श्रावण महीना ऐसा है, जब नाग देवता को मारने की बजाय उनका दर्शन ईश्वर के समान पुण्यदायक माना जाता है। इस महीने में नाग देवता को मारने की बजाय लोग उसे दूध और धान का लावा खिलाते हैं। ऐसी मान्यता है कि नाग देवता को दूध और धान खिलाने से वंश बढ़ता है और घर में सुख-समृद्धि आती है।
नई-नवेली दुल्हन सावन में नागपंचमी, मंगला गौरी, मधु श्रावणी और सोमवारी का व्रत और पूजन करती हैं। इन सभी व्रतों में कहीं न कहीं नाग का संबंध है। इन व्रतों से नाग देवता का भय समाप्त होता है और जीवनसाथी की आयु लंबी होती है। सावन के महीने में नाग देवता को इतना अधिक महत्व देने के पीछे जो कारण छुपा है, वह है नाग देवता का भय।
सावन के महीने में बिलों में पानी भर जाता है और नाग सुरक्षित स्थान की तलाश में लोगों के घरों में घुसने लगते हैं जिससे इन महीनों में सर्पदंश का भय अधिक रहता है। भारत प्राचीनकाल से ही कृषि प्रधान देश रहा है। इस महीने में किसान जल भरे खेतों में धान की खेती करते हैं। यहां भी उन्हें सर्प का भय रहता है इसलिए महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए नाग देवता की पूजा किया करती हैं।
दूसरा कारण यह भी है कि नाग देवता चूहों के दुश्मन होते हैं। सांप खेतों में चूहों को खाकर चूहों से फसल की रक्षा करते हैं इसलिए भी सावन में नाग देवता की पूजा की परंपरा वर्षों से चली आ रही है।