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आतंकवादी हैं माओवादी : जयराम रमेश

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हमें फॉलो करें जयराम रमेश
नई दिल्ली , मंगलवार, 28 मई 2013 (23:07 IST)
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नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने चार दिन पहले छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के कई नेताओं की हत्या करने वाले माओवादियों को आतंकवादी करार देते हुए आज उम्मीद जताई कि जानबूझकर और योजना बनाकर किया गया यह नरसंहार उनके खिलाफ लड़ाई में एक निर्णायक मोड़ साबित होगा।

ग्रामीण विकास मंत्री ने एनडीटीवी को एक साक्षात्कार में कहा कि माओवादियों को लेकर रूमानी नहीं होना चाहिए क्योंकि वे आतंकवादी हैं जो आतंक फैलाते हैं। वह शनिवार को हुए हमले में छत्तीसगढ़ के कांग्रेस अध्यक्ष और पार्टी के कुछ अन्य नेताओं सहित 27 लोगों के मारे जाने के बारे में बात कर रहे थे।

आमतौर पर माओवादियों के खिलाफ सख्त रूख अख्तियार करने के विरोधी रहने वाले रमेश ने कहा कि उनकी (माओवादियों) संविधान, लोकतंत्र या लोकतांत्रिक संस्थानों पर कोई आस्था नहीं है। उनकी कोई विचारधारा पर आधारित माओवाद नहीं है बल्कि यह फिरौती पर आधारित है।

उन्होंने कहा कि सरकार की रणनीति से पीछे नहीं हटा जा सकता जो सुरक्षा और पुलिस कार्रवाई तथा राजनीतिक संवाद को केंद्र में रखे हुए है। आदिवासी विकास के मुद्दों का समाधान करने के लिए विकास योजनाओं पर काम करना होगा।

रमेश ने कहा, ‘2004 से लेकर अभी तक हम कह रहे हैं कि यह कानून व्यवस्था का मुद्दा है और साथ ही यह सामाजिक आर्थिक मुद्दा भी है। दोनों तरह से समाधान करना होगा।’ उन्होंने माओवादियों को आड़े हाथ लेते हुए कहा, ‘वे आतंकवादी हैं। चाहे वे जो कुछ भी हो? आप उनसे नरमी नहीं बरत सकते। वे भय फैला रहे हैं। वे आतंक फैला रहे हैं।’

रमेश ने कहा कि शनिवार की घटना सिर्फ एक हत्याकांड नहीं है। यह अति निर्दयता वाला नरसंहार है। इससे राजनीतिक संकेत जुड़ा हुआ है। उन्होंने इस हमले के पीछे मौजूद संदेश को बयां करते हुए कहा कि उन्हें लगता है कि यह इस बारे में संकेत है कि माओवादी कांग्रेस और अन्य राजनीतिक पार्टियों को बताना चाहते हैं, ‘यह स्वतंत्र क्षेत्र हैं, यहां मत आओ, आपका राजनीतिक संवाद नहीं चलेगा, आपकी ग्राम सभा नहीं चलेगी और रैलियां नहीं होंगी।’

उन्होंने कहा कि यह भारत में अस्वीकार्य स्थिति है। उन्होंने कहा कि यदि माओवादियांे को अपने पर इतना ही भरोसा है तो वे क्यों नहीं चुनाव प्रक्रिया में भाग लेते? रमेश ने कहा कि गरीब आदिवासी माओवादियों और सुरक्षा बलों की बंदूकों के बीच फंस गए हैं। (भाषा)

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