Nag Panchami 2024: सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को नागपंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन 12 प्रमुख नागों की पूजा की जाती है जो कि सभी शिवजी के गण हैं। इनमें से भी 8 नाग प्रमुख हैं। इस बार नाग पंचमी का पर्व 9 अगस्त 2024 शुक्रवार को मनाया जाएगा। आओ जानते हैं 12 नागों के नाम और 8 नागों का परिचय। पूजा के शुभ मुहूर्त।
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्।
शङ्ख पालं धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा॥
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।
सायङ्काले पठेन्नित्यं प्रातःकाले विशेषतः।
तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्॥
मन्त्र अर्थ- नौ नाग देवताओं के नाम अनन्त, वासुकी, शेष, पद्मनाभ, कम्बल, शङ्खपाल, धृतराष्ट्र, तक्षक तथा कालिया हैं। यदि प्रातःकाल नियमित रूप से इनका जप किया जाता है, तो नाग देवता आपको समस्त पापों से सुरक्षित रखेंगे तथा आपको जीवन में विजयी बनाएंगे।
शेष नाग : इन नागों में सबसे बड़ा शेष नाग है जो कि श्रीहरि विष्णु की सेवा में रहते हैं। राम के भाई लक्ष्मण और श्रीकृष्ण के भाई बलराम दोनों ही शेषनाग के अवतार थे। इसके बाद वासुकि नाग का नाम आता है जोकि भगवान शिव की सेवा में लगे रहते हैं और जिनकी बहन का नाम मनसा देवी है।
9 अगस्त 2024 का शुभ मुहूर्त :
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:00 से 12:53 तक.
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:39 से 03:33 तक.
गोधूलि मुहूर्त: शाम 07:06 से 07:27 तक.
सायाह्न सन्ध्या: शाम 07:06 से 08:10 तक.
अमृत काल: शाम 07:57 पी एम से 09:45 तक.
निशिथ काल: रात्रि 12:05 से 12:48 तक ( अगस्त 10).
रवि योग: 02:44am अगस्त 10 से 05:48am तक
1. शेषनाग- भगवान विष्णु के सेवक शेषनाग के सहस्र फन पर धरती टिकी हुई है। ब्रह्मा के वरदान से ये पाताल लोक के राजा हैं। रामायण काल में लक्ष्मण शेषनाग के अवतार थे और महाभारत काल में बलराम शेषनाग के अंश थे।
2. वासुकि- भगवान शिव के सेवक वासुकि हैं। समुद्र मंथन के दौरान मंदराचल पर्वत को मथनी तथा वासुकि को ही नेती (रस्सी) बनाया था। त्रिपुरदाह के समय वे शिव के धनुष की डोर बने थे। महाभारत काल में उन्होंने विष से भीम को बचाया था।
3. पद्म- पद्म नागों का गोमती नदी के पास के नेमिश नामक क्षेत्र पर शासन था। बाद में ये मणिपुर में बस गए थे। असम के नागवंशी इन्हीं के वंश से है।
4. महापद्म- विष्णुपुराण में सर्प के विभिन्न कुलों में महापद्म का नाम भी आया है। पद्म और महापद्म नाग कुल में विशेष प्रीति थी।
5. तक्षक- महाभारत काल में शमीक मुनि के शाप के कारण तक्षक नाग ने राजा परीक्षित को डंस लिया था। तब उनके पुत्र जन्मेजय ने नागदाह यज्ञ कर सभी नागों को मार दिया था लेकिन कर्कोटक बच गया था।
6. कुलिक- कुलिक नाग जाति नागों में ब्राह्मण कुल की मानी जाती है जिसमें अनंत भी आते हैं। ये अन्य नागों की भांति कश्यप ऋषि के पुत्र थे लेकिन इनका संबंध सीधे ब्रह्माजी से भी माना जाता है।
7. कर्कोटक- नागराज कर्कोटक शिव के गण थे। नारद के शाप से वे एक अग्नि में पड़े थे, लेकिन नल ने उन्हें बचाया और कर्कोटक ने एक शाप के चलते नल को ही डंस लिया। शिवजी की स्तुति के कारण कर्कोटक जन्मेजय के नाग यज्ञ से बचकर अवंतिका में छुप गए थे।
8. शंख- नागों के 8 मुख्य कुलों में से एक है। शंख नागों पर धारियां होती हैं। यह जाति अन्य नाग जातियों की अपेक्षा अधिक बुद्धिमान मानी जाती थी।
भारत में उपरोक्त आठों के कुल का ही क्रमश: विस्तार हुआ जिनमें निम्न नागवंशी रहे हैं- नल, कवर्धा, फणि-नाग, भोगिन, सदाचंद्र, धनधर्मा, भूतनंदि, शिशुनंदि या यशनंदि तनक, तुश्त, ऐरावत, धृतराष्ट्र, अहि, मणिभद्र, अलापत्र, शंख चूड़, कम्बल, अंशतर, धनंजय, कालिया, सौंफू, दौद्धिया, काली, तखतू, धूमल, फाहल, काना, गुलिका, सरकोटा इत्यादी नाम के नाग वंश हैं। अग्निपुराण में 80 प्रकार के नाग कुलों का वर्णन है।