Hanuman Chalisa

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

शक्तियां : ओस की बूंदों पर कविता

Advertiesment
हमें फॉलो करें ओस
संजय वर्मा "दृष्टि "

ओस,  
बैठी पत्तों में दुबककर । 
कुछ बूंदें दमक रही,  सुंदरियों के तन पर।
कुछ सजी हैं, मोतियों की, लड़ियों की तरह,  
बंधे तार पर  ।।


बूंदों की बारात देखकर,  
पीपल वृक्ष भी,  आशीर्वाद स्वरुप, 
न्यौछावर कर रहा फुआरें, 
बूंदों पर बूंदों की  ।।
 
बूंदों को भी भय सता रहा,  
वे याद करने लगीं,  अपनी दो पलों की,  
जिंदगी को  ।।
 
क्योंकि अब सूरज की किरणें,  
सुबह से ही, तपाने लगी वसुंधरा को । 
शायद ये बिगड़ते,  
पर्यावरण का नतीजा हो ।। 
 
ये बूंदें, पुनर्जन्म लेंगी, 
फिर से आने वाले मौसम में  ।
क्योंकि प्रकृति ने,  
इन्हें दे रखी हैं शक्तियां , 
बूंद -बूंद से सागर भरने की  ।।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi