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इराक में लड़ने गए जिहादियों को ढूंढ रहा है भारत

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नई दिल्ली , गुरुवार, 10 जुलाई 2014 (10:19 IST)
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नई दिल्ली। नरेन्द्र मोदी की सरकार उन भारतीय लोगों के खिलाफ सख्‍ती से कार्रवाई कर सकती है, जो सीरिया और इराक के आतंकवादियों को जिहाद के नाम पर मदद करने गए थे। सीरिया और इराक में जारी हिंसा के बीच 18 भारतीय नागरिक भी जिहादियों के साथ लड़ रहे हैं। भारतीय सुरक्षा एजेंसियां इन लोगों की तलाश कर रही हैं। गृह मंत्रालय ने खुफिया तंत्र से इस संबंध में रिपोर्ट मांगी है।

भारतीय सुरक्षा एजेंसियां उन 18 भारतीय नागरिकों का पता लगाने में जुटी हैं, जो इराक और सीरिया में चल रहे 'जिहाद' में शामिल होने के लिए गए हैं। इन देशों में बढ़ रही शिया और सुन्नी हिंसा के बीच भारत भी दूसरे कई देशों की तरह अपने नागरिकों को इस लड़ाई में शामिल होने से रोकने की कोशिश कर रहा है।

इंटेलिजेंस सूत्रों के मुताबिक जिहादी बनने गए ये भारतीय पहले किसी आतंकी संगठन के सदस्य नहीं थे, लेकिन वे उग्रवादी विचारधारा से प्रभावित थे। यू-ट्यूब पर आतंकियों द्वारा अपलोड किए गए वीडियो देखकर ही इन लोगों के मन में जिहादी बनने इच्छा जगी थी।

भारतीय अधिकारियों के मुताबिक जिहादी बनने गए 6 लोगों को लगा कि उनके लीडर उनके साथ ठीक बर्ताव नहीं कर रहे हैं। ऐसे में वे इराक से भाग आए और इन दिनों खाड़ी देशों में रह रहे हैं, बाकी के 12 लोग अभी भी इराक में हैं।

भारत और अन्य देशों के लिए चिंता की बात यह है कि अगर ये जिहादी वापस स्वदेश लौटे तो वे समस्याएं खड़ी कर सकते हैं। फ्रांस के विदेश मंत्री लॉरंट फेबियस और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच हुई मीटिंग में भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी। दरअसल, हाल ही में पेरिस में यहूदी म्यूजियम पर हुए हमले के पीछे ऐसे ही लोगों का हाथ होने की बात कही जा रही है, जो सीरिया से लौटे थे।

भारत अकेला नहीं है, जहां के नागरिक सीरिया और इराक के आतंकियों की मदद करने के लिए निकले हैं। यूरोप और अमेरिका की हालत तो और भी खराब है। वेस्टर्न मीडिया के मुताबिक यूरोप और अमेरिका से करीब 2 हजार लोग इराक में चल रही लड़ाई को 'पवित्र युद्ध' मानते हुए इसमें शामिल होने के लिए पश्चिमी एशिया गए हैं।

यूके के अधिकारियों का कहना है कि उनकी जानकारी में करीब 200 लोग सीरिया गए हैं। उन्होंने यह भी आशंका जताई है कि असल संख्या इससे ज्यादा भी हो सकती है। डेनमार्क से करीब 45 लोग सीरिया गए हैं। फ्रांस के आंतरिक मंत्रालय के मुताबिक वहां से 110 लोग सीरिया गए हैं और उनमें से बहुत से वापस भी आए हैं।

जर्मनी का कहना है कि उसके यहां से 210 संदिग्ध इस्लामिक चरमपंथी वेस्ट एशिया के लिए निकले हैं जिनमें से 50 वापस आ गए हैं। स्वीडन के 30 नागरिक इराक और सीरिया गए हैं।

अगले पन्ने पर उस्मान के खिलाफ लुकआउट नोटिस...


'इंडियन एक्सप्रेस' अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक हाल ही में एक जिहादी उस्मान के खिलाफ भारत सरकार ने लुकआउट नोटिस जारी किया है। तमिलनाडु में पैदा हुए 38 वर्षीय हाजी फकरुदीन उस्मान अली पर शक है कि वह सुन्नी चरमपंथी गुट आईएसआईएस के साथ मिलकर इराक में संघर्ष कर रहा है। उस्मान अली के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी कर दिया गया है।

उस्मान को भारतीय सीमा में घुसने से रोकने के लिए हवाई अड्डों और बंदरगाहों को भी अलर्ट रहने के आदेश दिए गए हैं। हालांकि उस्मान अली अब सिंगापुर का बाशिंदा है और कहा जाता है कि वह सीरिया के गृहयुद्ध में भी शामिल हुआ था।

अधिकारियों का कहना है कि उस्मान अली भारतीय कनेक्शन वाले किसी शख्स का इराकी जिहाद में शामिल होने का पहला ठोस उदाहरण हो सकता है। हालांकि उस्मान अली के खिलाफ भारत में कोई मुकदमा नहीं है, लेकिन अब वह भारत की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है। यदि उसे यहां रहने दिया गया तो वह और लोगों को जिहाद के लिए उकसा सकता है।

सिंगापुर सरकार से सूचना मिलने के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने उस्मान अली के भारतीय संपर्कों के बारे में जानकारी जुटाई और उन सब पर नजर रखी जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, उस्मान अली को कट्टरपंथी बनाने में तमिलनाडु के ही एक शख्स गुल मोहम्मद का हाथ था जिसे हाल ही में सिंगापुर से भारत प्रत्यर्पित किया गया है।

इंटेलिजेंस एजेंसियों की नजर में आने से पहले गुल मोहम्मद सिंगापुर में एक मल्टीनेशनल कंपनी के साथ काम कर रहा था। गुल मोहम्मद ने सुरक्षा एजेंसियों को बताया था कि उसने कई कट्टरपंथी युवाओं को सीरिया जाने के लिए आर्थिक सहायता दी थी। जब एजेंसियों ने गुल मोहम्मद के दावे की हकीकत जाननी चाही तो जांच में पता चला कि उस्मान अली जिहाद में शामिल होने के लिए तुर्की के रास्ते जनवरी में सीरिया पहुंचा था।

गौरतलब है कि भारत में सीरिया के राजदूत रियाद अब्बास ने एक अहम खुलासा करते हुए कहा था कि 'भारतीय जिहादी' भी सीरिया में लड़ रहे हैं। भारतीय जिहादी चेचन्या और अफगानी लड़ाकों के साथ मिलकर राष्ट्रपति बशर अल असद के खिलाफ जंग में शामिल थे। ये जिहादी लड़ाके 'इस्लामिक जिहाद' के नाम पर सरकार के खिलाफ हथियार उठाए हुए थे। एक अंग्रेजी अखबार से बात करते हुए रियाद ने कहा कि इस जंग में कई भारतीय जिहादी मारे जा चुके हैं और कई जिंदा पकड़े गए हैं।

सीरियाई राजदूत ने यह जानकारी भारत सरकार के साथ भी साझा की थी। रियाद ने कहा था कि पिछले 2 सालों में कोई भारतीय अधिकारी सीरिया में हालात का जायजा लेने के लिए नहीं गया है इसलिए वे भारत को भारतीय लड़ाकों के बारे में कोई सबूत मुहैया नहीं करा पाए। इसके बाद अब खबर यह है कि 18 से ज्यादा भारतीय इराक के आतंकवादियों के साथ लड़ाई लड़ रहे हैं, जबकि एक टीवी चैनल की खबर के अनुसार हजारों भारतीय इराक में जिहादियों के साथ लड़ाई लड़ रहे हैं। (एजेंसियां)

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