Sawan posters

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

आईआईटी के लिए 12वीं में अच्छे अंक जरूरी

Advertiesment
हमें फॉलो करें आईआईटी
नई दिल्ली (भाषा) , सोमवार, 19 अक्टूबर 2009 (23:51 IST)
FILE
कोचिंग संस्थाओं पर लगाम लगाने और छात्रों के बोर्ड परीक्षा पर अधिक ध्यान देने के लिए सरकार आईआईटी संयुक्त प्रवेश परीक्षा देने वाले छात्रों के लिए 2011 से पात्रता की शर्तो को 12वीं कक्षा में 80 से 85 प्रतिशत अंक बना सकती है।

अभी तक आईआईटी-जेईई प्रवेश परीक्षा के लिए 12वीं कक्षा में कम से कम 60 प्रतिशत अंक जरूरी था। मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि आईआईटी संयुक्त प्रवेश परीक्षा में उपस्थित होने के लिए 12वीं कक्षा में 60 प्रतिशत अंक की पात्रता शर्त स्वीकार्य नहीं है। आईआईटी-जेईई में उपस्थित होने के लिए न्यूनतम पात्रता शर्त के तहत 12वीं कक्षा में 80 से 85 प्रतिशत अंक होने चाहिए।

आईआईटी परिषद की बैठक के बाद मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि आईआईटी, जेईई प्रणाली और पाठ्यक्रम के विषय पर ध्यान देने के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया जाएगा। यह समिति तीन महीने में इसमें होने वाले बदलाव के बारे में सुझाव के साथ रिपोर्ट पेश करेगी। समिति में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी साचिव टी रामासामी, जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव एमके भान और सीएसआईआर के महानिदेशक समीर ब्रह्मचारी शामिल हैं।

आईआईटी-जेईई परीक्षा देने वाले छात्रों की तैयारी कराने के लिए कुकुरमुत्ते की तरह खुले कोचिंग संस्थाओं पर लगाम लगाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए सरकार ने आज पात्रता और प्रक्रिया में बदलाव का निर्णय किया है ताकि छात्र 12वीं कक्षा में पढ़ाई पर अधिक ध्यान दें।

सिब्बल ने कहा कि कोचिंग संस्थाएँ छात्रों को आईआईटी में प्रवेश के लिए तैयारी कराते हैं। इसके परिणामस्वरूप छात्र 12वीं कक्षा की पढ़ाई को गंभीरता से नहीं लेते क्योंकि उनका अधिक से अधिक ध्यान प्रवेश परीक्षा की तैयारी पर होता है।

मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि हम कोचिंग संस्थाओं से छुटकारा पाना चाहते हैं और बोर्ड परीक्षा पर अधिक ध्यान देना चाहते हैं। आईआईटी-जेईई प्रणाली में तीन वर्ष पहले संशोधन किया गया था जब प्रवेश परीक्षा के लिए पत्रता की शर्त को 12वीं कक्षा में बढ़ा कर 60 प्रतिशत अंक कर दिया गया था।

सिब्बल ने कहा कि तीन सदस्यीय समिति पाठ्यक्रम से जुड़े विषयों पर ध्यान देने के बाद तीन महीने में जरूरी बदलाव के बारे में सुझाव देगी। समिति आईआईटी की ओर से नये समय को ध्यान में रखते हुए शुरू किए जाने पाठ्यक्रमों के विषय पर भी सुझाव देगी।

सिब्बल इस बात पर जोर देते रहे हैं कि आईआईटी को मानविकी और चिकित्सा जैसे पाठ्यक्रम भी शुरू करने चाहिए। समिति अपनी रिपोर्ट जनवरी में पेश करेगी।

सरकार ने 12वीं कक्षा के अंत में छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति की पात्रता की शर्तो में भी बदलाव करने का निर्णय किया है। इसके तहत वार्षिक पारिवारिक आय की पात्रता को बदल कर 4.5 लाख रुपए करने का निर्णय किया है, जो पहले दो लाख रुपए थी।

सिब्बल ने कहा कि अधिक संख्या में विदेशी छात्रों को आकर्षित करने के लिए सरकार दक्षेस देशों और अफ्रीकी देशों के छात्रों के लिए फीस ढाँचे को घटाएगी। अभी विदेशी छात्रों को भारतीय समकक्षों की तुलना में अधिक फीस देनी पड़ती है। इस बारे में दो अलग तरह का फीस ढाँचा है - एक दक्षेस देश के छात्रों के लिए और दूसरा अन्य देशों के छात्रों के लिए।

बहरहाल, दोनों श्रेणियों के तहत आने वाले छात्रों को भारतीय छात्रों की तुलना में अधिक फीस देनी पड़ती है। अधिक फीस के कारण आईआईटी में विदेशी छात्रों की संख्या काफी कम हैं।

काकोदकर आईआईटी समिति के मुखिया
दस हजार नए आईटीआई खोलने की तैयार

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi