Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

जंगे आजादी का महत्व पाक में भी

पाकिस्तान से आए युवाओं ने कहा

हमें फॉलो करें जंगे आजादी का महत्व पाक में भी
नई दिल्ली (भाषा) , रविवार, 11 मई 2008 (13:40 IST)
अरे...1857 की जंगे आजादी से तो हमारे सामाजिक विज्ञान के इतिहास का सिलेबस शुरू होता है और भारत ही नहीं पाकिस्तान में भी इसे तारीखी दिन के रूप में मनाया जाता है। यह कहना है भारत-पाक युवा शांति शिष्टमंडल के तहत पाकिस्तान से आए युवाओं का।

रावलपिंडी की रहने वाली और लाहौर विश्वविद्यालय में इतिहास विषय से स्नातक की पढ़ाई करने वाली वीनस मकसूद को दिल्ली और रावलपिंडी में कोई खास फर्क नहीं महसूस हो रहा है।

वे कहती हैं दिल्ली का लालकिला, कुतुब मीनार और तीनमूर्ति भवन के अलावा यहाँ की सड़कें और हरियाली में कोई फर्क नहीं दिखाई देता।

उन्होंने कहा क‍ि यहाँ के लोगों से मिलने के बाद ऐसा लगता ही नहीं हम अपने मुल्क के बाहर किसी दूसरे मुल्क में हैं।

लाहौर विश्वविद्यालय में व्याख्याता सहर नवाज ने कहा भारत और पाकिस्तान के लोगों के दिलों में कोई बैर या तल्खी नहीं है। सियासत के दाँवपेंच ने हमें इस मुकाम पर पहुँचा दिया है कि हम एक-दूसरे को अपना दुश्मन समझ रहे हैं।

उन्होंने कहा 1857 की जंगे आजदी को किताब के पन्नों तक ही सिमटकर नहीं रहना, चाहिए बल्कि हमारा विचार है कि भारत और पाकिस्तान दोनों देशों को मिलकर इस तारीखी पाक दिन को बारी-बारी से एक दूसरे के यहाँ मनाना चाहिए।

पाकिस्तानी शिष्टमंडल में क्वेटा के रहने वाले जवाह शब्बीर ने कहा कि हमने युवा एवं खेलमंत्री एमएस गिल से मुलाकात के दौरान कहा था कि भारत और पाकिस्तान दोनों दक्षेस और कई अन्य क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संगठनों के सदस्य हैं, लेकिन दोनों देशों के बीच अभी तक सरकारी स्तर पर कोई व्यवस्थित सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम नहीं है।

उन्होंने कहा कि हमारे अमेरिका तथा कई अन्य देशों के साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान समझौते हैं, लेकिन भारत जैसे हमसाए मुल्क के साथ ऐसा कोई कार्यक्रम नहीं होना अफसोस की बात है।

लाहौर के बसीर ने कहा कि दिल्ली में पतंगों को आसामान की बुलंदियों को छूते देख जिस तरह लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं रहता उसी तरह लाहौर में भी लोग पतंगबाजी पर दिलोजाँ फिदा कर देते हैं।

उन्होंने कहा कि आप दिलों में दरार डाल सकते हैं, त्योहारों और मान्यताओं को कैसे खत्म करेंगे।

क्वेटा के तंजीर ने कहा कि पाकिस्तान को बदनाम करने की साजिश चल रही है। लोग बाहर से एजेंडा लेकर पाकिस्तान आ गए हैं और तोड़फोड़ की कार्रवाई कर हमारी खराब तस्वीर पेश कर रहे हैं।

इस दौरान जब दिल्ली की डॉ. गीता छिब्बर और प्रियंबदा शुक्ल पाकिस्तान की वीनस मकसूद से मिलीं तो ऐसा लगा कि सदियों से बिछड़ी एक ही परिवार की दो हमउम्र लड़कियाँ मिल रही हों।

गीता और प्रियंबदा का परिवार आजादी के बाद एप्टाबाद से अमृतसर आया था जबकि वीनस का परिवार अमृतसर से एप्टाबाद और फिर रावलपिंडी में बस गया।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi