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काव्यमय बाग : जाते हैं जब बाग में, बाग-बाग दिल होय…

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स्वरांगी साने

एक साधारण-सी तुकबंदी हर कोई समझता है कि, ‘हम जाते हैं जब बाग में, बाग-बाग दिल होय।’ लेकिन महाराष्ट्र में यह तुकबंदी, कविताओं की विराट फुलवारी तक ले जाती है। बगीचा मतलब फूल-पौधे, झूले-बच्चे…और यहाँ अब कविता भी। इसी साल मतलब 19 अप्रैल 2016 को पुणे के एरंडवणे स्थित कमला नेहरू बगीचे में काव्य प्रेमियों और स्कूली छात्रों के लिए कविता के बाग का उद्घाटन हुआ।
विभिन्न चित्रों के साथ यहाँ कविताएँ लिखी हुई देखी जा सकती हैं। इसके लिए वार्ड क्रमांक 36 की पार्षद माधुरी सहस्त्रबुद्धे ने तीन साल मेहनत की। प्रमुख कवि- कवयित्रियों की प्रकृति पर आधारित 30 कविताएँ यहाँ हैं। इस बगीचे में डॉ. नीलिमा गुंडी, डॉ. संगीता बर्वे, आश्लेषा महाजन, हेमा लेले आदि की कविताएँ हैं। चित्रकार रवि घैसास ने चित्र बनाए हैं।
 
ऐसा नहीं है कि महाराष्ट्र में ऐसा कोई बाग पहली बार बनी हो। सन 2008 में अपनी स्थापना के साथ कोंकण मराठी साहित्य परिषद अंबरनाथ शाखा ने अनूठे कार्यों की शुरुआत कर दी थी, जिसे सन 2010 में गति मिली। उसी साल परिषद के अध्यक्ष किरण येले और सचिव राजेश जगताप ने नगर परिषद से अनुमोदन कर स्वामी समर्थ चौराहे को संगीत उद्यान में तब्दील किया था। अब उसका नाम आनंदघन संगीत उद्यान है, जिसका शुभारंभ वरिष्ठ गायिका मुबारक बेगम ने किया था।
 
इससे पहले अंबरनाथ के एक उजाड़ वीराने को कविता की बगिया में बदला जा चुका है। अंबरनाथ के हुतात्मा चौराहे पर छह हजार वर्गफुट में फैला एक बगीचा हुआ करता था। कभी वहाँ बच्चे खेला करते थे लेकिन वक्त के साथ वह उजाड़ मैदान में बदल गया। लोगों ने वहाँ जाना बंद कर दिया तो वहाँ जुआरी, शराबी आने लगे थे। पुलिस-प्रशासन को ठेंगा दिखाते हुए वह जगह गुंडों-मवालियों की शरण स्थली बन गई थी। अंबरनाथ के प्रवेश-पथ पर लगने वाले इस बगीचे के आस-पास घने झाड़-झंखाड़ उग आए थे और आम लोग वहाँ जाने से कतराने लगे थे। 
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कवि-पटकथाकार किरण येले के लिए यह बर्दाश्त से बाहर था। उन्होंने सचिव जगताप और उमेश नाडकर से बात की। बगीचे को सौंदर्य स्थल में बदला जाए इस पर सहमति बनी, लेकिन खतरा था कि शहर के बाहर होने की वजह से उस स्थान को फिर आवारा लोगों का अड्डा बनने में देर नहीं लगेगी। ऐसा कुछ किया जाना लाज़मी था कि आम जनता ख़ुदबख़ुद वहाँ खिंची चली आए।
 
नगराध्यक्ष और कोंकण साहित्य परिषद के सुनील चौधरी के सामने एक प्रस्ताव रखा गया कि यहाँ मराठी साहित्यकारों के चित्र लगाए जाए ताकि अगली पीढ़ी को उनसे प्रेरणा मिल सके। प्रस्ताव पारित हुआ और तैयार हुआ महाराष्ट्र का पहला साहित्य उद्यान, पद्मश्री मधु मंगेश कर्णिक साहित्य उद्यान (बालोद्यान)। विधिवत उद्घाटन 26 जनवरी 2014 को पद्मश्री मधु मंगेश कर्णिक की उपस्थिति में सांसद एकनाथ शिंदे ने किया। 
 
किरण बताते हैं, यहाँ उन 88 मराठी साहित्यकारों की जानकारी दी गई, जो अब इस दुनिया में नहीं रहे। उन साहित्यकारों का जन्मस्थान, जन्म की तारीख़, मृत्यु दिनांक, उनकी किताबों के नाम, लेखांश और चित्र यहाँ एक ही जगह उपलब्ध है। सन 1955 से जिन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला ऐसे सभी लेखकों के नाम और साहित्यकृति की सूची भी यहाँ है। बगीचे की परिधि पर लगे सात खंभों पर यह जानकारी लगाई गई है।
 
प्रवेश के साथ संत साहित्य के दर्शन होते हैं। संत ज्ञानेश्वर, संत तुकाराम, संत रामदास, संत नामदेव, संत कान्होपात्रा, संत चोखामेला और संत जनाबाई सात स्तंभों पर विराजमान है। इन स्तंभों के पृष्ठ भाग पर भारत रत्न पुरस्कार विजेता डॉ.पा.वा. काणे, डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर, और विनोबा भावे की जानकारी के साथ ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता मराठी साहित्यिक विंदा, कुसुमाग्रज और वि रा खांडेकर (सन 2014 तक) की जानकारी है। एक स्तंभ पर मधु मंगेश कर्णिक से संबंधित जानकारी है।
 
प्रवेश के बाद अंबरनाथ के स्वर्गीय साहित्यिकार-नाटककार बाल कोल्हटर और कवि भुजंग मेश्राम का शिल्प काव्य तथा शिवसेना प्रमुख बाला साहेब ठाकरे का 10 फीट का तैल चित्र है। बगीचे के मध्य में पाँच दालान हैं, जिनमें मराठी साहित्यकारों की जानकारी है- जैसे नवकथाकार गंगाधर गाडगील, लिटिल मैग्जीन्स के दिपू चित्रे, अरुण कोल्हाटकर, दुर्गाबाई भागवत, नामदेव ढसाल, भाउ पाध्ये आदि। साथ ही 15 बालसाहित्यकारों और कुछ शहीदों की जानकारी भी यहाँ देखने को मिलती है। मध्य में खुला मैदान और मंच है, जहाँ विविध कार्यक्रम नि:शुल्क किए जा सकते हैं।

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