Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

हिन्दी कविता : ना दीया है न बाती है

Advertiesment
हमें फॉलो करें हिन्दी कविता : ना दीया है न बाती है
पुष्पा पी.परजिया 
 
ना दीया है न बाती है
फिर भी आग सी जल-जल जाती है 
अगन है ऐसी मन में जो न
बुझाए बुझे किसी जल से
खुद की सादगी से नसीबों वह खुद को टाल जाती है
हुए जा रहे हैं मन के बवंडरों में
गम और घरौंदों में सांस सुलग-सी जाती है,.


 
..आशा का दीया जलाए रखा  
 पर किवाड़ मदहोशियों ने 
जख्मे दिल पे रुसवाइयों की कत्ल हुए जाती है 
ऐसे रहते और सहते बस 
इंसान की उम्र निकल जाती है
वर्ना नकाबपोशों की इस दुनिया में
 हौसलाअफजाई भी की जाती है ...
बढ़ गए है आगे कदम झूठ और मक्कारी के
 सच्चाई सिसक जाती है 
 पर कर ले कितना भी खुरापात बुरे तू
अंत में जीत तो सच्चाई ही ले जाती है....
भले ही पहन लें झूठी खूबसूरती का नकाब 
पर सच्चाई की सादगी  इंसान का दिल लिए जाती है 
भले ही चमक हो झुठे होने के बाद भी खूबसूरती में 
बदसूरत सच्चाई ही हरदम जीत जाती है...

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi