उत्तर पूर्व दिशा से दक्षिण पूर्व बंगाल की खाड़ी तक तकरीबन 572 छोटे बड़े द्वीप समूहों को स्वयं में समेटे हुए अण्डमान निकोबार द्वीप समूह 8249 वर्ग किमी में पसरा हुआ है। इतना ही नहीं, उत्तर पूर्व से दक्षिण पूर्व तक तकरीबन 780 किमी में अपनी उपस्थिति दर्ज कराए हुए हैं।
वास्तव में अण्डमान निकोबार द्वीप समूह हिमालय पर्वत की श्रृंखला बनकर बंगाल की खाड़ी तक बिखरकर अराकन योमा पर्वतमाला के रूप में विश्व क्षितिज पर प्राकृतिक सौन्दर्यता के लिए विख्यात है। प्राकृतिक सुंदरता से भरा पूरा एवं धरती का स्वर्ग कहा जाने वाला यह द्वीप समूह अपनी अद्वितीय सौन्दर्य से हर एक को आकर्षित कर ही लेता है। चंद्रमा की कोर नुमा बिखरे एवं समंदर की गोद में समाए हुए इन टापुओं की खूबसूरती प्रत्येक की नग्न आंखों में एक नई ताजगी भर देती है। यही वजह है कि साल 2004 में टाइम मैगजीन की ओर से राधानगर को एशिया का बेस्ट बीच बताया गया था।
समूचा अण्डमान निकोबार द्वीप समूह तीन जिलों में विभाजित है -
1 - साउथ अण्डमान
2 - निकोबार
3 - नार्थ एवं मिडिल अण्डमान
साउथ अण्डमान के अंतर्गत दक्षिणी अण्डमान एवं लिटिल अण्डमान आते हैं। निकोबार जिला कारनिकोबार, नानकौरी, ग्रेट निकोबार व समंदर में बिखरे अन्य कई द्वीपों को समाहित किए हुए हैं। नार्थ एवं मिडिल अण्डमान जिले में दिगलीपुर मायाबंदर, रंगत, कदमतला और बाराटांग द्वीप समूह आते हैं।
क्रांतिवीरों की पुण्य भूमि कहा जाने वाला पोर्टब्लेयर, अण्डमान निकोबार द्वीप समूह की राजधानी है। भारत के सबसे नजदीकी चेन्नई छोर से तकरीबन 1200 किमी दूर बंगाल की खाड़ी में शोभायमान यह द्वीप समूह सुमात्रा (इंड़ोनेशिया) से तकरीबन 137 किमी एवं पड़ोसी मुल्क वर्मा, थायलैण्ड, बग्लादेश से भी अत्यंत करीब है। यह द्वीप समूह जहां एक ओर सदाबहार घनें जंगलों एवं प्राकृतिक सौंदर्य से भरा पूरा है, वहीं दूसरी ओर यहां के जंगल सभ्य मानव समाज के लिए किसी अजायबघर से कम नहीं है। ये द्वीप समूह ऊंचे नीचे होने के साथ साथ विभिन्न जयवायु एवं 85% से अधिक वन क्षेत्रों से सुसज्जित है। मई से अक्टूबर तक यहां भारी बरसात यानी तकरीबन 3180 मि.मी. जल वृष्टि होती है। अनेकों मूल्यवान वनस्पतियों से परिपूर्ण होने की वजह से ही यहां पर आयुर्वेदिक दवाओं के लिए बड़े पैमाने पर अनुसंधान चल रहा है।
निग्रोव नस्ल के सेंटीनल, जरावा, ओंगी, ग्रेट अण्डमानी, मंगोली नस्ल के शोम्पेन तथा निकोबारी आदिम जनजाति एक साथ निवास करके विविधता में एकता कायम रखे हुए हैं। जिनमें आज भी पाषाणयुगीन मानव की झलक देखने को मिलती है। पर्यावरणीय दुर्लभता के साथ साथ कई विशेष प्रकार के पशु पक्षी एवं जीव-जंतु भी यहां पाए जाते हैं, जो कि विश्व में अन्यत्र कहीं नही मिलते हैं। यह भी एक खास वजह है कि ये द्वीप समूह शोधकर्ताओं को लगातार आकर्षित करते रहते हैं।
सन् 2011 की जनगणना के अनुसार देश के इन लोकप्रिय द्वीपों की आबादी 380381 है और इसका घनत्व 46 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर का है। यहां का लिंग अनुपात 1000 पुरूषों के मुकाबले 878 महिलाओं का है। इन द्वीपों की मुख्य भाषा निकोबारी है। हालांकि आधिकारिक भाषाएं जैसे हिंदी, बंगाली, तमिल, तेलुगु और अंग्रेजी भी यहां व्यापक रूप से बोली जाती हैं।
बैरन द्वीप पर भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी है। यह द्वीप लगभग 3 किमी. में फैला है। यहां का ज्वालामुखी 28 मई 2005 में फटा था। तब से अब तक इससे लावा निकल रहा है। भारत में मड-वोल्केनो (कीचड़ ज्वालामुखी) भी सिर्फ अंडमान में ही पाए जाते हैं। पंक (कीचड़) ज्वालामुखी सामान्यतया एक लघु व अस्थायी संरचना हैं जो पृथ्वी के अंदर जैव व कार्बनिक पदाथों के अपक्षय से उत्सर्जित प्राकृतिक गैस द्वारा निर्मित होते हैं। गैस जैसे-जैसे अंदर से कीचड़ को बाहर फेंकती है, यह जमा होकर कठोर होती जाती है। वक्त के साथ यही पंक ज्वालामुखी का रुप ले लेती है, जिसके क्रेटर से कीचड़, गैस व पत्थर निकलता रहता है।
अंडमान और निकोबार के 572 द्वीपों का समूह अपने स्वच्छ पर्यावरण और पानी की साफ धाराओं के चलते किसी भी प्रकृतिवादी के लिए स्वर्ग से कम नहीं है। सैलानियों के लिए इस जगह के कुछ खास आकर्षणों में हरे भरे जंगलों से पटे अलग अलग पहाड़ी इलाके और समुद्री तट हैं। ये द्वीप अपनी एडवेंचर गतिविधियों जैसे स्कूबा डाइविंग, ट्रेकिंग, स्नॉर्कलिंग, केंपिंग और अन्य जलक्रीड़ाओं के लिए भी जाने जाते हैं। भारत की मुख्य भूमि से अलग यह जगह तैरते एम्राल्ड द्वीपों और चट्टानों का समूह है। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह नारियल और खजूर की सीमा वाले, पारदर्शी पानी वाले, आकर्षक और खूबसूरत समुद्री तटों और उसके पानी के नीचे कोरल और अन्य समुद्री जीवन के लिए मशहूर हैं। यहां की प्रदूषण रहित हवा, पौधों और जानवरों की नायाब प्रजातियों की मौजूदगी की वजह से आपको इस जगह से प्यार हो जाता है।