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अमिताभ की नजर में - विश्व की सबसे खूबसूरत 10 महिलाएं

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हमें फॉलो करें अमिताभ की नजर में
प्रस्तुति : लावण्या शाह 
 
भारत के फ़िल्म जगत के महानायक से एक बार प्रश्न पूछा गया था की वे बताएं, किन 10 महिलाओं को वे सबसे ज्यादा खूबसूरत मानते हैं। और उनके चयन से बनी सूची इस प्रकार है। इसमें किसी विदेशी महिला का उल्लेख नहीं किया गया, ना ही उनकी पत्नी जया ही कहीं नज़र आती हैं और ना ही मधुबाला जिसे सर्वाधिक खूबसूरत अभिनेत्री माना गया है। 

1 - महारानी गायत्री देवी : वे इस सदी की सबसे खूबसूरत स्त्री थीं! उनकी सुन्दरता, उनकी शख्सियत, उनका उठना, बैठना, उनका अपने आप को हमेशा शालीन बनाए रखना, उनके परिधान, अध्ययन और शिक्षा के क्षेत्र तथा महिलाओं के उत्थान के लिए दिया गया उनका योगदान और जयपुर शहर के लिए जो भी उन्होंने किया वह सभी उन्हें एक ऊंचाई दिलाते हैं।  

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मैं, अकसर जयपुर जाता हूं। एक बार, उनके निजी महल में भी रहा था जो अब, होटल में तब्दील हो गया है। वहां मैंने बिहार की रानी साहिबा की तस्वीर, मुख्य कोरीडोर में रखी हुई देखी थी जो महारानी गायत्री देवी की मां हैं। अब यह पता नहीं कि वह पेंटिंग थी या फोटोग्राफ, परन्तु वह गायत्री देवी से भी ज्यादा सुंदर थीं! चित्र में वे एक कुर्सी पर बैठीं थीं। उनकी शालीनता, वैभव तथा रूतबा तब भी साफ़ जाहिर हो रहा था। 
 
तीन मूर्ति भवन में, एक बार, बहुत पहले महारानी पटियाला को भी देखा था जब मैं बहुत छोटा था जब वे कक्ष में, दाखिल हुईं थीं तब ऐसे लगा मानो पूरा कमरा जगमगाने लगा हो! यह एक क्षणिक मुलाक़ात होते हुए भी, स्मृति पटल पर आज भी अंकित है!
( 1999 में प्रकाशित एक आलेख का अंग्रेज़ी से अनुवाद - लावण्या शाह द्वारा ) 

2-  वहीदा रहमान : उनकी सुंदरता, अनगढ़ पर विशुद्ध भारतीयता लिए हुए है। मेरे ख़याल से उनका सौंदर्य बिलकुल परफेक्ट है। उनकी कलात्मकता चित्रपट के परदे पर उभरती उनकी छवि, कार्यक्षमता ही नहीं वरन, एक नई  परिपाटी आरंभ करने की पहल, सटीक और नर्म एहसास, जो उनके युग में, अन्य किसी नायिका में नहीं देखे गए या जिन्हें देखने की, उनसे पहले किसी को आदत ही नहीं थी ऐसा ही कुछ उनके व्यक्तित्व में है। 

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3-   ऐश्वर्या राय : आज के आधुनिक समय में शायद उनका चेहरा बिल्कुल परफेक्ट है! उनके चेहरे में कोई दोष नज़र ही नहीं आता। उन्होंने जितने भी खिताब जीते हैं, वास्तव में वे उन सभी की हकदार हैं और साथ-साथ अब वे सिनेमा के परदे पर भी अपना कलाकार का रूप प्रतिष्ठित करने लगीं हैं।

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4 -  नसीम बानो : सायरा की मां! वे अनिंद्य सुन्दरीं थीं! उनके बोलने का अंदाज़, चलने फिरने का लिहाज, सभी में एक गज़ब की सौम्यता थी। बेहद आकर्षक व्यक्तित्व की मल्लिका थीं वे और उनकी युवावस्था में वे भारतीय चित्रपट संसार की सबसे हसीन तारिका थीं !

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5 - सावित्री देवी : जेमिनी गणेशन की पत्नी थीं वे और उनकी सुन्दरता हिन्दी सिनेमा की हीरोइन मीना कुमारी या सुरैया की तरह थी। उनमें एक तरुणी का चुलबुलापन भी था जो उन्हें एक खुलापन व ताजगी देता था वे एक ऐसी अदाकारा थीं जिनमें सही समय पर, हर प्रकार के अभिनय करने की काबिलियत थी। गीता बाली से कुछ-कुछ मेल खाती सावित्री देवी की छवि थी जो परदे पर, कमाल करती थीं। 

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6 - सुचित्रा सेन : बंगाल का जादू ही थीं वे, चित्ताकर्षक और प्रभावशाली! उनकी आवाज़ की तरंगें , गूंजतीं रहतीं थीं और उनमें आंखों से सब कुछ कह देने की क्षमता बेजोड़ थी! 

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7- माधुरी दीक्षित -उनकी मुस्कान शायद जितनी भी स्त्रियों की हम आगे चर्चा कर चुके हैं, उन सभी से ज्यादा  आकर्षक और मन पर असर करने वाली है। सिनेमा के परदे पर ऐसी मुस्कान आज तक, किसी भी सिने तारिका में  न देखी गई! उनकी मुस्कान इतनी असरदार है कि उसके बाद कुछ भी कहने को, बाकी ही नहीं बचता। उनकी आंखें और मुस्कान वाकई लाजवाब हैं ! 
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8 - लीला नायडू : उनका अंडाकार चेहरा हर लिहाज से खूबसूरत कहा जा सकता है। एक शाही अंदाज़ लिए हुए थी उनकी सुन्दरता ! दुःख है इस बात का के वे बहुत कम फिल्मों में दिखाई दीं। उनमें एक नाजुक एहसास और दिलचस्प किस्म की कोमलता थी। 

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9 - मीना कुमारी : बेहद संजीदा , सुन्दर अदाकारा जिसे भारत की भूमि ने पैदा किया और उनकी कला को परवान चढ़ाया था कला जगत ने। उनकी आवाज़, उनकी खूबसूरती के साथ मिलकर एक खास तरह की सुंदरता बिखेरती थी उनकी शख्सियत कमाल की थी!
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उनकी आवाज़, दिलकश होते हुए भी मानो घायल आत्मा की पुकार सी थी। तहजीब लिए हुए, संजीदा किस्म की !

यह सारे गुण एक ही आवाज़ में हों यह दुर्लभ है।  उनकी आंखें निहायत खूबसूरत थीं जिन से अकसर वे बातें किया करतीं थीं, और खामोश  होने पर भी उनकी आंखें बहुत कुछ कह जातीं थीं! ऐसी मीना जी थीं !

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10 - नव्या नवेली : मेरी नाती हैं। शायद मैं इसीलिये भावुक हूं! उन जैसी काबिल, समझदार, अपने आसपास से वाकिफ नन्ही सी लड़की आजतक मैंने नहीं देखी ! सोच और दिमाग अभी से बड़ा ही परिपक्व है उनका! किसी भी सभा या प्रसंग में, उनके होने से हर तरफ़ प्यार बिखर जाता है। 

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और सबसे खास मेरी मां हैं तेजी बच्चन

 और सबसे खास मेरी मां हैं तेजी बच्चन तेजी बच्चन .. ..जो सिख परिवार से थीं। संभ्रांत व कुलीन परिवार में पली-बड़ी थीं।  और हिंदू मध्यवर्गीय परिवार के मेरे पिताजी से ब्याह रचाया था। समय था 1942 ! वे मेरे पिताजी की प्रतिभा में अटूट श्रद्धा रखतीं थीं ! उनकी कला, कविता और साहित्य के प्रति वे समर्पित थीं और सहयोग देतीं थीं वही बहुत कम अंशों में, मुझमें भी विकसित हुआ। 

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वे दृढ व संतुलित मस्तिष्क की थीं। साहसी, प्रफुल्लित और उत्साह से भरपूर रहतीं थीं वे। जैसी वे 30 बरस की उम्र में रहीं होंगीं वैसी ही उनके अन्तिम दिनों तलक वे रहीं थीं ! 
 
 
 
1999 में प्रकाशित एक आलेख का अंग्रेज़ी अनुवाद - लावण्या शाह द्वारा 

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