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...तो गैस सिलेंडर पर बढ़ेंगे 250 रुपए

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नई दिल्ली , शुक्रवार, 4 जुलाई 2014 (17:49 IST)
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नई दिल्ली। पेट्रोलियम मंत्रालय घरेलू रसोई गैस के दाम 250 रुपए प्रति सिलेंडर और राशन में बिकने वाले मिट्टी तेल का दाम 4 रुपए प्रति लीटर बढ़ाने की विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को लेकर मंत्रिमंडल की राजनीतिक मामलों की समिति (सीसीपीए) के समक्ष प्रस्ताव रख सकता है। हालांकि पेट्रोलियम मंत्रालय ने इस बात का खंडन किया है कि गैस के दाम बढ़ाने का इस तरह का कोई प्रस्ताव आया है।

आधिकारिक सूत्रों ने शुक्रवार को यहां बताया कि पेट्रोलियम मंत्रालय डीजल, मिट्टी तेल और रसोई गैस के दाम पर विचार करने के वास्ते सीसीपीए का मसौदा तैयार कर रहा है।

पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के डीजल के दाम में 40 से 50 पैसे प्रतिमाह वृद्धि करने के फैसले की पुष्टि करते हुए मंत्रालय संभवत: इसके दाम में 3.40 रुपए प्रति लीटर का नुकसान समाप्त होने तक वृद्धि जारी रखने का प्रस्ताव कर सकता है।

मंत्रालय चाहता है कि सीसीपीए उसे डीजल के दाम नियंत्रणमुक्त करने की अनुमति दे, जैसा कि पेट्रोल के मामले में किया गया। पेट्रोल के दाम जून 2010 में नियंत्रण मुक्त किए जा चुके हैं।

पेट्रोल के दाम नियंत्रणमुक्त होने के बाद से हर महीने की पहली और 16वीं तारीख को दाम की समीक्षा की जाती है। कुछ मौकों को छोड़कर तब से पेट्रोल के दाम उसकी वास्तविक लागत के अनुरूप तय हो रहे हैं।

आखिर क्या चाहता है पेट्रोलियम मंत्रालय... पढ़ें अगले पेज पर...


पेट्रोलियम मंत्रालय चाहता है कि सीसीपीए योजना आयोग के पूर्व सदस्य किरीट एस. पारीख की अध्यक्षता वाले विशेषज्ञ समूह की सिफारिशों पर विचार करे। समिति ने पिछले साल अक्टूबर में सरकार को सौंपी अपनी सिफारिशों में डीजल के दाम 5 रुपए, मिट्टी तेल के दाम 4 रुपए और घरेलू इस्तेमाल वाले रसोई गैस सिलेंडर के दाम 250 रुपए प्रति सिलेंडर बढ़ाने का सुझाव दिया था ताकि 72,000 करोड़ रुपए के सबसिडी बिल को कम किया जा सके।

मिट्टी तेल, रसोई गैस और डीजल के दाम नहीं बढ़ने की सूरत में सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों को चालू वित्त वर्ष के दौरान 1,07,850 करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है।

इस नुकसान की भरपाई सरकार की तरफ से कंपनियों को दी जाने वाली नकद सबसिडी और तेल उत्पादक क्षेत्र की कंपनियों ओएनजीसी, ऑइल इंडिया तथा गेल के योगदान से पूरा करना पड़ता है।

पारिख समिति ने 1 साल के भीतर डीजल की पूरी सबसिडी समाप्त करने और सस्ते सिलेंडर की आपूर्ति 1 साल में 6 सिलेंडर पर सीमित करने की सिफारिश की थी। इस समय हर साल प्रति परिवार 12 सस्ते सिलेंडर की आपूर्ति की जाती है। हालांकि पेट्रोलियम मंत्रालय समिति की इस सिफारिश को सीसीपीए के पास नहीं ले जा रहा है।

वित्त मंत्रालय तेल कंपनियों के लिए सबसिडी निर्धारण का निर्यात समान मूल्य तय करने के पक्ष में है। वर्तमान में ये व्यापार समान मूल्य के आधार पर तय किए जाते हैं। निर्यात समान मूल्य के आधार पर सबसिडी में 13,000 करोड़ रुपए की बचत होगी। (भाषा)

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