नाग जाति का इतिहास भारत के प्राचीन गौरव का प्रतीक है। नागों का नाम उनकी नाग पूजा के कारण नहीं, अपितु नाग को अपना कुल देवता तथा रक्षक मानने के कारण हुआ है। वैदिक युग से ही नाग पूजा का प्रारंभ माना जाता है।
गृह यसूर्पा की नाग पूजा तथा प्राचीन कोल-मील आदि जातियों की नाग पूजा के स्वरूप में महान अंतर है। एक नाग देवताओं की पूजा है, जबकि दूसरी यथार्थ में सर्पों की पूजा है।
प्राचीन नाग जाति भारतीय आर्यों की ही एक शाखा थी। पौराणिक आधार पर कश्यप ऋषि नागों के पिता थे। बाद में नाग जाति एक बहुत बड़ा समुदाय बन गया।