जन्म पत्रिका में कालसर्प दोष हो, हमारे से या हमारे कारण किसी सर्प की मृत्यु हुई हो तो या स्वप्न में सर्प दिखना आदि की समस्या के निवारण के लिए नागपंचमी सर्वोत्तम दिन माना गया है। संक्षेप में उनका उपचार निम्नलिखित है।
घर के आंगन में गोबर के नागपूजन का विधान है। चंदन, लकड़ी, चांदी आदि के सर्प भी पूजे जा सकते हैं। संयम से रहें, व्रत करें। ब्राह्मण को भोजन करवाएं, घर में किसी की सर्प के काटने से मृत्यु हुई हो तो कहा जाता है कि उसकी सद्गति नहीं होती। सर्प पूजन करने से उसे मुक्ति मिल जाती है।
नागपंचमी से प्रत्येक माह की शुक्ल पंचमी को एक-एक नाग का विधान पूर्ण होता है। उनके मंत्र निम्नलिखित हैं-
श्रावण माह- ॐ अनंतर्पिणी नम:।
भाद्रपद माह- ॐ वासुकी नम:।
क्वार माह- ॐ शेषाय नम:।
कार्तिक माह- ॐ पद्माय नम:।
अगहन माह- ॐ कम्बलाय नम:।
पौष माह- ॐ अश्वतराय नम:।
माघ माह- ॐ कर्कोटकाय नम:।
फाल्गुन माह- ॐ घृतराष्ट्राय नम:।
चैत्र माह- ॐ शंखपालाय नम:।
वैशाख माह- ॐ तक्षकाय नम:।
ज्येष्ठ माह- ॐ पिंगलाय नम:।
आषाढ़ माह- ॐ कालिदाय नम:।
इनके साथ नाग गायत्री का जप करें।
मंत्र- ॐ नवकुलाय विद्महे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात्।
सावधानियां :
* गर्भिणी स्त्री इसे न करें तथा नाग-सर्प के सामने न जाएं।
* सपेरे से नाग या नाग जोड़ा पैसे देकर जंगल में छुड़वाएं। सर्प सूक्त, मनसादेवी सूक्त के पाठ नित्य करें।
* ऐसे किसी शिव मंदिर में जहां शिवजी पर नाग न हो, प्रतिष्ठा करवाकर नाग चढ़ाएं।
* नित्य नाग गायत्री तथा 'ॐ नाग देवतायै नम:' का जप करने से कार्यों की रुकावट दूर होकर समृद्धि बढ़ती है।
* नित्य मंदिर में शिवजी एवं नाग देवता को दूध चढ़ाने से धनागम होता है।
* शिवजी का मंत्र 'ॐ नमो सोमेश्वराय' का जप करने से चन्द्र पीड़ा व नाग दोष दूर होता है।
ज्ञातव्य है कि सर्प दूध नहीं पीते हैं। दूध पीने से वे जल्द मर जाते हैं और जानवरों को पकड़ना तथा उन्हें कैद में रखना व कष्ट देना कानूनन अपराध है।