वेदों में नागदेव के पूजन का वर्णन किया गया है एवं उनके वंश का भी वर्णन किया गया है त्रेतायुग में लक्ष्मणजी व द्वापर युग में बलरामजी शेषनाग के ही अवतार थे।
हमारे धर्म ग्रंथों में 12 प्रकार के नागों का वर्णन आता है, हमारी कुंडली में कालसर्प दोष होने से हम परेशान रहते हैं या कोई कार्य नहीं होता है तो नागपंचमी पर नाग की आराधना करने से यह दोष खत्म हो जाता है।
श्रावण शुक्ल पंचमी यानी नागपंचमी पर्व पर जन्म लग्न अनुसार नाग देवता की आराधना करें।
आइए जानें अपने लग्नानुसार किस मंत्र का करें जाप...
मेष लग्न- ॐ गिरी नम:।
वृषभ- ॐ भूधर नम:।
मिथुन- ॐ व्याल नम:।
कर्क- ॐ काकोदर नम:।
सिंह- ॐ सारंग नम:।
कन्या- ॐ भुजंग नम:।
तुला- ॐ महिधर नम:।
तुला- ॐ शैल नम:।
वृश्चिक- ॐ विषधर नम:।
धनु- ॐ अहि नम:।
मकर- ॐ अचल नम:।
कुंभ- ॐ नगपति नम:
मीन- ॐ काकोदर नम:।