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19 नवंबर : अंंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस

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प्रीति सोनी

चूंकि लेडीज फर्स्ट होती हैं, इसलिए शुरुआत यहीं से करुंगी कि हर साल 8 मार्च को हम महिला दिवस के रूप में बड़े जोर-शोर से मनाते हैं। ऐसे भी कई पुरुष महिलाओं को उस दिन ढोक दे देते हैं, जो सालभर अपने मेल ईगो को बिना हर्ट किए उन्हें सिर्फ महिला समझते हैं, सम्मान का पात्र नहीं। लेकिन आज उन्हीं पुरुषों के लिए भी महान दिन है। जी हां, 19 नवंबर यानि अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस।

भई, वुमन्स डे मनाया जाता है, तो मेन्स डे वाले दिन इतनी शांति क्यों भला? हां इसका एक कारण यह भी हो सकता है, कि महिलाओं को सम्मान देने का एक दिन निश्च‍ित है लेकिन पुरुषों को तो रोज ही सम्मान दिया जाता है। तो फिर इस दिन ऐसा क्या खास है। खास है, क्योंकि वह सिर्फ एक पुरुष नहीं बल्कि किसी परिवार का मुखिया भी है, जिसपर घर चलाने और परिवार को सुखी रखने की बड़ी जिम्मेदारी है। खास यह है कि वह एक पिता है, जिसकी छांव में बच्चे जीवन में फूल की तरह पलते हैं, और उसकी छांव न मिलने पर कुम्हला जाते हैं। 
 
खास यह है कि पुरुष, अपनी अर्धांगिनी का आधा अंग है, जिसके बिना उसका जीवन अधूरा है और मांग सूनी। खास यह है कि पुरुष घर के लिए एक सुरक्षा की दीवार है और उसके रहते जरूरत की हर चीज पास है, क्योंकि अभावों में वह खुद तो रह सकता है पर अपनों को नहीं रख सकता। 
 
एक पुरुष, जो जीवन भर घर के फलते-फूलते आंगन को बरगद सी सी छांव देता है और तपती धूप सी जिम्मेदारियों, तकलीफों, उम्मीदों के बोझ को अपने माथे पर रखता है, ताकि उसकी आंच अपनों तक न पहुंचे। इसलिए हर पुरुष खास है। अगर नारी बिना घर, घर नहीं मकान है, तो पुरुष उम्मीदों का खुला आसमान है। हर महीने अपनों की खुशियों की किश्त चुकाता वह पुरुष, घर का सम्मान है। 

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