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मेरा ब्लॉग : 'सॉरी' शब्द कब आया चलन में....

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राकेश कुमार 
 
सॉरी, पूरे विश्व में यह आज बहुत ज्यादा प्रचलित और प्रयोग किए जाने वाला शब्द है। आप किसी भी घटना, दुर्घटना के बाद इस शब्द को बोल कर आप बच कर निकल सकते हैं और सामने वाला पीड़ित व्यक्ति भी केवल इस छोटे से शब्द बोलने से ज्यादा प्रभावित हो जाता है। मगर आजकल इसका प्रयोग कुछ ज्यादा ही होने लगा है और इसके मायने भी बदल गए हैं। 
 
आज लोग किसी को जानबुझ कर मारपीट कर, हत्या कर, छेड़कर, प्रताड़ित कर, धक्का देकर, विवादित टिप्पणी कर या फिर ऐसे भी बहुत सारी घटनाओं को के बाद उससे बचने के लिए इस तरह के शब्द बोलते हैं और बचकर निकल जाते हैं। लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि वह व्यक्ति जिसने उस घटना के बाद सॉरी बोला है, उसके बाद उसने उस तरह की घटनाओं से दूर हुआ है या ऐसी घटनाएं दुबारा नहीं दुहराता है? 

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आपका जवाब होगा नहीं। तो फिर लोग इस तरह के शब्द क्यो बोलते हैं? क्या वह इसका मतलब नहीं जानते या इसका महत्व नहीं जानते, या फिर जानबुझ कर दूसरों पर अपनी छाप छोड़ने के लिए करते हैं। तो आइए आज हम आपको बताते हैं इसके मायने और अर्थ। 
 
सॉरी शब्द पूरे विश्व में 20वीं सदी में प्रचलन में आया। इसकी शुरुआत ऑस्ट्रेलिया से 26 मई 1998 को उस समय हुई जब ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री जॉन हॉवर्ड अपनी संसद को संबोधित करने के दौरान एक सांसद के प्रश्नों के उत्तर दे रहे थे, तभी एक गलती की माफी मांगने के दौरान अचानक ही उनकी मुख से सॉरी शब्द निकल पड़ा। इस तरह सॉरी शब्द की उत्पति हुई। 
 
यानी सॉरी शब्द राजनीति में अपनी गलतियों पर माफी मांगने के लिए हुई। श्री जॉन हॉवर्ड ने सॉरी शब्द के मायने और अर्थ समझाते हुए कहा कि अनजाने में की गई कोई गलती के बाद जब उसका एहसास हो तो आप सॉरी बोलकर सभी से क्षमा मांग सकते हैं। जैसे ही लगे कि मैंने यह गलती कर दी, उसे जल्द से जल्द सुधारा जा सकता है तो कहिए सॉरी...कहने का तात्पर्य यह है कि यदि कोई व्यक्ति कोई गलती, जिसका उसे ज्ञान नहीं है, करता है तो वह सॉरी बोल कर अपनी गलतियों को सुधार सकता है। इसके बाद ही इस शब्द का प्रयोग पूरे विश्व में फैल गया। 
 
आजकल की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में हर व्यक्ति जल्दी में रहता है और दूसरों को आगे निेकले का प्रयास करता रहा है। इस दौरान ना जाने उसने कितनों को कई बार धक्का दिया होगा, नुकसान पहुंचाया होगा, मगर हर बार वह उसे सॉरी बोलकर और अपनी गलतियों को नजरअंदाज कर आगे निकल जाता है। ऑस्ट्रेलिया में बढ़ रही ऐसी ही घटनाओं के बाद वहां की संसद ने वर्ष 2008 में 26 मई को राष्ट्रीय सॉरी दिवस मनाने की घोषणा कर दी। उस दिन लोगों की कोशिश यह रहती है कि सॉरी शब्द का प्रयोग कम से कम या ना के बराबर करें। 
 
आज जरुरत है हमें भी कुछ ऐसा करने की जिससे पूरा जनसमुदाय इस शब्द के मायने और अर्थ को समझ कर सॉरी बोलने से पहले एक बार सोचें और अपनी जिंदगी में इस तरह के शब्दों का कम से कम प्रयोग करें। 

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