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जासूसी के लिए मजबूर किया जाता है हिंदुओं को

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जालंधर , सोमवार, 27 सितम्बर 2010 (13:01 IST)
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पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं और सिखों को भारत के खिलाफ जासूसी करने के लिए उन पर दबाब डालने की बात का खुलासा करते हुए वहाँ से आकर यहाँ बस गए समुदाय के लोगों ने कहा है कि इससे इंकार करने पर उन्हें तरह-तरह की यातनाएँ दी जाती हैं और परेशान किया जाता है।

पाकिस्तान में धार्मिक और सामाजिक प्रताड़ना का शिकार होने के बाद भारत आ कर बस गए लोगों को अब एक ही आस है कि उन्हें भारत की नागरिकता मिल जाए तो वह शांति पूर्वक अपना शेष जीवन यहाँ व्यतीत करें।

पाकिस्तान से आ कर पिछले डेढ़ दो दशकों से तकरीबन 200 परिवार जालंधर में रह रहे हैं। उनमें से कुछ की यहाँ शादी हो चुकी है और बच्चे भी हो गए हैं। युवाओं के साथ-साथ कुछ बुजुर्ग ऐसे हैं, जिन्हें अभी भी भारत की नागरिकता पाने की उम्मीद है।

जालंधर में रह रहे ऐसे ही एक पाकिस्तानी नागरिक हैं मुल्कराज, जो उम्र के सात दशक पार कर चुके हैं। वह 1995 में कराची छोड़ कर अपने परिवार सहित भारत आ गए थे। उनके तीन भाई अभी भी कराची में हैं।

उन्होंने बताया कि पाकिस्तान में उन जैसे अनेक हिंदुओं को भारत के खिलाफ जासूसी करने के लिए आज भी प्रताड़ित किया जाता है। इससे इंकार करने के कारण उन पर अत्याचार किया जाता है।

यह पूछे जाने पर कि ऐसा अभी भी होता है, मुल्कराज कहते हैं, यह रूकने वाली प्रक्रिया नहीं है। ऐसा तब तक होता रहेगा जब तक वहाँ हिंदू और सिख समुदाय के लोग मौजूद हैं।

पाक से आए हिंदुओं को नागरिकता दिलाने की दिशा में गैर सरकारी संगठनों के अलावा भारतीय जनता पार्टी भी काम कर रही है। वरिष्ठ भाजपा नेता तथा सांसद अविनाश राय खन्ना की अगुवाई में पार्टी ने ऐसे लोगों की समस्याओं को जानने के लिए एक समिति गठित की थी।

खन्ना ने कहा कि कमेटी ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली है और जल्दी ही पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष, मुख्यमंत्री, केंद्रीय नेतृत्व तथा केंद्र सरकार के नुमाइंदों को कमेटी अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। उन्होंने दावा किया कि इस मुद्दे को वह संसद में भी उठाएँगे।

खन्ना इन परिवारों को दो हजार रुपए बतौर पेंशन देने की भी माँग पंजाब सरकार से कर चुके हैं। पार्टी इन लोगों को भारत की नागरिकता दिए जाने की भी माँग कर रही है। भाजपा का तर्क है कि बांग्लादेश से आने वाले मुसलमानों को नागरिकता दी जा सकती है तो पाक से आए हिंदुओं को क्यों नहीं।

उल्लेखनीय है कि देश की नागरिकता के लिए प्रवासी लोग संबंधित जिलाधिकारी के कार्यालय में आवेदन करते हैं। वहाँ से औपचारिकताएँ पूरी करने के बाद उसे गृह मंत्रालय भेजा जाता है। (भाषा)

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