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विराट कोहली का टेस्ट क्रिकेट से संन्यास : एक युग का अंत, एक विरासत की शुरुआत

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सुशील कुमार शर्मा

, मंगलवार, 13 मई 2025 (15:57 IST)
विराट कोहली का नाम आज केवल एक क्रिकेटर भर नहीं, बल्कि एक युग की परिभाषा बन चुका है। उनके टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा के साथ ही भारतीय क्रिकेट के इतिहास का एक सुनहरा अध्याय समाप्त हुआ है। परंतु कोहली की विरासत केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं, उनके व्यक्तित्व, क्रिकेटिंग शैली और अद्वितीय जोश ने भारत ही नहीं, पूरी दुनिया के खेल प्रेमियों के हृदय पर गहरा प्रभाव छोड़ा है।ALSO READ: ODI World Cup 2027 नहीं खेल पाएंगे रोहित कोहली, गावस्कर ने दिया बयान
 
विराट कोहली का व्यक्तित्व दो छोरों पर एक साथ विचरण करता है- विनम्रता और आक्रामकता। मैदान पर उनका जोश, विरोधी को आंखों में आंखें डालकर जवाब देना और हर रन के लिए मर मिटने की चाह उन्हें विशेष बनाती है। लेकिन वहीं मैदान के बाहर उनका परिवार के प्रति समर्पण, फिटनेस के लिए अनुशासन और साथी खिलाड़ियों के लिए आदर उनके संतुलित व्यक्तित्व का प्रतीक हैं।
 
उन्होंने भारतीय युवा खिलाड़ियों में 'खेल के प्रति सम्मान और आत्मबल के साथ आक्रामकता' की नई परिभाषा गढ़ी। विराट ने कभी हार नहीं मानी, चाहे वह निजी फॉर्म की गिरावट हो या टीम की चुनौती।
 
क्रिकेटिंग व्यक्तित्व: तकनीक, फिटनेस और नेतृत्व की त्रिवेणी
 
विराट कोहली की बल्लेबाजी तकनीक आधुनिक युग के सबसे शुद्ध रूपों में से एक है। कवर ड्राइव पर उनकी पकड़, लेग साइड पर फ्लिक और रन चेज़ के दौरान उनकी मानसिक दृढ़ता उन्हें सर्वश्रेष्ठ बनाती है।
 
कोहली ने भारतीय क्रिकेट में फिटनेस को ‘गुणवत्ता’ की पहली कसौटी बनाया। यो-यो टेस्ट को चयन का मानक बनाकर उन्होंने चयन प्रक्रिया में पेशेवर सोच लाई।
 
टेस्ट कप्तान के रूप में विराट कोहली ने आक्रामक क्रिकेट का नया चेहरा प्रस्तुत किया। उन्होंने विदेशी धरती पर जीत को केवल सपना नहीं, लक्ष्य बनाया। उनकी कप्तानी में भारत ने 2018-19 में ऑस्ट्रेलिया में पहली बार टेस्ट श्रृंखला जीती- जो उनके नेतृत्व की शिखर उपलब्धि मानी जाती है।
 
पाकिस्तान के खिलाफ 86 गेंदों में 133* रन बनाकर विराट ने भारत को लगभग असंभव लक्ष्य पार करवा दिया। यहीं से उन्हें 'चेज मास्टर' कहा जाने लगा।
 
धोनी की अनुपस्थिति में विराट ने पहला टेस्ट कप्तानी में खेला और दोनों पारियों में शतक लगाया (115 और 141)। भारत भले ही हारा हो, पर नेतृत्व के बीज वहीं अंकुरित हुए।
विराट ने 973 रन बनाए, जिसमें 4 शतक शामिल थे- T20 इतिहास में आज तक कोई नज़दीक नहीं आया। यह उनकी बल्लेबाजी क्षमता और मानसिक एकाग्रता का चरम था।
 
2014 की विफलता के बाद विराट ने वापसी करते हुए 593 रन बनाए, जिससे आलोचकों का मुंह बंद हुआ।
 
उन्होंने वनडे में अपना 50वां शतक लगाया, सचिन तेंदुलकर के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ते हुए और विश्व क्रिकेट में खुद को 'महानतम' की श्रेणी में स्थापित किया।
 
आंकड़ों में विराट कोहली (2024 के अंत तक)
 
टेस्ट: 123 मैच, 9230 रन, औसत 49.15, शतक 30, उच्चतम स्कोर 254*

वनडे: 302 मैच, 14,181 रन, औसत 57.98, शतक 51, उच्चतम स्कोर 183
 
T20I: 125 मैच, 4,188 रन, औसत 48.69, शतक 1, उच्चतम स्कोर 122*
 
कुल अंतरराष्ट्रीय शतक: 82
कुल रन: 27,599+
 
विराट कोहली ने भारतीय क्रिकेट को नई सोच, आत्मविश्वास, और निरंतरता का मार्ग दिखाया। उन्होंने दिखाया कि केवल प्रतिभा नहीं, अनुशासन और मानसिक शक्ति भी महानता की नींव होते हैं। उन्होंने युवाओं को बताया कि 'क्रिकेट सिर्फ बैट और बॉल का खेल नहीं, बल्कि यह चरित्र की परीक्षा है।'
 
उनका टेस्ट से संन्यास एक युग की समाप्ति ज़रूर है, लेकिन विराट अब भी सीमित ओवरों में सक्रिय हैं और विश्व कप 2025 की तैयारियों में लगे हैं।
 
विराट कोहली केवल एक महान बल्लेबाज़ नहीं, बल्कि एक विचारधारा हैं। उनका संन्यास उन लोगों के लिए संदेश है जो जुनून के साथ अनुशासन को जोड़ने की कला सीखना चाहते हैं। उनका योगदान न केवल क्रिकेट के पन्नों में, बल्कि देश की युवा चेतना में अमर रहेगा।
 
'विराट' अब केवल नाम नहीं, एक प्रेरणा है- हर युवा के लिए जो स्वयं से विराट बनने की आकांक्षा रखता है।

(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)ALSO READ: कोहली के टेस्ट संन्यास के बाद अब तेंदुलकर का सौ शतकों का रिकॉर्ड टूटना मुश्किल?

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