याद कीजिए, ऐसा ही हमला पिछले वर्ष 14 जुलाई को फ्रांस के नीस शहर में हुआ था। लोग फ्रांसीसी क्रांति के दौरान बास्तिल के पतन का जश्न मना रहे थे और एक ट्रक लिए आतंकवादी भीड़ में घुसा तथा लोगों को कुचलता चला गया। इसमें 90 लोगों की जान चली गई। उस दर्दनाक घटना ने पूरी दुनिया को यह बताया कि आतंकवादी हमले की एक नई प्रणाली हमारे सामने आ गई है। लंदन के हमलावर को आप नए किस्म का आत्मघाती या अर्धआत्मघाती कह सकते हैं। उसे पता था कि जो क्रूर संहार वह करने जा रहा है, उसके बाद उसके मारे जाने की पूरी संभावना होगी। वैसे तो किसी तरह के आत्मघाती हमलावर से निपटना कठिन है, क्योंकि कोई व्यक्ति यदि चलता-फिरता बम बन जाए, तो वह कहीं भी कहर बरपा सकता है। और ऐसे हमलावर से तो और भी ज्यादा कठिन है जिसने उसी चीज को हथियार बना लिया जो उसके पास है।