Dharma Sangrah

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

शरद पूर्णिमा : उगियो शरद पूनम रो चांद

Advertiesment
हमें फॉलो करें शरद पूर्णिमा
-डॉ. अखिलेश बार्चे
शरद पूर्णिमा का चंद्रमा, चांदनी रात, शीतल पवन और अमृत वर्षा करता आकाश, जिस दिव्य वातावरण की सर्जना करता है, वह अद्वितीय है। आयुर्वेद में इस रात्रि की महत्ता विशेष रूप में दर्शाई गई है। श्वास रोग की औषधियां शरद पूर्णिमा की रात्रि को ही रोगी को देने का विधान है। कहा जाता है कि इस रात्रि को आकाश से अमृत बरसता है। 

शरद पूर्णिमा की रात्रि को ही रास-रचैया गोपाल कृष्ण अपनी भुवन-मोहिनी मुस्कान से गोपियों को मोहित करते थे। बांसुरी की तान सुनाकर उनमें मादकता भर देते थे। चांदनी रात में महारास का आयोजन होता था। यह महारास गीत-संगीत व नर्तन का अनोखा संगम होता था। आज हम उस दिव्य महारास की मात्र कल्पना ही कर सकते हैं। युग बदल गया है। मगर इस पूर्णिमा की शारदीय छटा अब भी वही है। 

webdunia

पूर्ण गोल आकार का वृहदाकार चंद्रमा, मानो दूध-मलाई का छत्ता किसी ने आकाश में टांग दिया हो। इस शुभ्र श्वेत चंद्रमा का सौंदर्य देखते ही बनता है। इसमें से इतना प्रकाश फूटा पड़ता है कि धरा इस प्रकाश में नहाती-सी प्रतीत होती है। हमारे चारों ओर उजाला ही उजाला। इस उजाले में दूर-दूर तक दिखाई पड़ते हैं पेड़-पौधे, नदी-मैदान सब कुछ।

webdunia
सुंदर नायिका मधुर स्वरों में गा रही है- 'उगियो शरद -पूनम रो चांद, म्हारा हिरदा उपज्यो ज्ञान।' नायिका नवयुवती है, सुकोमल है, तन्वी है। सखियां चाहती हैं कि वह उनके समूह में आ मिले, हंसे, खेले, नर्तन करे। 

सखियों का समूह शुभ्र ज्योत्सना की उजास में उन्मुक्त हृदयकिलोल कर रहा है। नायिका प्रीतम के गेह है। सास-श्वसुर का भय, प्रिय के अप्रसन्न होने की आशंका, घर-गृहस्थी की जिम्मेदारियों की चिंता। वह स्वयं को घर में ही रोकना चाहती है और गा उठती है:- 

webdunia
 
उगियो शरद पूनम रो चांद, म्हारा हिरदा उपज्यो ज्ञान, 
उगियो शरद पूनम रो चांद, म्हारा हिरदा उपज्यो ज्ञान, 
 
हम कसा आवां ओ सहेली, म्हारा ससरा सूता द्वार, 
म्हारा ससरा सूता द्वार, म्हारी सासू दीसे गाळ, 
 
म्हारी सासू दीसे गाळ, म्हारा देवर कऽ चुगली की वाण, 
म्हारा देवर को चुगली की वाण, म्हारी ननद मरोड़ो कान, 
 
म्हारी ननद मरोड़ो कान, म्हारा स्वामी का अकरा सुभाव, 
म्हारा स्वामी का अकरा सुभाव... 
उगियो शरद पूनम रो चांद, म्हारा हिरदे उपज्यो ज्ञान... 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi