नई दिल्ली। तुलसीदास रचित रामचरित मानस में जाति और महिलाओं के खिलाफ टिप्पणियों पर लगातार हमलावर मुद्रा में सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने ट्वीट कर कहा कि भागवत ने तथाकथित धर्म के ठेकेदारों की कलई खोल दी है। कम से कम अब तो मानस से आपत्तिजनक टिप्पणियों को हटाने के लिए आगे आना चाहिए।
मौर्य ने ट्वीट कर कहा कि यदि यह बयान (संघ प्रमुख भागवत) मजबूरी का नहीं है तो साहस दिखाते हुए केंद्र सरकार को कहकर, रामचरितमानस से जातिसूचक शब्दों का प्रयोग कर नीच, अधम कहने तथा महिलाओं, आदिवासियों, दलितों व पिछड़ों को प्रताड़ित, अपमानित करने वाली टिप्पणियों को हटवाएं। मात्र बयान देकर लीपापोती करने से बात बनने वाली नही है।
उन्होंने कहा कि जाति व्यवस्था पंडितों (ब्राह्मणों) ने बनाई है, यह कहकर संघ प्रमुख भागवत ने धर्म की आड़ में महिलाओं, आदिवासियों, दलितों व पिछड़ों को गाली देने वाले तथाकथित धर्म के ठेकेदारों व ढोंगियों की कलई खोल दी, कम से कम अब तो रामचरित मानस से आपत्तिजनक टिप्पणी हटाने के लिए आगे आएं।
क्या कहा था भागवत ने? : संघ प्रमुख मोहन भागवत ने जातिवाद को लेकर कहा कि हिन्दू समाज के बंटवारे का ही फायदा दूसरों ने उठाया है। इसी का लाभ उठाकर हमारे देश में आक्रमण हुए और बाहर से आए लोगों ने इसी जातिवाद का फायदा उठाया। हमारी आजीविका का मतलब समाज के प्रति भी जिम्मेदारी होती है, जब हर काम समाज के लिए है तो कोई ऊंचा, कोई नीचा या कोई अलग कैसे हो गया?
भागवत ने कहा कि ईश्वर ने हमेशा कहा है कि मेरे लिए सभी एक हैं। उनमें जाति और वर्ण का कोई भेद नहीं है। लेकिन, पंडितों ने जो श्रेणियां बनाई हैं, वे पूरी तरह गलत हैं। विवेक, चेतना सभी एक है, उसमें कोई अंतर नहीं है। बाबा साहब अंबेडकर को कोट करते हुए उन्होंने कहा कि धर्म को हमने बदलने की कोशिश नहीं की। यदि बदलता है तो धर्म छोड़ दो। परिस्थिति को कैसे बदलें, यह बताया है।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala