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साल 2021 के दर्पण में नारी : तू धूप है...छम से बिखर...

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डॉ. छाया मंगल मिश्र

आने वाला पल, जाने वाला है....हो सके तो इसमें जिंदगी बिता लो, पल ये जो जाने वाला है। बीते सालों की तरह इस साल भी उम्मीदों के पोटलों को आशाओं के सपनों के बोझ के साथ हम फिर से चल पड़े हैं। गुजरे कल और अनजाने आने वाले कल की आस में वर्तमान को बिगाड़ लेने की बीमारी से हम जन्मजात ग्रस्त हुए होते हैं।

कोरोना काल में कयासों के दौर से निकले हम आज भी जीने के तौर-तरीके ही तलाश रहे हैं। कभी मछली के बच्चे को तैरने की, कलियों को खिलने की, खुशबू को महक कर बिखरने की, पक्षियों को उड़ने की क्लास करते देखा है? इन जैसे कई बातें, कई उदाहरणों से ब्रह्माण्ड भरा पड़ा है। खुल कर जिएं, आनद से जिएं। जो है उसका आभार मनाइए, जो नहीं है उसे अर्जित करने का प्रयास कीजिए। मत सोचिए आप कैसे दिखते हैं, कोई आपके बारे में क्या सोचता है, बोलता है? क्योंकि आप यदि खुद से प्यार नहीं करते, खुद का मान नहीं करते तो आप भूल जाएं कि दूसरे आपको इज्जत देंगे। तो तय कीजिये की आप हमेशा अपनी और अपनों की इज्जत करेंगे। 
 
ज्यादा देवी-देवता बनने की इस मानव यौनी में जरुरत नहीं। आत्म सम्मान की कीमत पर कभी भी समझौता न करें। नम्रता की अति भी ठीक नहीं।  
 
अपवादों को छोड़ कर हम कहीं भी क्यों अपनी बात, तर्क, विरोध दर्ज न करें? हमें भी जीने का हक है। याद रखें जीवन जिया जाता है, बिताया नहीं जाता। जीवन कितना लम्बा जिया ये महत्वपूर्ण नहीं है, जितना जिया वो कैसा जिया ये महत्व रखता है।  भगवन श्रीकृष्ण के आदर्श केवल पुरुषों के लिए नहीं हैं, हमारे लिए भी हैं। अपनाएं और जीवन की राह आसान बनाएं। 
 
खुद के लिए समय निकलना सीखें। काम और व्यस्तता की दुहाई देना बंद करें। जो खुद का सगा न हुआ वो किसी और का सगा कैसे होगा? खुद को मजबूत बनाएं, अपनी खुशियां खोजें, प्रसन्नता के पैमाने हासिल करें। जियें और जीने दें का आसन सा मंत्र अपनाएं। हमेशा कुछ नया सीखें, रचनात्मक मानसिकता रखें, सकारात्मक विचार रखें। देखिए फिर जिंदगी कितनी खुशहाल होती है। 
 
हंसना सीखिए, ये वो दवा है जो ग़मों को हमसे थोड़ी दूरी बनाए रखने के लिए मजबूर करती है। याद रखिए दुखों की प्रदर्शनी लगाने वाले और हमेशा रोना रोने वालों को कोई पसंद नहीं करता। हंसते मुस्कुराते व्यक्तित्व सभी का ध्यान आकर्षित करते हैं। मुस्कुराहट आपके सौन्दर्य में चार चांद लगा देती है। खुद को भी तनाव से कोसों दूर रखती है। 
 
अभी भी समय है। ईश्वर ने आपको जो समय दिया है उसमें अपनी हसरतें, इच्छाएं पूरी करें। कोई विधा, कला, लेखन-पठन, खेल जो भी चाह बाकी है, शौक बचे हैं उसमें जुट जाएं। सीखने की कोई उम्र नहीं होती। अकेलेपन से निपटने का ये नायब तरीका है। हुनर और हुनरमंदों से दुनिया भरी पड़ी है।  
 
उनमें से एक आप भी होंगें। अपने आपको पहचानें और मनुष्य जीवन के आनंद को भोगें। 
 
आप प्रकृति की अनमोल और सबसे प्यारी रचना हैं। जैसी भी हैं, जो भी हैं गर्व कीजिए। अपने शरीर, बुद्धि, रंग-रूप, अंगों के मापों का कोई दूसरा निर्णायक नहीं हो सकता। जोर से खिलखिला कर हंसने का जी करे तो हंसिए। नाचने का मन करे नाचिए। गाएं-गुनगुनाएं। किसी को कोई हक नहीं आप पर टिप्पणी करने का। बशर्ते कि उससे किसी का कोई नुकसान नहीं हो रहा हो। बहती हवा, लहरों सी मचलती नदिया, फूलों सी खूबसूरत व कोमल, पक्षियों सी उडान भरने का हौसला और तितलियों से रंगीन सपनों का संगम हैं हम। सारी प्रकृति, त्योहार, उत्सव और धरती की खुशियां भी तो हमसे ही हैं। फिर अनर्गल बंधनों का जीवन क्यों जिएं? जियो मन भर कर। 
 
हम वो हैं जो रचतीं हैं, बसती हैं, धात्री हैं, प्रकृति हैं, शक्ति हैं। समय की धारा हमें भले ही विचलित करे पर अडिगता का जूनून सिर पर हमेशा सवार लिए फिरतीं हैं। कोरोना हो या 2020 हम समय को मुट्ठी में करने का जादू अभी ईजाद नहीं कर पाए हैं। कई वर्ष आए और गए सबका अपना एक अनुभव का मोती हमारी जिन्दगी की माला में बढ़ा है। समय अच्छा हो या बुरा काटना तो होता ही है। बीता समय यादगार बना रहे इसका ही कमल होता है। कुछ पाते हैं कुछ खोते हैं पर समय का चक्र किसी के लिए नहीं रुकता। 
 
आइए आने वाले वक्त को हम अपने हिसाब से जीने का संकल्प लें और बची हुई जिंदगी को संवारें। सुख-दुःख को साझेदारी से परिवार की खुशियां बढ़ाएं। 
 
खुद को ‘लोग क्या कहेंगे?’वाक्य से मुक्ति दें। मर्यादा और शालीनता के साथ सोशल मीडिया का भरपूर उपयोग करें। अपने दिल की बातें कहें, सुनें, बाटें। झूमें नाचें गाएं....खुद से बेइंतहा प्यार करें....अपने जिंदगी के आंगन में जाड़ों की नर्म, गर्म, सुनहरी धूप सी छम्म से बिखर जाएं....   

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