Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

Nanak jayanti 2024: गुरु नानक देव जी की अमृतवाणी

हमें फॉलो करें Nanak jayanti 2024: गुरु नानक देव जी की अमृतवाणी

WD Feature Desk

, गुरुवार, 14 नवंबर 2024 (15:31 IST)
Nanak jayanti 2024 : सिख धर्मग्रंथों के अनुसार गुरु नानक देव जी का अवतरण एक ऐसे युग में हुआ, जो इस देश के इतिहास के सबसे अंधेरे युगों में था। गुरु नानक देव का जन्म 1469 में लाहौर से 30 मील दूर दक्षिण-पश्चिम में तलवंडी रायभोय नामक स्थान पर हुआ।
 
Highlights 
  • गुरु नानक के विचार क्या थे?
  • गुरु नानक की शिक्षाएं क्या हैं?
  • गुरु नानक ने क्या संदेश दिया था?
सिख धर्म के संस्थापक नानक देव एक ऐसे संत है, जिनकी वाणी से हर बार प्रेम का ही मंत्र निकला। यहां पढ़ें नानक देव की वाणी पर रोचक जानकारी...
 
1. 'अंतर मैल जे तीर्थ नावे तिसु बैंकुठ ना जाना/ 
लोग पतीणे कछु ना होई नाही राम अजाना,' 
अर्थात् सिर्फ जल से शरीर धोने से मन साफ नहीं हो सकता, तीर्थयात्रा की महानता चाहे कितनी भी क्यों न बताई जाए, तीर्थयात्रा सफल हुई है या नहीं, इसका निर्णय कहीं जाकर नहीं होगा। इसके लिए हर एक मनुष्य को अपने अंदर झांक कर देखना होगा कि तीर्थ के जल से शरीर धोने के बाद भी मन में निंदा, ईर्ष्या, धन-लालसा, काम, क्रोध आदि कितने कम हुए हैं। अत: नानक जी कहते हैं कि हमें अपने अंदर अवश्य ही झांकना चाहिए। 
 
2. एक बार कुछ लोगों ने नानक देव जी से पूछा- आप हमें यह बताइए कि आपके मत अनुसार हिंदू बड़ा है या मुसलमान। 
नानक देव जी ने कहा, 
'अवल अल्लाह नूर उपाइया कुदरत के सब बंदे/
एक नूर से सब जग उपजया को भले को मंदे,' 
अर्थात् सब बंदे ईश्वर के पैदा किए हुए हैं, न तो हिंदू कहलाने वाला रब की निगाह में कबूल है, न मुसलमान कहलाने वाला। रब की निगाह में वही बंदा ऊंचा है जिसका अमल नेक हो, जिसका आचरण सच्चा हो।
 
3. एक बार नानक जी ने तीर्थ स्थानों पर स्नान के लिए इकट्ठे हुए श्रद्धालुओं को समझाते हुए कहा- 
'मन मैले सभ किछ मैला, 
तन धोते मन अच्छा न होई,' 
अर्थात् अगर हमारा मन मैला है तो हम कितने भी सुंदर कपड़े पहन लें, अच्छे-से तन को साफ कर लें, बाहरी स्नान, सुंदर कपड़ों से हम संसार को तो अच्छे लग सकते हैं, मगर परमात्मा को नहीं, क्योंकि परमात्मा हमारे मन की अवस्था को देखता है।
 
4. गुरु नानक देव जी जनता को जगाने के लिए और धर्म प्रचारकों को उनकी खामियां बतलाने के लिए अनेक तीर्थस्थानों पर पहुंचे और लोगों से धर्मांधता से दूर रहने का आग्रह किया। उन्होंने पितरों को भोजन यानि मरने के बाद करवाए जाने वाले भोजन का विरोध किया और कहा कि मरने के बाद दिया जाने वाला भोजन पितरों को नहीं मिलता। हमें जीते जी ही मां-बाप की सेवा करनी चाहिए।

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Guru Nanak Jayanti 2024: कब है गुरु नानक जयंती? जानें कैसे मनाएं प्रकाश पर्व