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गंगा को बचाने में सबका स्वागत-अग्रवाल

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हमें फॉलो करें गंगा आंदोलन प्रोफेसर अग्रवाल अनशन
नई दिल्ली (वार्ता) , मंगलवार, 24 जून 2008 (20:04 IST)
गंगोत्री से उत्तरकाशी तक गंगा की अविरल देखने के लिए यहाँ आमरण अनशन कर रहे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के पूर्व प्रोफेसर गुरुदास अग्रवाल के अनुसार उनके इस संकल्प में राजनीतिक पार्टियों से कोई लेना-देना नहीं है और उनके इस अभियान में सबका स्वागत है।

उत्तरकाशी में गंगा दशहरा के दिन 13 जून से अनशन कर रहे प्रो. अग्रवाल केन्द्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए दिल्ली पहुँचे। उनका अनशन 12वें दिन भी जारी है। अशक्त दिख रहे प्रो. अग्रवाल के भतीजे आशुतोष ने विशेष बातचीत में बताया कि अग्रवाल मानते हैं कि गंगा को बचाने का सवाल बड़ा सवाल है।

इसमें किसी राजनीतिक पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है। इस संकल्प में सबका स्वागत है चाहे उसकी कोई भी मान्यता या विचार हो। उनकी ख्वाहिश यही है कि गंगोत्री के लेकर उत्तरकाशी तक के गंगा प्रवाह में कोई रूकावट न हो। गंगा की कुल लंबाई 2250 किलोमीटर में से केवल 85 किलोमीटर के इस हिस्से में गंगा की धारा निर्बाध बहनी चाहिए।

यह पूछे जाने पर कि अगर आस्था के आधार पर बाँधो का निर्माण रोका जाए तब इस दशा में वैकल्पिक विकास के क्या रास्ते होंगे? उन्होंने कहा कि प्रो. अग्रवाल चाहते हैं कि पहले केन्द्र सरकार 600 मेगावॉट क्षमता वाली लोहरी नागपाला परियोजना पर रोक लगाए उसके बाद ही वह विकास की वैकल्पिक रणनीति पर अपने विचार प्रकट करेंगे।

प्रो. अग्रवाल के अनशन के प्रभाव में उत्तराखंड सरकार ने दो विद्युत परियोजनाएँ रोक दी है। पर्यावरणविद् और आईआईटी के पर्यावरण इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष रहे प्रो. अग्रवाल के अनुसार वह यमुनोत्री और उसके आसपास या किसी अन्य नदी पर परियोजना बनाए जाने के विरुद्व नहीं है।

उनकी एक सूत्री माँग यही है कि गंगोत्री से उत्तरकाशी तक गंगा अविरल बहे और कुछ नहीं। इसकी वजह यही है कि गंगा का सवाल आस्था का सवाल है। हमारी परंपरा, धर्मग्रन्थों और मान्यताओं में गंगा की जिस महत्ता का वर्णन है उतना किसी अन्य नदी का नहीं। इसलिए गंगा को बचाना बेहद अहम है।

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