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मेरी पाकिस्तान यात्रा : ब्रिटिश काल की याद दिलाती जगहें, हिंदुओं का कंप्रोमाइज और मददगार पाकिस्तानी

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, शनिवार, 28 अक्टूबर 2023 (17:33 IST)
- पंडित गिरीश व्यास (ज्योतिषाचार्य)
इंदौर के ज्योतिषाचार्य पंडित गिरीश व्यास ने 19 सितंबर से 09 अक्टूबर तक पाकिस्तान की यात्रा की। वह कुल 16 दिन पाकिस्तान में रहे। इस दौरान उन्होंने वहां की धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक हालातों को नजदीक से देखा। हिंदुओं की स्थिति, उनके पूजा-पाठ, रहन-सहन के तरीकों को करीब से देखा और जाना। इस लेख में आप पढ़िए पाकिस्तान के सूरते-हाल और पंडित गिरीश व्यास का प्रवास उन्हीं की जुबानी

हमने 19 सितंबर 2023 को साईं कमल पूरी जी जिनका इंदौर और जेकोबावाद पाकिस्तान में भी दरबार है, उनके साथ इंदौर से पाकिस्तान की यात्रा प्रारंभ की। इंदौर-अमृतसर एक्सप्रेस से हम अमृतसर पहुंचे। एक दिन वहां रुकने के बाद हम अटारी बॉर्डर गए। हमारे समान आदि चेक किए जाने के बाद बस द्वारा वाघा बॉर्डर की ओर पहुंचे। वहां पर पाकिस्तान बॉर्डर में हमारा सामान दोबारा चेक किया गया। सामान्य रूप से चेकिंग हुई क्योंकि वहां प्रोटोकॉल था और वहां के राइस मिल बड़े व्यापारी वासु लाल जी, टीकम उस्ताद अरुण जी और विक्रम जी हमें लेने आए थे।

स्टेशन पर उन्होंने हमारा स्वागत किया और इसके बाद हमने पाकिस्तान में प्रवेश किया। जैसे ही हम पाकिस्तान के आगे बढ़े और लाहौर पहुंचे, तो वहां पर मेट्रो को देखकर अचंभित हुए। वहां का रख-रखाव सिटी व्यवस्थाएं सब अच्छी थीं। पाकिस्तान को लेकर जैसे पूर्वाग्रह पहले से मन में थे, वैसा देखने को कम मिला। हम लाहौर में लालबाग गए, जहां पर गुरुद्वारे को बहुत अच्छी प्रकार से  संजोया गया है। वहां के लंगर का प्रसाद चखा। सुबह उठकर हम लालबाग एवं मिनारे पाकिस्तान के गार्डन पहुंचे। शाम को 4:30 बजे लाहौर से जकोबाबाद की ट्रेन में हम बैठे।

यहां की ट्रेन और इंडिया की ट्रेन से काफी अंतर दिखा। लाहौर स्टेशन आज भी अंग्रेजों के समय का बना हुआ है और ब्रिटिश काल की याद दिलाता है। इसको देखने से ऐसा लगता है कि हम अंग्रेजों के काल में आ गए हैं। ट्रेन में बैठकर हम सुबह 9 बजे जकोबाबाद पहुंचे, जहां पर 300 से 400 लोगों के साथ जहां पर 300 से 400 लोगों के साथ स्वामी कृष्ण गिरी दरबार से साईं गौतम गिरी जी हमें और साईं कमल पूरी जी को लेने पुरानी शहनाई के साथ आए और हमारा भव्य स्वागत हुआ।

फिर स्टेशन के बाहर निकलकर हम हिंडोरे वाले दरबार पहुंचे, जहां पर प्रतिष्ठा होनी थी। वहां की परंपरा है कि जो भी व्यक्ति आता है वहां के आस-पास के सभी लोग आते हैं और उनका स्वागत करते हैं। हाल-चाल पूछते हैं, परंतु वहां के हाल-चाल पूछने का रिवाज कुछ और ही है।

कहते हैं शुरू से लेकर आखिरी तक जहां से आप चले हैं और आप यहां तक आए हैं, आपने क्या-क्या किया, क्या खाया, क्या पिया, कैसे सोए सब छोटी-छोटी बातों का वृतांत बताना होता है और हमें भी वैसे ही बताना होता है तो करीबन 10 से 15 मिनट बताने में लगते हैं। हम यहां से चलें यहां तक आए इसके बीच में मुल्तान आया। मुल्तान का हमने हलवा लिया। यहां हमने सेब खाए, इस प्रकार से वह सब चीज बताना होती थी। एक दिन हमने आराम किया फिर दूसरे दिन से पूजन प्रारंभ हुआ। बहुत बड़ा दरबार था, जिसमें 16 मूर्तियों दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती, हनुमान जी, राम दरबार, कृष्ण दरबार नानक देव जी, झूलेलाल जी, तथा शिव परिवार एवं शिवलिंग की स्थापना हुई।
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24 सितंबर 2023 से 28 सितंबर 2023 तक इन सभी मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा 800 से 1000 लोगों के बीच हमने की। सुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक प्रतिष्ठा का समय रहता था, जो भली प्रकार से हुई और सभी लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इसके बाद 29 सितंबर 2023 को एक बड़ा हवन हुआ, जिसमें पंच कुंडीय यज्ञ किया गया। विभिन्न प्रकार की समस्याओं के निदान के लिए वह हवन था, जिसमें 550 लोगों ने आहुतियां दी।
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स्थानीय लोगों ने दिखाई जन्म-कुंडली : उसके बाद जन्म कुंडलियों के अध्ययन का दौर प्रारंभ हुआ। इसमें करीब 1500 लोगों की पत्रिकाएं 27 सितंबर से 09 अक्टूबर 2023 तक मैंने देखी। इसी बीच हमारा जकोबाबाद घूमना भी हुआ, बाईपास की चाय, शमशान में भोलेनाथ जी की मूर्ति के दर्शन किए तथा श्री कृष्ण गौ शाला जहां 450 देसी गाय थी। इसमें पुरानी नस्ल के गायें थीं, जिसमें गोल सिंह वाली गायें अब लुप्तप्राय हो गई हैं, वह वहां पर थीं। गायों के चरने के लिए डेढ़ लाख स्क्वायर फीट की जगह थी। वहीं करीब एक लाख स्क्वायर फीट में उनका रहना, खाना, गार्डन लोगों के आवाजाही की व्यवस्था की गई थी, बड़ी सुंदर व्यवस्था थी।

श्राद्ध के दिन वहां पर गो-तृण दान में किया गया। इसमें इंटरनेशनल एनजीओ में श्राद्ध के महत्व और अपने बुजुर्गों के सम्मान में एक इंटरव्यू भी हमने दिया। श्राद्ध पक्ष में करीब 400 से 500 लोगों के बीच गीता पर हमारा व्याख्यान हुआ, जिसमें सभी ने 2 घंटे तक व्याख्यान सुना और कहा कि पहली बार इतना लंबा सत्संग किया है।
सबसे अच्छी बात यह है कि वहां पर हमें कहीं जाना नहीं पड़ा एवं वेरिफिकेशन के लिए भी कंट्रोल रूम से लोग हमारे पास आ गए और एग्जिट के लिए भी वह हमारे पास आए। दिनचर्या में प्रातः 10:00 बजे से रात को 3:00 बजे तक जगना होता है एवं कभी-कभी छह छह जगह ड्राई फ्रूट्स और फल खाने जाना पड़ता था। और अंतिम के 4 दिनों में हम सुबह 08:00 से रात्रि 05:00 बजे तक जगे क्यूंकि भक्तो की भीड़ पत्रिका दिखाने के लिए दूर दूर से आया करती थी।

हिंदू धर्म और प्रतीकों का नहीं कर सकते दिखावा : हर देश का अपना एक कानून होता है, जिसमें पाकिस्तान एक इस्लामिक देश है। वहां उसके नियमानुसार हमें चलना होता है। वहां आप तिलक नहीं लगा सकते हैं। किसी भी मंदिर को प्रत्यक्ष प्रदर्शित नहीं कर सकते हैं। आपको एक गेट बाद एक पर्दा लगाना होगा। उसके अंदर आप जो काम करना चाहें, वो करें। उसमें उनकी कोई आपत्ति नहीं है। बाहर आप झंडा, चेहरे पर तिलक, धोती आदि जो भी हिंदू वर्ग से संबंधित है, वहां नहीं पहन सकते हैं। वहां पुराने मंदिरों में झंडे जरूर बाहर लगे है परंतु सामान्य मंदिरों में लगाना मुस्कील वहां पठानी लिबास ही पहना जाता है और महिलाओं को चेहरा ढंककर रहना होता है।

हिंदू वर्ग को सपोर्ट, लेकिन करना होता है कंप्रोमाइज : हिंदू वर्ग को राजनीतिक पार्टियां काफी सपोर्ट करती हैं। वह मानती हैं कि हिंदू हमेशा सच कहता है। अधिकतर हमने देखा कि बड़े व्यापारी जो हैं वो हिंदू रहे और उनके यहां मुस्लिम लोग नौकरी करते दिखे। मुस्लिम वर्ग का बड़ा संप्रदाय हिंदुओं को थोड़ा दबाता जरूर है और हमें कहीं न कहीं कंप्रोमाइज करके चलना होता है। जितने समय हम वहां रहे, हमें किसी प्रकार की दिक्कत नहीं हुई। ज्यादा से ज्यादा लोग हमसे मिलने आए और मुस्लिम वर्ग ने भी अपनी चिंताओं को व्यक्त किया।

नूरवहा के भजिए और वहां की चाय : वहां से काफी हिंदू भारत में आए हैं और एक सफल जीवन जीने का प्रयास करते हैं। और भी लोग वहां की महंगाई को लेकर डर रहे हैं, जिस वजह से वह भारत आना चाहते हैं। वहां महंगाई काफी है और सामान्य व्यक्ति को जीवन यापन करने में काफी तकलीफों का सामना करना पड़ता है।

अस्पताल और डॉक्टरों की कमी, लोग हैं मददगार : अस्पताल और डॉक्टर कम हैं। लोगों में एक दूसरे की सहायता करने की इच्छाएं प्रबल हैं। अपने वर्ग का व्यक्ति अपने वर्ग को काफी बढ़ाता है। जो जिस क्षेत्र में माहिर है, वह ज्यादा से ज्यादा मदद करता है, जिससे हमारा वर्ग आगे बढ़े। हमारा व्यक्ति आगे बढ़े, ऐसी इच्छाओं से वह चलता है। वहां लोगों में काफी प्रेम है और आपसी तालमेल काफी अच्छा है, जिससे अपनी बात को साधारणतया कह देते हैं। अपने यहां से ज्यादा समस्याओं का घेरा वहां है। क्योंकि मैंने पत्रिकाएं वहां अध्ययन की, तो हर व्यक्ति वहां पर ज्यादा परेशान है। जितना हो सका ज्यादा से ज्यादा लोगों का निदान कृष्ण मूर्ति पद्धति से किया।
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सरकार ने बहुत मदद की : लोगों का प्यार-दुलार काफी मिला। इसी वजह से हमारे लिए बिना डरे वहां रहना मुकम्मल हो सका। सरकारी डिपार्टमेंट से भी हमेशा यह कॉल आए कि आपको यदि सिक्योरिटी चाहिए, तो हम आपको दे सकते हैं। सरकार ने भी हमारी काफी सहायता की और हमारे आस-पास कोई न कोई ऑब्जरवेशन के लिए होता था, जो हमें अंतिम दिन पता चला। हमारे इंडियन बॉर्डर पर भी एक अच्छी बात देखने को मिली। पाकिस्तान से आने वाले हिंदुओं की काफी सहायता की जाती है।

ॐ ध्वनि का कराया अभ्यास : सभी श्रद्धालु गण द्वारा हवन पर बैठे ॐ के बारे में जानकारी प्राप्त की और किस प्रकार ओम ध्वनि का प्रयास करना है आचार्य गिरीश जी व्यास के द्वारा सिखाया गया। इस अनुष्ठान में 500 से 600 लोगों ने अपना समय दिया और ॐ का अभ्यास किया। ॐ के विषय में लोगों द्वारा कई प्रकार के प्रश्न भी पूछे गए।

आचार्य गिरीश व्यास का पाकिस्तान में गीता प्रवचन :  05 अक्टूबर 2023 को गीता पर प्रवचन करने का अवसर प्राप्त हुआ, जिसमें 350 लोगों ने सहभागिता निभाई तथा अचार्य गिरीश व्यास जी के द्वारा प्रेम, कर्म और धर्म के विषय में गीता के श्लोकों द्वारा सकल व्याख्यान दिया तथा प्रेम को एक एहसास के रूप में प्रस्तुत प्रस्तुत करते हुए उदाहरणार्थ भारत–श्री राम,  गोपी–कृष्णा तथा मां का बेटे के प्रति प्रेम को सही प्रेम बताया और पंडित: सम दर्शीन: का उद्घोष किया।
Edited By : Navin Rangiyal

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