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मनमोहन चीन के साथ सुलझाएंगे सीमा विवाद

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हमें फॉलो करें मनमोहन सिंह
नई दिल्ली , रविवार, 20 अक्टूबर 2013 (12:46 IST)
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपनी यात्रा के दौरान चीन के साथ प्रस्तावित सीमा सहयोग समझौता अपने एजेंडे के शीर्ष पर रहने का संकेत देते हुए रविवार को कहा कि वे चीनी प्रधानमंत्री ली क्विंग के साथ मुद्दे पर दूरंदेशी और समस्या सुलझाने के दृष्टिकोण से चर्चा करेंगे।

सिंह ने रूस और चीन की 5 दिवसीय यात्रा पर रवाना होने से पहले जारी अपने बयान में यद्यपि रूस की सहायता से निर्मित कुडनकुलम ऊर्जा परियोजना में दो परमाणु रिएक्टरों की स्थापना को लेकर एक समझौते पर बातचीत का कोई भी उल्लेख नहीं किया।

सिंह ने कहा कि भारत और चीन के बीच ऐतिहासिक मुद्दे तथा चिंता के विषय हैं। दोनों सरकारें उनका समाधान गंभीरता और परिपक्वता से कर रही हैं तथा ऐसा करते हुए इस बात का भी ध्यान रखा जा रहा है कि इसका प्रभाव मित्रता और सहयोग के समग्र वातावरण पर नहीं पड़े।

उन्होंने अपनी रवानगी के दौरान दिए गए बयान में कहा कि मैं इनमें से कुछ मुद्दों पर नेताओं के बीच रणनीतिक संवाद के तहत तथा दूरंदेशी और समस्या सुलझाने के दृष्टिकोण से चर्चा करूंगा।

सिंह ने कहा कि भारत और चीन सीमा पर शांति और धैर्य बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण सहमति पर पहुंच चुके हैं और इन दोनों देशों ने भारत-चीन सीमा के प्रश्न के हल की दिशा में शुरुआती प्रगति कर ली है।

बीती गर्मियों में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिकों द्वारा लद्दाख की देपसांग घाटी में दीर्घकालीन घुसपैठ की पृष्ठभूमि में दोनों देशों के अधिकारी अपनी सेनाओं के बीच ‘आमना-सामना’ की स्थिति आने से बचाव के लिए सीमा रक्षा सहयोग समझौते पर काम कर रहे हैं।

ऐसे संकेत हैं कि इस समझौते पर इस यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किए जा सकते हैं। बुधवार को चीनी प्रधानमंत्री के साथ दोपहर का भोजन करने के बाद चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग प्रधानमंत्री सिंह की रात के भोजन पर मेजबानी करेंगे। किसी भी भारतीय नेता के लिए यह एक दुर्लभ अवसर है।

सिंह ने कहा कि विश्व के दो बहुत सघन जनसंख्या और बड़ी व उभरती अर्थव्यवस्थाओं वाले देश भारत व चीन आज क्षेत्रीय, वैश्विक और आर्थिक हितों पर अग्रगामी सामंजस्य रखते हैं। इसकी मुख्य वजह विकास के लिए इन दोनों देशों की महत्वाकांक्षाएं और आसपास का रणनीतिक माहौल है।

उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच शांतिपूर्ण, मैत्रीपूर्ण और सहयोगात्मक संबंधों ने दोनों ही देशों और पूरे क्षेत्र के लिए स्थिरता के साथ विकास करने की स्थितियां उत्पन्न की हैं। यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री चीनी वार्ताकारों के साथ साझा रणनीतिक हितों को मजबूत करने के माध्यमों और तरीकों पर चर्चा करेंगे। सिंह ने कहा कि मैं बीजिंग में सेंट्रल पार्टी स्कूल में संबोधन के जरिए चीन के भविष्य के नेताओं के साथ नए युग में भारत-चीन के संबंधों पर अपने विचार साझा करूंगा।

उन्होंने कहा कि बीजिंग के दौरे से इस साल की शुरूआत में चीन में आए नए नेतृत्व के साथ उन चर्चाओं को जारी करने का अवसर मिलेगा, जो चीनी प्रधानमंत्री के बीते मई में भारत दौरे के दौरान की गई थीं। नई चीन सरकार का प्रमुख होने के नाते प्रधानमंत्री ली का यह पहला विदेश दौरा था।

चीन को भारत का सबसे बड़ा पड़ोसी और व्यापार के क्षेत्र में बड़े सहयोगियों में से एक सहयोगी बताते हुए सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री के रूप में मेरे पिछले 9 साल के कार्यकाल के दौरान मैंने रणनीतिक और सहयोगात्मक साझेदारी स्थापित करने, सहयोग और वार्ता के लिए समग्र तंत्र बनाने के लिए और दोनों देशों के बीच के द्विपक्षीय मसलों पर चर्चा के लिए चीनी नेताओं के साथ काम किया है।

आज से अपनी रूस यात्रा के संदर्भ में प्रधानमंत्री ने कहा कि रूस के साथ वाषिर्क सम्मेलन विशेष और प्रमुख रणनीतिक साझेदारी का एक अहम भाग है। यह सम्मेलन इससे पहले वर्ष 2000 में हुआ था। सिंह सोमवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ 14वें वाषिर्क सम्मेलन में भाग लेंगे। यह सिंह का पांचवा मास्को दौरा है।

सिंह ने कहा कि रूस के साथ हमारे संबंध की संभावनाएं विशिष्ट हैं। इन संभावनाओं में रक्षा, परमाणु उर्जा, विज्ञान और तकनीक, हाइड्रोकार्बन, व्यापार व निवेश और लोगों के बीच परस्पर संपर्क के क्षेत्र में मजबूत और बढ़ता सहयोग शामिल है। (भाषा)

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