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बातचीत बंद : सही निर्णय

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संजय वर्मा 'दृष्ट‍ि'

पाकिस्तान के साथ हमारी बातचीत की पहल हमेशा मैत्रीपूर्ण एवं सहयोग पूर्ण रही। किंतु जब भी भारत में राष्ट्रीय त्योहार/धार्मिक त्योहार आते हैं, तो पाकिस्तान की ओर से ही आतंकी आकर अस्थिरता पैदा करते हैं, जिसके कारण सार्थक बातचीत के पहलू बिखर जाते हैं।


बाघाबार्डर, चमियालमेले, गायन, संगीत, खेल, फिल्म कलाकार आदि के जरिए तो हमारी पुनीत भावना जाग्रत होती है और हम पाकिस्तान के राजनीतिज्ञों के भारत आने पर सौहार्दपूर्ण रस्म अदाएगी करने लग जाते हैं।
 
पाक आतंकियों को पनाह और प्रशिक्षण क्यों दे रहा है? जब आतंक की फसल पाक बोएगा तो वहां आतंकियों की भरमार तो होगी ही। जब तक आतंक पर पाक का अंकुश नहीं होगा, तब तक दोनों देशों के मध्य की जाने वाली वार्ता समस्या और समाधान की सफलता अर्जित नहीं कर सकेगी।
 
एक दिन एक बुद्धिजीवी को ख्याल आया, क्योंकि मच्छरों ने उन्हें उस समय काटा, जब वो टीवी पर प्रसारित हो रही आतंकवादियों के हमले की खबरें देख रहे थे  एवं अखबारों में भारत के आंतरिक मामलों में पाक की दखलंदाजी एवं संघर्ष विराम का उल्लंघन के कारण भारत का सख्त कदम "पाकिस्तान से बातचीत बंद" को पढ़ भी रहे थे, तब उन्होंने सोचा, वाकई अब ये सही निर्णय लिया। 
 
तो वे कागज उठाकर मच्छरों और आतंकवादियों में समानता की रचना दनादन रपटने लगे। उन्होंने लिखा कि मच्छरों को मारने के इंतजाम होने के बावजूद वो खत्म नहीं हो पा रहे हैं। वैसे ही आतंकवादी भी हैं, जो देश में धार्मिक एवं राष्ट्रीय त्यौहारों पर घुसपैठ का प्रयत्न करते हैं। मच्छर कब काट लें, यह कोई नहीं जानता, आतंकवादी तरह-तरह के विस्फोट करने के फार्मूले अपनाते हैं। इंसान घरों में मच्छरों से, तो बाहर आतंवादियों से त्रस्त रहते हैं। विशेषकर जम्मू-कश्मीर के क्षेत्रों में। मच्छरों को आंसू नहीं आते, वैसे ही आतंकवादियों को दहशत फैलाने के बाद वीभत्स दृश्यों से आंसू नहीं आते विस्फोटों से। छीन जाते हैं बच्चों से उनके मां -बाप और मां-बाप से उनके बच्चे। और हम गिनने लग जाते मरने और घायल होने वालों की संख्या। क्यों नहीं खत्म कर पा रहे हम उनके आतंकी स्वभाव को?
शायद हम बुजदिल हो गए हैं। तभी तो वो निर्दोषों की हर बार जान ले रहे हैं और हम दशहत भरी भीड़ में देख रहे, रोते हुए तमाशा। शायद कहीं आतंक का प्रदूषण स्वच्छ वायु को छीन तो नहीं रहा केसर की क्यारियों के चमन से? यही सोचता हूं ! कहीं ऐसा न हो जाए हौंसलों का अर्थ ही हम भूल जाएं और आतंक हम पर हावी होता जाए। आतंकवादियों और मच्छरों को रोकने का उपाय क्या हमारे पास है? आतंक का सफाया कब करेंगे ये शायद वक्त से पूछना पड़ेगा। यह सोचता हूं । 
 
देश ने सही निर्णय लिया है। आतंक वादियों की हरकतों को वर्षों से झेल रहे हैं। यह देश की सीमा में प्रवेश कर देश में अस्थिरता फैलाने की कोशिश करते रहते हैं। देश में जान माल की हानि ना होने पावे, इस हेतु सुरक्षा प्रणाली हर वक्त चौकन्ना रहती है। आम जनता को भी चाहिए की वो देश के रक्षकों की सहायता। जहां  संधिग्ध वस्तु/व्यक्ति दिखे तुरंत इसकी सूचना देवें ताकि आतंवादियों को पकड़ा जा सके। आतंकवादियों के देश की सीमा मेंं घुसने के कारण देश में हाई-अलर्ट घोषित करना पड़ता है। सुरक्षा की दृष्टि से देश की सीमा पर सुरक्षा के दायरों को और मजबूत करना होगा, ताकि आतंकवादी देश में घुसने ना पाए। अंतरराष्ट्रीय स्तर की बैठकों मे आतंक को पनाह देने वाले देशों को काली सूची में डालकर, सहयोग देना बंद कर देना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाक की आतंकवादी गतिविधियों एवं आतंक को पनाह देने के कारण सभी देशों ने मिलकर सख्त कदम "पाकिस्तान से बातचीत बंद" का फार्मूला अपनाना होगा तभी विश्व शांति एवं मैत्री को धरती पर स्थापित कर सकते हैं।

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