Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

आओ रियलिटी शो बनाएं

हमें फॉलो करें आओ रियलिटी शो बनाएं
webdunia

मनोज लिमये

रविवार के पवित्र दिवस पर सांझ के समय जैसे ही टी.वी ऑन करो सर्वत्र रियलिटी शो नजर आते हैं। टी.वी. पर प्रस्तुत होने वाले इन रियलीटी शो में एक बात समान है कि यह सबके सब अनरियल लगते हैं। रियलिटी शो बनाना कोई कठिन काम नहीं है, आईए इसकी रेसिपी नोट करें -  इसके आगमन से पूर्व टी.वी. पर हर 20-25 मिनट के बाद इसका विज्ञापन दिखाना आरंभ कर दीजिए तथा प्रतिभागियों से आव्हान कीजिए कि वो इसमें अपनी प्रतिभागिता हेतु आवेदन करें। 
 
जनता एस.एम.एस. भी करेगी, डी.वी.डी. भी भेजेगी और जहां बुलाया जाएगा वहां समय से पहले पहुंचेगी भी। अब प्रतिभागियों को हल्की आंच पर छोड़ने के  पश्चात कार्यक्रम के स्वादानुसार प्रस्तौता (एंकर) का चयन करें। प्रस्तौता रियलिटी शो को देखने वाली वाली जनता की रूचि के अनुसार होना चाहिए। किसी लोकप्रिय  धारावाहिक से पुरुष पात्र का चयन कर ले तथा एक अदद ऐसी लड़की का चयन सह प्रस्तौता के रूप में कर ले, जिसे कम कपड़े पहनने से गुरेज ना हो तथा बिना  बात के हंसने-रोने के नैसर्गिक गुण जिसमें विद्यमान हों। 
 
रियलि‍टी शो बनाने की शुरूआती तैयारी पूर्ण होने में बस अब जजों के चयन की कमी है। चुंकि शो रियलि‍टी है, इसलिए इसमें जज होना जरूरी है। जज का चयन  कोई कठिन काम नहीं है। संबंधित फील्ड का कोई भी ऐसा व्यक्ति जिसके पास अपेक्षाकृत फुर्सत हो जज बनने के लिए सुपात्र है। जज कितने होंगे, कौन होंगे, यह  शो के बजट पर निर्भर करता है। वैसे भी रियलि‍टी शो में जज बनने वाले लगभग 90 प्रतिशत ऐसे हैं, जो स्वयं स्ट्रगलर हैं तथा इसी शो के माध्यम से इनकी सही पहचान निर्मित होगी। जज बनने वाले व्यक्ति में निम्न एक-दो गुण हों तो अधिक बेहतर होगा - (1) वो समीप बैठे जज से पूर्णत: असहमत होना जानता हो। (2) कभी किसी विवाद की स्थिति (जो उसकी टिप्पणी से ही होगी) पर स्लोमोशन में स्टेज छोड़कर जाने का माद्दा रखता हो।
 
बस अब स्टेज का सारा मटेरियल तैयार है। अच्छा समय देखकर शो आरंभ कर दीजिए। दो-तीन ऐपिसोड प्रसारित होते-होते प्रतिभागियों के पारिवारिक किस्सों को  सार्वजनिक करना प्रारंभ कर दीजिए और प्रतिभागियों से कहिए कि वो जनता से वोट मांगे। प्रतिभागियों की यह व्यक्तिगत बातें जैसे उनका रोना-धोना, उनके  आपसी प्रेम-प्रसंग, जजों की उल-जलुल टिप्पणि‍यां, माता-पिता का गिड़गिड़ाना, सब मिलकर जनता के मस्तिष्क पर हावी हो जाएंगे। इन किस्सों का ऐसेंस टी.आर. पी. की तथाकथित फिजा में ऐसा घुलेगा कि जनता कस्तूरी मृग सी मगन होकर वोटिंग करने लगेगी। 
 
सेमीफाईनल की अवस्था तक इसमें थोड़ा-सा क्षेत्रवाद का तड़का लगा दीजिए। प्रतिभागियों से कहिए कि क्षेत्रीय भाषा में वोट मांगे। प्रतिभागियों की इन हरकतों के  मंथन से प्राप्त दही को न्यूज चैनल वालों को भी परोस दीजिए, वे वैसे ही समाचारों के अभाव से ग्रस्त हैं। न्यूज के नाम पर जनता को एक-एक चम्मच खिलाते  रहेंगे और जनता के दिमाग का दही कर देंगे। जब अपना रियलीटी शो फाईनल की अवस्था में प्रवेश करने लगे तो फिल्मी सितारों को उनकी फिल्मों के प्रचार हेतु  मंच पर आमंत्रित कर लें। 
 
रियलीटी शो कोई भी जीते असल विजेता इसे बनाने वाला ही होगा। वैसे भी आज तक जितने प्रतियोगी इस प्रकार के रियलीटी शो के विजेता रहे हैं उनमें से (कुछ  अपवाद छोड़कर) कोई भी विशेष उपलब्धि हासिल नहीं कर पाया है। रियलि‍टी शो की रेसिपी से यह स्पष्ट है कि छोटे बक्से की बढ़ती लोकप्रियता से कोई आपत्ति  नहीं है। सवाल है इसमें कार्यक्रमों के गिरते  स्तर का। यदि कोई चैनल इस पक्ष पर ध्यान दे तो  बेहतर, अन्यथा कल से एक रियलिटी शो फिर चालू हो ही रहा है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

कहानी : धचाक्‌...