कल तक अपने सबसे मजूबत और पड़ोसी मुल्क भारत को आंखे दिखाने वाले नेपाल अब अपने अंदरुनी संकट में ही फंस गया है। चीन की शह पर भारत को घूरने की हिमाकत करने वाले नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली फिलहाल अपनी कुर्सी को बचाने की कवायद में पसीना बहा रहे हैं।
कहा तो यहां तक जा रहा है कि जल्द ही वे अपने इस्तीफे की घोषणा कर सकते हैं। नेपाल के हालात पर वे शाम तक या देर रात तक राष्ट्र के नाम संबोधन भी दे सकते हैं। हालांकि कमाल की बात यह है कि नेपाल के अंदरुनी उठापटक के लिए भी वे भारत को जिम्मेदार बता रहे हैं। जबकि चीन के इशारे पर ओली की यह एक राजनीतिक चाल है।
दरअसल ओली और प्रचंड के बीच विवाद के बाद सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी ने पीएम ओली पर इस्तीफे का दबाव बना लिया है, हालात यह है कि ओली को राष्ट्रपति से मिलने जाना पड़ा।
इसके साथ ही स्थाई समिति में 44 सदस्यों में से सिर्फ 15 सदस्य ही केपी ओली के साथ हैं। इसके साथ ही प्रचंड ने जहां सरकार को हर मोर्चे पर विफल होने का आरोप लगाया, वहीं ओली ने प्रचंड को पार्टी चलाने में विफल करार दिया है। ऐसे में यह ‘पॉलिटिकल ड्रामा’ बेहद दिलचस्प हो चुका है।
उधर कम्युनिस्ट पार्टी के चेयरमैन और ओली के विरोधी पुष्प कमल दहल के घर पर भी सरकार के खिलाफ बैठकों का सिलसिला जारी है। उनके घर पार्टी महासचिव बिष्णु पोडेल, उप प्रधान मंत्री ईशोर पोखरेल, विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली, शंकर पोखरेल, प्रधान मंत्री ओली के मुख्य सलाहकार बिष्णु रिमल और उप संसदीय दल के नेता सुभाष नेमबांग पहुंचे। कहा जा रहा है कि सभी नेताओं ने प्रचंड से मुलाकात की और सरकार के कामकाज का रिव्यू किया है।
प्रचंड के साथ ही माधव कुमार नेपाल, झलनाथ खनाल और बामदेव गौतम सहित पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं से सीधे तौर पर ओली से पीएम और पार्टी के दोनों पदों से इस्तीफा देने की मांग की है।
भारी विरोध के बीच ओली का प्रधानमंत्री पद पर बने रहना अब मुश्किल लग रहा है। लेकिन नेपाल के इस सियासी घमासान को लेकर पीएम ओली सीधे तौर पर भारत पर आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने कुछ दिन पहले ही एक कार्यक्रम में भारत के ऊपर अपनी सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाया था। वहीं, खुफिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नेपाली पीएम देश में चीन की राजदूत हाओ यांकी के इशारे पर भारत विरोधी सभी कदम उठा रहे हैं।
कहा जाता है कि होओ का ओली के कार्यालय और निवास में अक्सर आना-जाना लगा रहता है। चीन के विदेश नीति के रणनीतिकारों के इशारे पर काम कर रही युवा चीनी राजदूत को नेपाल में सबसे शक्तिशाली विदेशी राजनयिकों में से एक माना जाता है। वो करीब 3 साल तक पाकिस्तान में भी काम कर चुकी हैं। इसके साथ ही चीन के विदेश मंत्रालय में एशियाई मामलों के विभाग में एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल चुकी हैं। बताया जा रहा है कि चीनी राजदूत कम्युनिस्ट पार्टी के आंतरिक मतभेदों को दूर करने में भी लगी हुई हैं।
ऐसे में नेपाल के राजनीतिक संकट के लिए ओली का भारत को जिम्मदार ठहराना भी एक राजनीतिक चालभर है। जबकि फिलहाल तो यह कुटनीति और चाल खुद ओली पर भारी पड़ती नजर आ रही है।