समस्त ज्योतिष ग्रंथों अलावा महर्षि पाराशर और वराहमिहिर के शास्त्रों में भी कालसर्प दोष का वर्णन मिलता है। ज्योतिष के अनुसार व्यक्ति की कुंडली में ग्रह जब राहु और केतु के मध्य आ जाते हैं तो कालसर्प दोष लग जाता है।
जिन्हें कालसर्प दोष होता है उन्हें नागपंचमी के दिन पूजा करने से लाभ होता है। इस दिन नागदेव को दूध सिर्फ चढ़ाया जाता है पिलाने से उन्हें कष्ट होता है। नागदेव की आराधना से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। इस दिन विशेष रूप से शिवमंदिर में 1 माला शिव गायत्री मंत्र का जप करने और चांदी, सोने या तांबे के नाग-नागिन के जोड़े चढ़ाने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।
शिव गायत्री मंत्र
'ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि तन्नोरुद्र: प्रचोदयात्।'
नागपंचमी के दिन शिव मंदिर में 21 चंदन धूपबत्ती और 5 तेल या घी के दीपक लगाकर शिव गायत्री मंत्र का जाप करने से निश्चित रूप से शुभ फल प्राप्त होगा। धन-धान्य, संपत्ति, समृद्धि, ऐश्वर्य, सौभाग्य, वैभव, सफलता, प्रगति और संतान सुख का आशीष मिलता है।