इराक में फंसी 46 भारतीय नर्सें रिहा
नई दिल्ली, कोच्चि , शुक्रवार, 4 जुलाई 2014 (21:22 IST)
नई दिल्ली, कोच्चि। संघर्ष प्रभावित इराक में आईएसआईएस आतंकवादियों द्वारा बंधक बनाकर रखी गईं 46 भारतीय नर्सों को मुक्त कर दिया गया है और उन्हें एयर इंडिया के विशेष विमान से स्वदेश वापस लाया जा रहा है। एयर इंडिया का विशेष विमान शुक्रवार को शाम इराक में संघर्ष से अप्रभावित क्षेत्र इरबिल के लिए रवाना हो गया।
अधिकारियों ने बताया कि नर्सों के कल सुबह कोच्चि पहुंचने की उम्मीद है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने नई दिल्ली में कहा, मैं इस बात की पुष्टि कर सकता हूं कि अपनी इच्छा के विरुद्ध ले जाई गईं भारतीय नर्सें मुक्त हैं। वो इरबिल में भारतीय दूतावास के अधिकारियों के संपर्क में हैं। उत्तर इराक में इरबिल अरब खाड़ी देश के कुर्दिस्तान क्षेत्र की राजधानी है।नर्सों की अग्निपरीक्षा तब शुरू हुई जब नौ जून को आईएसआईएस (इस्लामिक स्टेट फॉर इराक एंड सीरिया) ने अपना तेज अभियान शुरू किया। नर्सों को कल उनकी इच्छा के खिलाफ ले जाया गया और तिकरित से 250 किलोमीटर दूर आतंकवादियों के कब्जे वाले मोसुल शहर में बंधक बनाकर रखा गया। इरबिल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा मोसुल से 70 किलोमीटर दूर है।प्रवक्ता ने कहा, नर्सें सुरक्षित हैं और उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। उन्होंने कहा कि एयर इंडिया का विमान दिल्ली से रवाना हो गया है। उन्होंने कहा, हम तब तक संतुष्ट नहीं होंगे जब तक कि हमारे प्रयास के अंतिम परिणाम प्राप्त नहीं होते और सभी नागरिकों को वापस नहीं लाते हैं।एक संयुक्त सचिव स्तर के आईएफएस अधिकारी और केरल की एक महिला आईएएस अधिकारी उन भारतीय अधिकारियों में शामिल हैं जो विशेष विमान से यात्रा कर रहे हैं। दिल्ली में केरल के मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने कहा कि नर्सें (इरबिल में) अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के निकट सीमा पर पहुंच गई हैं। चांडी ने कहा, नर्सें कल सुबह कोच्चि पहुंचेंगी। उन्होंने कहा, भारत सरकार, बगदाद स्थित दूतावास और राज्य सरकार हम सबने साथ मिलकर काम किया और अंतत: हम नर्सों को भारत वापस लाने के उद्देश्य को हासिल कर रहे हैं। कोच्चि में हवाई अड्डा सूत्रों ने बताया कि नर्सों और अन्य यात्रियों को लेकर एयर इंडिया के विशेष विमान बोइंग 777 के कल सुबह तकरीबन छह बजकर 40 मिनट पर इरबिल से शहर में पहुंचने की उम्मीद है।कोट्टायम की एक नर्स के परिवार के सदस्यों के अनुसार नर्सों को कल आतंकवादी तिकरित स्थित उनके अस्पताल से एक वाहन में बैठाकर ले गए और उन्हें मोसुल में एक अस्पताल के निकट एक पुरानी इमारत में रखा गया।नर्सों में से एक की मां शोभा ने कहा, मेरी बेटी ने कल रात तकरीबन पौने 11 बजे मुझे कॉल किया और कहा कि समूह को मोसुल में एक हॉल में रखा गया है। ऐसा लगता है कि यह एक अस्पताल का हिस्सा है। उसने मुझसे कहा कि अगर वह घर पर लगातार कॉल नहीं करे तो परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि उसे पता नहीं है कि वहां फोन चार्ज करने की सुविधा है या नहीं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि संघर्ष प्रभावित क्षेत्र से अपनी 46 नर्सों को निकालने के लिए भारत को इराक के भीतर और बाहर जबर्दस्त प्रयास करना पड़ा क्योंकि वहां कूटनीति का पारंपरिक साधन काम नहीं आया। उन्होंने कहा कि भारत ने आईएसआईएस के कब्जे से नर्सों को रिहा कराने के लिए अपने हरसंभव राष्ट्रीय संसाधनों का इस्तेमाल किया। आईएसआईएस के आतंकवादी कल नर्सों को तिकरित स्थित उनके अस्पताल से उनकी इच्छा के खिलाफ लेकर गए थे।हालांकि प्रवक्ता ने इस बात का ब्योरा नहीं दिया कि कैसे भारत नर्सों की रिहाई सुनिश्चित कर सका और सिर्फ इतना कहा कि संघर्ष प्रभावित क्षेत्र में अन्य लोग भी बंधक हैं और उन्हें मुक्त कराने की प्रक्रिया चल रही है और इस चरण में कोई भी टिप्पणी प्रतिकूल होगी।उन्होंने कहा कि हम फिलहाल नर्सों को कैसे, कब, कहां रिहा गया इसमें नहीं पड़ेंगे। प्रवक्ता ने कहा कि संयुक्त सचिव स्तर का अधिकारी विमान में नर्सों के साथ रहेगा। विमान में किरकुक से 70 अन्य भारतीय नागरिकों को भी लाया जाएगा।उन्होंने कहा कि नर्सों की रिहाई सुनिश्चित करने के बाद सरकार संघर्ष प्रभावित क्षेत्र में बंधक अन्य लोगों को मुक्त कराने के लिए दोहरा प्रयास करेगी लेकिन उन्होंने ब्योरा नहीं दिया। अन्य बंधकों में 39 लोगों का एक जत्था भी शामिल है।प्रवक्ता ने कहा, हम जमीनी स्तर पर और कूटनीतिक स्तर पर संवाद कर रहे हैं। इस चरण में हमारा प्राथमिक लक्ष्य इस बात को सुनिश्चित करना है कि उन्हें बंधन से मुक्त कराकर वापस लाया जाए। यह युद्ध की स्थिति है। प्रवक्ता ने कहा, इन नर्सों को मुक्त कराने के लिए इस्तेमाल संसाधनों को अन्य भारतीयों को मुक्त कराने में लगाया जाएगा। इराक से भारतीयों को वापस लाने में कोई कसर नहीं छोड़ा जाएगी। उन्होंने कहा, हम इस प्रयास के चरमोत्कर्ष पर पहुंचने तक संतुष्ट नहीं होंगे। यह पूछे जाने पर कि क्या राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने नर्सों की रिहाई के लिए बातचीत में कोई भूमिका निभाई तो विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि कूटनीतिक स्तर पर बातचीत में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज खुद शामिल थीं लेकिन जमीनी स्तर पर विवरण को साझा नहीं किया जा सकता।प्रवक्ता ने कहा, कूटनीति सामने के दरवाजों से काम करती है। हम अन्य दरवाजों का इस्तेमाल कर रहे हैं और कैसे उन दरवाजों का इस्तेमाल किया गया और दरवाजों को खटखटाया गया और कैसे उन्हें खोला गया, उसकी कहानी किसी और दिन के लिए है। आज की कहानी है कि उनमें से एक दरवाजे को खोला गया और हम अपने नागरिकों को निकालने में सक्षम हैं। प्रवक्ता ने उल्लेख किया कि नर्सों की स्थिति को लेकर भारतीय अधिकारी हमेशा उनके संपर्क में थे। (भाषा)