Roop chaturdashi 2024: रूप चौदस का अभ्यंग स्नान कब होगा, जानिए शुभ मुहूर्त और स्नान विधि
Narak chaturdashi 2024: नरक चतुर्दशी का त्योहार कब मनाया जाएगा, जानिए शुभ मुहूर्त
Roop chaudas kab aati hai 2024: रूप चौदस, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। यह दिवाली के पांच दिनी उत्सव का दूसरा दिन होता है। इसे छोटी दिवाली और नरक चतुर्दशी भी कहते हैं। हनुमान जयंती भी रहती है। लाला रामस्वरूप जी.डी एंड संस के अनुसार 30 अक्टूबर 2024 बुधवार के दिन नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाएगा। अगले दिन 31 अक्टूबर गुरुवार को सुबह 05:33 से 06:47 के बीच रूप चौदस का अभ्यंग स्नान होगा जिसका मुहूर्त है।
नरक चतुर्दशी और रूप चौदस के शुभ मुहूर्त:-
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चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ- 30 अक्टूबर 2024 को दोपहर 01:15 बजे से।
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चतुर्दशी तिथि समाप्त- 31 अक्टूबर 2024 को दोपहर 03:52 बजे तक।
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30 अक्टूबर पूजा का शुभ मुहूर्त:- शुभ मुहूर्त प्रात: 05:26 से 06:47 तक और इसके बाद शाम 05:41 से 07 बजे तक रहेगा।
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31 अक्टूबर अभ्यंग स्नान का मुहूर्त:- प्रात: 05:33 से 06:47 बजे के मध्य।
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31 अक्टूबर को चन्द्रोदय का समय- प्रात: 05:33 बजे।
अभ्यंग स्नान: प्रात: जल्दी उठकर अभ्यंग स्नान करने से सौंदर्य और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। इस दिन को रूप चौदस भी कहते हैं। इस दिन प्रातःकाल में सूर्योदय से पूर्व उबटन लगाकर नीम, चिचड़ी जैसे कड़ुवे पत्ते डाले गए जल से स्नान का अत्यधिक महत्व है। उक्त कार्य नहीं कर सकते हैं तो मात्र चंदन का लेप लगाकर सूख जाने के बाद तिल एवं तेल से स्नान किया जाता है। प्रात: स्नान के बाद सूर्यदेव को अर्ध्य दिया जाता है।
Narak chaturdashi 2024: दीपावली के पांच दिनी उत्सव में नरक चतुर्दशी दूसरे दिन का त्योहार रहता है। इसे छोटी दिवाली और रूप चौदस भी कहते हैं। इसी दिन हनुमान जयंती भी रहती है। नरक चतुर्दशी की रात्रि की पूजा 30 अक्टूबर को होगी और उदयातिथि के अनुसार रूप चतुर्दशी का अभ्यंग स्नान 31 अक्टूबर को होगा। नरक चतुर्दशी पूजा: इस दिन शिव पूजा, माता कालिका, भगवान वामन, हनुमानजी, यमदेव और भगवान कृष्ण की पूजा करने से मृत्यु के बाद नरक नहीं जाना पड़ता है। विष्णु मंदिर और कृष्ण मंदिर में भगवान का दर्शन करना चाहिए। इससे पाप कटता है और रूप सौन्दर्य की प्राप्ति होती है।
कैसे करते हैं अभ्यंग स्नान?
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प्रात:काल सूर्य उदय से पहले अभ्यंग (मालिश) स्नान करने का महत्व है।
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इस दौरान तिल के तेल से शरीर की मालिश करनी चाहिए
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उसके बाद अपामार्ग यानि चिरचिरा को सिर के ऊपर से चारों ओर 3 बार घुमाएं।
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फिर उसको जल में मिलाकर उससे स्नान करें।
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उबटन लगाकर नीम, अपामार्ग यानी चिचड़ी जैसे कड़ुवे पत्ते डाले गए जल से स्नान करें।
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उक्त कार्य नहीं कर सकते हैं तो मात्र चंदन का लेप लगाकर सूख जाने के बाद तिल एवं तेल से स्नान किया जाता है।
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स्नान करने के बाद दक्षिण दिशा में मुख करके हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना करें।
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ऐसा करने से मनुष्य द्वारा अब तक किए गई सभी पापों का नाश होकर स्वर्ग का रास्ता खुल जाता है।