Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

विलुप्त होती गुदना कला

Advertiesment
हमें फॉलो करें विलुप्त होती गुदना कला
webdunia

संजय वर्मा 'दृष्ट‍ि'

विदेशों में टैटू यानि गुदना कला, सौंदर्यता की चकाचौंध को बढ़ावा देने व अपने को जो अच्छा लगे, उन प्रतीक चिन्हों को शरीर पर बनाए जाने का चलन जोरों पर है। ग्रामीण क्षेत्रों में गुदना कला को लोग वर्षों से बनवाते आ रहे हैं किंतु वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों में इस कला का चलन धीरे-धीरे कम होता दिखाई दे रहा है।
विदेशों में यह फैशन का रूप ले चुकी है। विदेशों में और यहां भी पुरुष और महिलाएं एवं व्यस्क बच्चे भी गुदना (टैटू) बनवाते हैं। फिल्म "अशोका" में हीरो -हीरोइन ने भी अपने शरीर पर बनाकर सौंदर्यता को बढ़ावा दिया था।

गुदना कला यानि सौंदर्यता के वे चिन्ह, जिनसे स्थाई रूप से सजने-संवरने हेतु रोजाना से निजात मिलती है। कई गुदना कलाकार गुदना के चलन कम होने से दुखी हैं। वे स्वयं की तैयार की गई या पारंपरिक चित्रकारी को प्रयोग में लाते हैं।विदेशों में इसका प्रभाव बरकरार है किंतु यहां धीरे-धीरे कम होता दिखाई दे रहा है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

हर रोज अपने जीवन को नया अर्थ दें