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गुजरात दंगों पर नंदिता दास के सवाल

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नई दिल्ली (भाषा) , मंगलवार, 15 जुलाई 2008 (20:28 IST)
अर्थ और फायर जैसी फिल्मों में दमदार अभिनय करने वाली अभिनेत्री नंदिता दास की बतौर निर्देशक पहली फिल्म 'फिराक' अक्टूबर में प्रदर्शित होने जा रही है। यह फिल्म वर्ष 2002 में हुए गुजरात दंगों पर आधारित है।

नंदिता ने बताया कि दंगों के बाद मानवीय रिश्तों पर पड़े प्रभाव को यह फिल्म दर्शाती है। इसमें बताया गया है कि किस प्रकार डर और पूर्वाग्रह हमारे दिमाग में प्रवेश कर गया है। वे कहती हैं फिराक उर्दू का शब्द है, जिसके दो अर्थ हैं बिछड़ना और तलाश। इस फिल्म के माध्यम से मैं कुछ प्रश्न उठाना चाहती हूँ जिनमें से कुछ प्रश्नों के उत्तर आसान नहीं हैं।

नंदिता को आशा है कि पाँच लोगों की कहानी पर आधारित उनकी फिल्म प्रत्येक आयु वर्ग के लोगों को पसंद आएगी। वे इस नजरिए से इत्तफाक नहीं रखतीं कि अच्छी फिल्में बॉक्स आफिस पर सफलता को ध्यान में रखकर नहीं बनाई जाती बल्कि आलोचकों की सराहना और फिल्म समारोहों में प्रदर्शन के लिए होती हैं।

यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी फिल्म बॉलीवुड के नियमित दर्शकों के बीच सफलता पाएगी, उन्होंने कहा कि उनकी फिल्म किसी एक श्रेणी में नहीं बँधी है। फिराक एक भावुक कहानी है, जिसे वे बहुत लंबे समय से सुनाना चाह रही थीं।


नंदिता ने कहा कि ये श्रेणियाँ विचारों को प्रभावित करती हैं और विषय के बारे में पहले से राय बनाने पर मजबूर कर देती हैं और वे नहीं चाहती कि उनकी फिल्म के साथ ऐसा कुछ हो। उन्होंने कहा कि ऐसी श्रेणी ही क्यों बनाना, वे तो चाहती हैं कि उनकी फिल्म को छात्र, कामकाजी लोगों सहित समाज का हर वर्ग देखने आए।

फिराक में नसीरुद्‍दीन शाह, परेश रावल, दीप्ति नवल, रघुवीर यादव और संजय सूरी प्रमुख भूमिकाओं में हैं। अभिनय से निर्देशन की ओर अचानक रुख करने का कारण पूछे जाने पर नंदिता ने कहा कि यह इच्छा पहले से ही थी पर उन्होंने यह कभी नहीं सोचा था कि यह इतनी जल्दी पूरी हो जाएगी।

नंदिता ने कहा कि मानवाधिकारों के लिए काम करते वक्त मुझे कई कहानियाँ पता चलीं। मुझे लगा कि इन कहानियों को लोगों तक पहुँचाना चाहिए, इसी के चलते निर्देशन में आई क्योंकि लगा कि कोई भी बात लोगों तक पहुचाने के लिए सिनेमा बेहद मजबूत माध्यम है। उन्होंने बताया कि फिल्म में पाँच कहानियाँ हैं।

नंदिता ने कहा कि अभिनेता के तौर पर किरदार को अपने तरीके से निभाने की स्वतंत्रता होती है पर बतौर निर्देशक फिल्म के हर पहलू का ध्यान रखना होता है। नंदिता के पास इन दिनों कई पटकथाएँ हैं और अक्टूबर से वे दोबारा अभिनय शुरू कर सकती हैं।

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