-बार करने से प्रेम खत्म तो नहीं होता, लेकिन बदल जरूर जाता है। वो बार-बार एक नया चार्म लेकर आता है, लेकिन वो नहीं जो सबसे पहले वाले प्रेम में था।
दोस्तोयेव्स्की की ‘व्हाइट नाइट्स’ पर 8 बार फ़िल्म बन चुकी हैं। जैसे अपने यहां हीर-रांझा और लैला-मजनू कई बार बन चुकी हैं।
लोग ‘जोकर’ से वॉकिन फीनिक्स को ज्यादा जानने लगे हैं, लेकिन वो उससे भी कहीं ज्यादा है।
ऑस्कर 2020 के मंच से वॉकिन फीनिक्स ने जो कहा, मैं उसे वैसे ही सुनने और समझने की कोशिश करुंगा जैसा उसने कहा है। उसने कहा था- ‘मैं जिंदगी भर एक बुरा इंसान रहा हूं, मैं काफी क्रूर भी रहा हूं और स्वार्थी भी। मेरे साथ काम करने में भी मुश्किलें आती हैं। लेकिन मैं उन लोगों का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं जिन्होंने मुझे दूसरा मौका दिया।'