Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

खेलों में देश का नाम विश्वस्तर पर रोशन कर रहीं बेटियां...

Advertiesment
हमें फॉलो करें Sports Day August 29
webdunia

ब्रह्मानंद राजपूत

29 अगस्त 2017, खेल दिवस पर विशेष लेख
 
खेल कई नियम-कायदों द्वारा संचालित ऐसी गतिविधि है, जो हमारे शरीर को फिट रखने में मदद करती है। आज इस भागदौड़भरी जिंदगी में अक्सर हम खेल के महत्व को दरकिनार कर देते हैं। आज के समय में जितना पढ़ना-लिखना जरूरी है, उतना ही खेलकूद भी जरूरी है। एक अच्छे जीवन के लिए जितना ज्ञानी होना जरूरी है, उतना ही स्वस्थ होना जरूरी है। ज्ञान हमें पढ़ने-लिखने से मिलता है और अच्छा स्वास्थ्य शरीर हमें खेलकूद से मिलता है।
 
दुनिया में खिलाड़ियों और खेलप्रेमियों की कमी नहीं है। दुनिया के प्रसिद्ध खेलों (फुटबॉल, क्रिकेट, शतरंज, टेनिस, टेबल टेनिस, बैडमिंटन तथा हॉकी प्रशंसकों) की हमारे देश भारत में भरमार है। चाहे क्रिकेट हो, चाहे हॉकी हो, चाहे बैडमिंटन हो, चाहे टेनिस हो, चाहे कुश्ती हो, चाहे निशानेबाजी हो और चाहे बॉक्सिंग हो- इन सभी खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने सफलता के झंडे गाढ़े हैं।
 
विश्व पटल पर भारत देश का नाम ऊंचा किया है और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारत को विभिन्न पदक दिलाए हैं। चाहे ओलंपिक खेल हों, चाहे कॉमनवेल्थ गेम्स हों, चाहे एशियन गेम्स हों और चाहे विभिन्न प्रतियोगिताओं की विश्व चैंपियनशिप प्रतियोगिताएं हों, हर जगह भारतीय खिलाड़ियों ने अपने खेल के माध्यम से देश का नाम रोशन करने के साथ-साथ खेलप्रेमियों का दिल जीता है।
 
कहा जाता है कि भारतीय पुरुष क्रिकेट टीम विश्व की नंबर 1 टीम है, लेकिन इस बार भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने विश्व कप 2017 में अपने खेल का लोहा मनवाया। कहा जाए तो भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने विश्व कप में शानदार प्रदर्शन कर विश्वस्तर पर नए आयाम स्थापित किए और भारतीय महिला क्रिकेट टीम अपने शानदार प्रदर्शन की बदौलत विश्व कप 2017 के फाइनल तक में पहुंची। सिर्फ कुछ रनों से ही भारतीय महिला क्रिकेट टीम को हार का सामना करना पड़ा था। 
 
बेशक, भारतीय महिला क्रिकेट टीम विश्व कप 2017 की उपविजेता टीम रही हो लेकिन भारतीय बेटियों ने अपने खेल से समस्त देशवासियों का दिल जीत लिया। इसी विश्व कप में खेलते हुए भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान मिताली राज विश्वस्तर पर एकदिवसीय महिला क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाली महिला क्रिकेटर बनीं। यह भारत देश के लिए गौरव की बात है। इस विश्व कप में भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कई उभरती हुई खिलाड़ियों जिनमें प्रमुख रूप से हरमनप्रीत कौर, झूलन गोस्वामी, दीप्ति शर्मा, पूनम यादव, वेदा कृष्णमूर्ति, पूनम राउत ने अपने खेल से सबको आकर्षित और रोमांचित किया।
 
2016 के रियो ओलंपिक में भी भारत की बेटियों ने अपने देश का नाम विश्वस्तर पर रोशन किया था। 2016 के रियो ओलंपिक में किसी ने पदक जीतकर तो किसी ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करकर सभी देशवासियों का दिल जीत लिया। बहुत सारी चुनौतियों का सामना करते हुए पीवी सिंधु ने व्यक्तिगत बैडमिंटन स्पर्धा में रजत पदक जीतकर भारत का नाम रोशन किया, जो कि भारत के इतिहास में पहली बार हुआ। इसके साथ ही रियो ओलंपिक के बाद भी पीवी सिंधु लगातार अपने खेल का लोहा मनवा रही हैं। अगर ऐसे ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं, जब पीवी सिंधु टोकियो ओलंपिक में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतकर लाएंगी। 
 
2016 के रियो ओलंपिक में साक्षी मलिक ने भी पहलवानी में कांस्य जीतकर भारत के प्रत्येक मां-बाप को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि बेटियां भी समय आने पर देश का मान-सम्मान बचा सकती हैं। साक्षी मालिक ने साबित कर दिया कि भारत की बेटियां सिर्फ बैडमिंटन या टेनिस में ही नहीं, बल्कि कुश्ती जैसे खेल में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकती हैं और अपने विरोधी को पस्त कर सकती हैं। साक्षी ने जो कांस्य पदक जीता, वह भी ऐतिहासिक था, क्योंकि महिला कुश्ती में किसी ने पहली बार कोई पदक जीता था। 
 
ओलंपिक में जगह बनाने वाली भारत की पहली महिला जिम्नास्ट दीपा कर्माकर 2016 के रियो ओलंपिक में कांस्य पदक से महज मामूली अंक के अंतर से चूक गईं लेकिन उनके प्रदर्शन ने देशवासियों का दिल जीत लिया। उड़नपरी पीटी उषा के बाद ललिता बाबर 2016 के रियो ओलंपिक में, ओलंपिक इतिहास में 1984 के बाद 32 साल बाद ट्रैक स्पर्धा के फाइनल के लिए क्वालीफाई होने वाली दूसरी भारतीय महिला बनी। 2016 के रियो ओलंपिक में ललिता बाबर ने अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन से 3,000 मीटर स्टीपलचेज में 10वां स्थान कर एक रिकॉर्ड बनाया। 
 
और भी कई खिलाड़ियों ने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया, लेकिन वे पदक नहीं जीत सके, लेकिन उन्होंने भविष्य में भारत के लिए द्वार खोल दिए। यह भारत देश और भारत के लोगों के लिए बड़े ही गौरव की बात है। देश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है बल्कि प्रतिभाओं को खोजने वाले संसाधनों की कमी है। भारत के जितने भी खेल संघ हैं, वे सब राजनीति छोड़कर अगर अपने क्षेत्र के खिलाड़ियों पर ध्यान दें तो भविष्य में भारत देश के युवा खिलाड़ी अपना परचम लहरा सकते हैं और देश का नाम रोशन कर सकते हैं। इसके लिए जरूरत है कि सरकारें भी उनका सहयोग करें और टोकियो ओलंपिक की तैयारी के लिए खिलाड़ियों को हर वह सुविधा उपलब्ध कराए जिससे कि उनके प्रदर्शन में बढ़ोतरी हो सके। जिससे कि टोकियो ओलंपिक में पदकों की संख्या बढ़ सकेगी।
 
क्रिकेट के अलावा भारत में अन्य खेलों में खिलाड़ियों को कोचिंग की देश में उचित व्यवस्था नहीं मिलती और न ही देश और प्रदेश की सरकारें देश के राष्ट्रीय खेल हॉकी और विभिन्न खेलों पर ध्यान देती हैं इसलिए देश के होनहारों का क्रिकेट के अलावा सारे खेलों से मोहभंग होता जा रहा है। इसके लिए जरूरत है कि सरकारों को क्रिकेट के साथ-साथ सभी खेलों को प्रोत्साहन देना चाहिए और ऐसे कार्यक्रम बनाने चाहिए जिससे कि सभी भावी खिलाड़ियों का रुझान क्रिकेट के साथ-साथ बाकी सभी खेलों की तरफ भी बढ़े और विभिन्न खेलों में भी उन्हें अपना भविष्य नजर आए।
 
आज क्रिकेट की दुनिया में भारतीय टीम विश्व की नंबर 1 टीमों में गिनी जाती है, क्योंकि भारत देश में क्रिकेट को बढ़ावा दिया जा रहा है। साथ ही साथ हम जितना आगे क्रिकेट में बढ़ रहे हैं, उतना नीचे बाकी खेलों में गिर रहे हैं। यह सच्चाई है तथा इसे कोई नकार नहीं सकता। इसके लिए जरूरत है सरकार के साथ-साथ भारत की जनता को भी सभी खेलों को ओलंपिक के अलावा समर्थन करना चाहिए। अकसर भारत में देखा जाता है कि सिर्फ ओलंपिक, कॉमनवेल्थ गेम्स या एशियन गेम्स के समय ही खिलाड़ियों को उत्साहित किया जाता है बाकी समय पर खिलाड़ियों को भुला दिया जाता है। इसके लिए जरूरत है कि भारत की जनता द्वारा हर एक खिलाड़ी को साल के 364 दिन प्रोत्साहित करना चाहिए।
 
बड़ा दुख होता है, जब माता-पिता आज भी बच्चे की खेल में रुचि हो, फिर भी वे चाहते हैं कि उनका बेटा बड़ा होकर डॉक्टर बने, इंजीनियर बने या उसे कोई अच्छी-सी नौकरी मिले। लेकिन जरूरत है अपनी सोच और नजरिया दोनों बदलने की जिससे कि हॉकी, फुटबॉल, क्रिकेट, शतरंज, कुश्ती, टेनिस, टेबल टेनिस, बैडमिंटन तथा जितने भी खेल हैं उनका स्तर बढ़ सके और हर खेल में लोगों की रुचि पैदा हो और भारत देश खेलों के क्षेत्र में विश्व में अपना डंका बजा सके। साथ ही साथ जरूरत है कि भारत में लैंगिक आधार पर खेलों में भेदभाव खत्म हो। बेटा और बेटी दोनों को खेलों में समान मौके मिलने चाहिए, क्योंकि बेटियां मुश्किल घड़ी में भी देश की लाज बचा सकती हैं। 
 
आज खेल दिवस है, जो कि महान खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद की याद में मनाया जाता है। सालों से मेजर ध्यानचंद को 'भारतरत्न' देने की मांग की जा रही है लेकिन भारतीय सरकारें सालों से इस मांग को टाल रही हैं। सभी खेलप्रेमियों की भावना का आदर करते हुए मोदी सरकार को इस बार दादा मेजर ध्यानचंद को 'भारतरत्न' दे देना चाहिए।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

स्त्री और आजादी